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उम्मीद है कि नई पीढ़ी को प्रेरित कर सकूंगी : आशालता देवी - Football

भारतीय महिला फुटबॉल टीम की कप्तान आशालता देवी ने कहा, "मैं अपने अनुभव से कह सकती हूं कि मेरे माता-पिता ने मेरा समर्थन नहीं किया और मैंने अपनी पढ़ाई पर अधिक ध्यान नहीं दिया. मैं नहीं चाहती कि कोई बच्चा इन परिस्थितियों का सामना करें."

Ashalata Devi
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Published : Jan 26, 2021, 7:03 AM IST

नई दिल्ली : भारतीय महिला फुटबॉल टीम की कप्तान आशालता देवी का कहना है कि जब उन्होंने फुटबॉल खेलने की शुरुआत की तो उन्हें अपने ही परिवार के विरोध का सामना किया.

आशालता देवी ने बताया कि वो नहीं चाहती हैं कोई भी लड़की उन परिस्थितियों का सामना करे जो उन्होंने की हैं और यही कारण है कि वह यह चाहती हैं कि देश की हर लड़की खुद को सशक्त बनाए.

आशालता देवी ने बताया, "जब मैंने फुटबॉल खेलने की शुरूआत की थी, तब काफी संघर्ष करना पड़ा था क्योंकि मेरी मां नहीं चाहती थीं कि मैं खेलूं. जब भी मैं अभ्यास के बाद वापस घर आती, तब मुझे मार पड़ती और वो मुझसे पूछा करती कि मैं खेलना क्यों चाहती हूं और मुझे कहा करती कि यह खेल लड़कियों के लिए नहीं है. मां कहती कि तुम्हें चोट लग जाएगी और तब तुमसे कोई शादी नहीं करेगा. वह काफी डरती थीं."

आशालता देवी
आशालता देवी

आशा ने आगे कहा, "मैंने कुछ महीनों के लिए खेलना भी छोड़ दिया था और तब मैंने उन्हें नहीं बताया कि कब मैंने दोबारा से खेलना शुरू किया. जब मेरा चयन अंडर-17 टीम के लिए हुआ तो उन्होंने मेरा समर्थन करना शुरू किया. और अब जब मैं उनसे कहती हूं कि मैंने काफी खेल लिया है और अब मैं रूकना चाहती हूं, तो वो मुझे डाटती हैं और कहती हैं कि यह विश्व को दिखाने का समय है कि मैं क्या कर सकती हूं और वो मुझे और खेलने और अपना बेस्ट देने के लिए मोटिवेट करती हैं.

उन्होंने कहा, "मैं अपने अनुभव से कह सकती हूं कि मेरे माता-पिता ने मेरा समर्थन नहीं किया और मैंने अपनी पढ़ाई पर अधिक ध्यान नहीं दिया. मैं नहीं चाहती कि कोई बच्चा इन परिस्थितियों का सामना करें. खेल और पढ़ाई का एक संतुलन बनाया जा सकता है, लेकिन इसके लिए परिवार का साथ जरूरी होता है."

नई दिल्ली : भारतीय महिला फुटबॉल टीम की कप्तान आशालता देवी का कहना है कि जब उन्होंने फुटबॉल खेलने की शुरुआत की तो उन्हें अपने ही परिवार के विरोध का सामना किया.

आशालता देवी ने बताया कि वो नहीं चाहती हैं कोई भी लड़की उन परिस्थितियों का सामना करे जो उन्होंने की हैं और यही कारण है कि वह यह चाहती हैं कि देश की हर लड़की खुद को सशक्त बनाए.

आशालता देवी ने बताया, "जब मैंने फुटबॉल खेलने की शुरूआत की थी, तब काफी संघर्ष करना पड़ा था क्योंकि मेरी मां नहीं चाहती थीं कि मैं खेलूं. जब भी मैं अभ्यास के बाद वापस घर आती, तब मुझे मार पड़ती और वो मुझसे पूछा करती कि मैं खेलना क्यों चाहती हूं और मुझे कहा करती कि यह खेल लड़कियों के लिए नहीं है. मां कहती कि तुम्हें चोट लग जाएगी और तब तुमसे कोई शादी नहीं करेगा. वह काफी डरती थीं."

आशालता देवी
आशालता देवी

आशा ने आगे कहा, "मैंने कुछ महीनों के लिए खेलना भी छोड़ दिया था और तब मैंने उन्हें नहीं बताया कि कब मैंने दोबारा से खेलना शुरू किया. जब मेरा चयन अंडर-17 टीम के लिए हुआ तो उन्होंने मेरा समर्थन करना शुरू किया. और अब जब मैं उनसे कहती हूं कि मैंने काफी खेल लिया है और अब मैं रूकना चाहती हूं, तो वो मुझे डाटती हैं और कहती हैं कि यह विश्व को दिखाने का समय है कि मैं क्या कर सकती हूं और वो मुझे और खेलने और अपना बेस्ट देने के लिए मोटिवेट करती हैं.

उन्होंने कहा, "मैं अपने अनुभव से कह सकती हूं कि मेरे माता-पिता ने मेरा समर्थन नहीं किया और मैंने अपनी पढ़ाई पर अधिक ध्यान नहीं दिया. मैं नहीं चाहती कि कोई बच्चा इन परिस्थितियों का सामना करें. खेल और पढ़ाई का एक संतुलन बनाया जा सकता है, लेकिन इसके लिए परिवार का साथ जरूरी होता है."

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