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टोक्यो में मीराबाई का सुनहरा पल, लेकिन ओलंपिक में Weightlifting का भविष्य अनिश्चित

रियो से टोक्यो तक मीराबाई चानू के हार नहीं मानने के जज्बे ने साल 2021 में भारतीय भारोत्तोलन को ओलंपिक रजत पदक के रूप में उसका सबसे यादगार तोहफा दिया. लेकिन प्रशासन और डोपिंग संबंधी बरसों से चली आ रही समस्याओं के कारण ओलंपिक में इस खेल का भविष्य अनिश्चित नजर आ रहा है.

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Mirabai Chanu News
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Published : Dec 27, 2021, 1:47 PM IST

नई दिल्ली: रियो ओलंपिक में 2016 में एक भी वैध लिफ्ट में नाकाम रहने के बाद आंसुओं के साथ विदा लेने वाली मीराबाई ने टोक्यो में ऐतिहासिक रजत पदक जीतकर उन जख्मों पर मरहम लगाया. कोरोना महामारी के कारण ओलंपिक एक साल टलने से उनकी तैयारियां बाधित हुई, लेकिन इच्छाशक्ति पर असर नहीं पड़ा.

क्लीन और जर्क में नए विश्व रिकॉर्ड के साथ उन्होंने अप्रैल में एशियाई चैम्पियनशिप में नए राष्ट्रीय रिकॉर्ड के साथ कांस्य पदक जीता. उन्होंने क्लीन और जर्क में 119 और स्नैच में 86 किलो वजन उठाया. मीराबाई के पास अब एशियाई खेलों को छोड़कर सारे बड़े टूर्नामेंटों में पदक है.

यह भी पढ़ें: ओलंपिक पदक के बाद वेटलिफ्टिंग में बढ़ी है लोगों की दिलचस्पी : मीराबाई

टोक्यो ओलंपिक में पहले ही दिन उन्होंने भारत का खाता खोला तो सारे देश में उत्साह की लहर दौड़ पड़ी. रियो खेलों से पहले ओलंपिक रिंग के छल्लों के आकार के अपनी मां के दिए बूंदे पहनते हुए मीराबाई ने 49 किलो वर्ग में रजत पदक जीता. मणिपुर में इम्फाल से 20 किलोमीटर दूर एक छोटे से गांव में गरीब परिवार में जन्मी मीराबाई का बचपन आसपास की पहाड़ियों से लड़कियां काटकर या तालाब से कैन में पानी भरकर बीता. उन्होंने ओलंपिक में 202 किलो वजन उठाकर इतिहास रचा था.

यह भी पढ़ें: मीराबाई चानू, पीवी सिंधू व लवलीना बोरगोहेन के नाम से शुरू होगा खेल रत्न अवार्ड !

ओलंपिक में भारोत्तोलन में सिडनी ओलंपिक 2000 में कर्णम मल्लेश्वरी के कांस्य पदक के बाद भारत का यह पहला पदक था. भारत के लिए भारोत्तोलन में चुनौती पेश करने वाली मीराबाई अकेली थीं. वहीं भविष्य का सितारा माने जा रहे जेरेमी लालरिंनुंगा के लिए यह साल मिला जुला रहा. वह 67 किलो वर्ग में एशियाई चैम्पियनशिप के दौरान घुटने में लगी चोट के कारण ओलंपिक के लिए क्वॉलीफाई नहीं कर सके.

मिजोरम के इस युवा ने हालांकि साल के आखिर में राष्ट्रमंडल चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीता. उन्होंने बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेल 2022 के लिए भी क्वॉलीफाई कर लिया. मई में जूनियर विश्व चैम्पियनशिप में रजत पदक जीतने वाले अचिंता शेउली (73 किलो) ने भी क्वॉलीफाई किया. अजय सिंह (81 किलो) और पूर्णिमा पांडे (प्लस 87 किलो) ने भी स्वर्ण पदक जीते.

यह भी पढ़ें: Positive Podcast: सुनें मीरा बाई चानू के अनसुने किस्से

राष्ट्रमंडल चैम्पियनशिप में सात राष्ट्रीय रिकॉर्ड के साथ 18 पदक जीतने वाले भारतीय भारोत्तोलक विश्व चैम्पियनशिप में इसे दोहरा नहीं सके. इस बीच डोपिंग, रिश्वतखोरी, मतदान में हेराफेरी और उच्चतम स्तर पर भ्रष्टाचार के मामलों पर अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने कार्रवाई करते हुए ओलंपिक से भारोत्तोलन को हटाने की धमकी दी है. लॉस एंजिलिस ओलंपिक 2028 की प्रारंभिक सूची में भारोत्तोलन नहीं है. इस सूची को फरवरी में आईओसी सदस्यों के सामने मंजूरी के लिए रखा जाएगा.

नई दिल्ली: रियो ओलंपिक में 2016 में एक भी वैध लिफ्ट में नाकाम रहने के बाद आंसुओं के साथ विदा लेने वाली मीराबाई ने टोक्यो में ऐतिहासिक रजत पदक जीतकर उन जख्मों पर मरहम लगाया. कोरोना महामारी के कारण ओलंपिक एक साल टलने से उनकी तैयारियां बाधित हुई, लेकिन इच्छाशक्ति पर असर नहीं पड़ा.

क्लीन और जर्क में नए विश्व रिकॉर्ड के साथ उन्होंने अप्रैल में एशियाई चैम्पियनशिप में नए राष्ट्रीय रिकॉर्ड के साथ कांस्य पदक जीता. उन्होंने क्लीन और जर्क में 119 और स्नैच में 86 किलो वजन उठाया. मीराबाई के पास अब एशियाई खेलों को छोड़कर सारे बड़े टूर्नामेंटों में पदक है.

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टोक्यो ओलंपिक में पहले ही दिन उन्होंने भारत का खाता खोला तो सारे देश में उत्साह की लहर दौड़ पड़ी. रियो खेलों से पहले ओलंपिक रिंग के छल्लों के आकार के अपनी मां के दिए बूंदे पहनते हुए मीराबाई ने 49 किलो वर्ग में रजत पदक जीता. मणिपुर में इम्फाल से 20 किलोमीटर दूर एक छोटे से गांव में गरीब परिवार में जन्मी मीराबाई का बचपन आसपास की पहाड़ियों से लड़कियां काटकर या तालाब से कैन में पानी भरकर बीता. उन्होंने ओलंपिक में 202 किलो वजन उठाकर इतिहास रचा था.

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ओलंपिक में भारोत्तोलन में सिडनी ओलंपिक 2000 में कर्णम मल्लेश्वरी के कांस्य पदक के बाद भारत का यह पहला पदक था. भारत के लिए भारोत्तोलन में चुनौती पेश करने वाली मीराबाई अकेली थीं. वहीं भविष्य का सितारा माने जा रहे जेरेमी लालरिंनुंगा के लिए यह साल मिला जुला रहा. वह 67 किलो वर्ग में एशियाई चैम्पियनशिप के दौरान घुटने में लगी चोट के कारण ओलंपिक के लिए क्वॉलीफाई नहीं कर सके.

मिजोरम के इस युवा ने हालांकि साल के आखिर में राष्ट्रमंडल चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीता. उन्होंने बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेल 2022 के लिए भी क्वॉलीफाई कर लिया. मई में जूनियर विश्व चैम्पियनशिप में रजत पदक जीतने वाले अचिंता शेउली (73 किलो) ने भी क्वॉलीफाई किया. अजय सिंह (81 किलो) और पूर्णिमा पांडे (प्लस 87 किलो) ने भी स्वर्ण पदक जीते.

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राष्ट्रमंडल चैम्पियनशिप में सात राष्ट्रीय रिकॉर्ड के साथ 18 पदक जीतने वाले भारतीय भारोत्तोलक विश्व चैम्पियनशिप में इसे दोहरा नहीं सके. इस बीच डोपिंग, रिश्वतखोरी, मतदान में हेराफेरी और उच्चतम स्तर पर भ्रष्टाचार के मामलों पर अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने कार्रवाई करते हुए ओलंपिक से भारोत्तोलन को हटाने की धमकी दी है. लॉस एंजिलिस ओलंपिक 2028 की प्रारंभिक सूची में भारोत्तोलन नहीं है. इस सूची को फरवरी में आईओसी सदस्यों के सामने मंजूरी के लिए रखा जाएगा.

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