नई दिल्ली: इंग्लैंड में आयोजित साल 2017 आईसीसी महिला विश्व कप ने भारत में महिला क्रिकेट को काफी हद तक बदल दिया. यह कहना है दिग्गज बल्लेबाज पूनम राउत का, जिन्होंने उस टूर्नामेंट के फाइनल मैच में 85 रनों की महत्वपूर्ण पारी खेली थी.
फाइनल में 229 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारत की टीम मजबूत लग रही थी, लेकिन 191/3 से गिरकर 219 रन पर सिमट गई. टीम ने मैच को सिर्फ नौ रन से गंवा दिया. हालांकि, भारत के फाइनल में हारने के बाद भी देश में महिला क्रिकेट के लिए चीजें बदल गईं.
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राउत ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, हमने इंग्लैंड में 2017 विश्व कप में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया. वहां से भारत में महिला क्रिकेट के लिए चीजें काफी बदल गईं. हमारे मैचों का प्रसारण शुरू हो गया और अच्छी मीडिया कवरेज मिली. यहां तक कि माता-पिता भी क्रिकेट खेलने वाली लड़कियों को आगे करने लगे.
उन्होंने आगे कहा, पहले माता-पिता शिकायत करते थे, लेकिन अब वे लड़कियों को क्रिकेट खेलने के लिए प्रेरित करते हैं. यहां तक कि कई लोग मुझसे महिला क्रिकेट के विभिन्न स्तरों और चयन की पूरी प्रक्रिया के बारे में पूछते हैं. कुल मिलाकर समाज बदल गया है और अधिक महिलाएं क्रिकेट खेल रही हैं. लगभग एक दशक तक अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट खेलने के बाद पुनम का मानना है कि उनके समय की तुलना में अब भारत में महिलाएं अच्छे से खेल पा रही हैं.
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राउत के अनुसार, बहुत सी जगहों पर अच्छे सुधार किए गए हैं. जब मैंने खेलना शुरू किया, तो हमारे मैचों का कोई नियमित प्रसारण नहीं होता था और लोग केवल एक या दो महिला क्रिकेटरों को जानते थे. अब प्रशंसक भारतीय महिला क्रिकेट मैचों को देखते हैं और सबके बारे में जानते हैं. उन्होंने आगे कहा, अब हमारे पास एक अच्छा घरेलू ढांचा है और एक सीजन में उचित मात्रा में अंतर्राष्ट्रीय मैच खेले जाते हैं. हालांकि, हम जितने मैच खेलते हैं, वह पुरुषों की तुलना में कम हैं. लेकिन, यह पहले की तुलना में बेहतर है.
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एक महिला आईपीएल के आयोजन पर उनको लगता है कि यह पांच या छह टीमों के साथ लीग को कराया जा सकता है. बल्लेबाज ने कहा, हां, मैं महिला आईपीएल को लेकर बहुत आशावादी हूं. लीग भारतीय महिला क्रिकेट टीम को निडर और नए खिलाड़ी प्राप्त करने में मदद करेगी. जैसा कि अब हम पुरुष टीम के साथ देखते हैं. युवाओं को खेल के दिग्गजों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने का मौका मिलेगा.
उन्होंने कहा, यह उन खिलाड़ियों के लिए एक मंच के रूप में भी काम करेगा, जिन्हें भारतीय टीम से बाहर कर दिया गया है, ताकि वे खुद को साबित कर सकें. 32 साल की खिलाड़ी ने 'प्रतिभा की कमी' की बात को खारिज करते हुए कहा, भारतीय महिला क्रिकेट टीम में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है.
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राउत के मुताबिक, मैंने बहुत सारी घरेलू क्रिकेट खेली है और कह सकती हूं कि हमारे पास बहुत सारे प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं. हाल में कई मैच नहीं हुए हैं और जो हुए भी हैं तो उन्हें टीवी पर प्रसारित नहीं किया गया है. इसलिए यह माना जाता है कि प्रतिभा की कमी है. हर खिलाड़ी अंतर्राष्ट्रीय और घरेलू स्तर पर बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं.