नई दिल्लीः भारतीय टेस्ट ओपनर मुरली विजय ने हाल ही में कहा था कि उनका भारतीय टीम के साथ समय समाप्त हो चुका है और इस समय विदेश में खेलने के मौके तलाश रहे हैं. उन्होंने अपना आखिरी मैच भारत की तरफ से 2018 में पर्थ टेस्ट खेला था. 2019 में रणजी ट्रॉफी में तमिलनाडु की तरफ से उन्हें मैदान में देखा था. सालों बाद अब उनका दर्द बाहर आया है. उन्होंने कुछ सनसीखेज खुलासे किए हैं. खुलासों का संबंध सीधा टीम मैनेजमेंट और वीरेंद्र सहवाग से जुड़ा है.
स्टार स्पोर्ट्स चैनल से बात करते हुए मुरली विजय ने कहा, 'ईमानदारी से कहूं तो मुझे वीरेंद्र सहवाग जैसी आजादी नहीं मिली. सहवाग को अपनी जिंदगी में जो कुछ भी मिला, मुझे नहीं मिला. अगर मुझे उस तरह का समर्थन और मौके मिलते तो मैं भी कोशिश कर सकता था. यह टीम का सपोर्ट है कि आप इंटरनेशनल लेवल पर किस तरह योगदान दे सकते हैं. यह एक हाई लेवल कॉम्पीटिशन है और आपके पास अलग-अलग तरीकों से प्रयोग करने के ज्यादा मौके नहीं हैं'.
सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग के साथ खेलने पर विजय ने कहा, 'आपको लगातार बने रहना होगा इसलिए आपके पास एक पैकेज के रूप में सब कुछ होना चाहिए और आप टीम की मांग के मुताबिक खुद को कैसे ढालेंगे. सहवाग की बल्लेबाजी को देखकर उन्हें अपनी बैटिंग स्टाइल को नियंत्रित करने में मुश्किल हुई'. विजय ने आगे कहा, 'जब सहवाग मेरे साथ क्रीज पर होते थे, तो मुझे लगता था कि अपनी बैटिंग स्टाइल को नियंत्रित करना और खेलना कठिन है, लेकिन उन्हें इस तरह की आजादी से गुजरते हुए देखना शानदार था.'
मुरली विजय का कहना है, 'सहवाग ही ऐसा कर सकता था. मुझे लगता है कि सहवाग जैसा कोई और नहीं खेल सकता है. उन्होंने भारतीय क्रिकेट के लिए जो किया, वह अद्भुत था. असल में सहवाग कुछ और हैं, और मैंने विजुअली देखा है. मुझे उनके साथ बातचीत करने का सौभाग्य मिला'. विजय ने आगे कहा 'सहवाग जैसा खेल, वो ही खेल सकते थे और कोई नहीं. उन्होंने भारतीय क्रिकेट के लिए जो कुछ किया वह शानदार था. वह कुछ अलग ही इंसान हैं. उनका मंत्र सिंपल था. गेंद को देखो और मारो. गेंदबाज 140-150 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी करता था और वह गाना गुनगुनाते हुए खेलते थे'.
मुरली विजय का अंतरराष्ट्रीय करियर
गौरतलब है कि विजय ने आखिरी बार दिसंबर 2018 में ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान भारत के लिए एक टेस्ट मैच खेला था. भारत के लिए अपने 61 टेस्ट करियर में उन्होंने 38.29 की औसत से 3982 रन बनाए. इसमें 12 शतक और 15 अर्द्धशतक शामिल थे. उन्होंने भारत के लिए 17 एकदिवसीय मैचों में भी भाग लिया, जिसमें केवल 339 रन बनाए. अपने सम्मानित प्रथम श्रेणी करियर में, दाएं हाथ के बल्लेबाज ने 135 मैच खेले, जिसमें 9205 रन बनाए, जिसमें 25 शतक और 38 अर्धशतक शामिल थे.
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