मुंबई: भारतीय कप्तान रोहित शर्मा इस विश्व कप में सबसे ज्यादा स्ट्राइक रेट के साथ सबसे ज्यादा रन बनाने वाले टॉप 5 बल्लेबाजों में से एक हैं. रोहित अपने शांत नेचर के लिए जाने जाते हैं. वो इस विश्व कप में बल्ले से आग उगल रहे हैं. उन्होंने कप्तानी करते हुए अपने बेहतरी दिमाग और शांति का परिचय दिया है. वो टीम के लिए एक ऐसे लीडर बनकर उभरे हैं जिन्होंने सामने से टीम का आगे बढ़कर नेतृत्व किया है. रोहित वहीं हैं जिन्हें विश्व कप 2011 की टीम से बाहर रखा गया था. उन्होंने 2019 विश्व कप में 5 शतक लगाकर सबसे ज्यादा शतक बनाए. रोहित से ज्यादा उनका बल्ला मैदान पर बोलता है.
न्यूजीलैंड के कप्तान केन विलियमसन भी एक बेहतरीन लीडर है. जो अपने शांत नेचर के लिए जाने जाते हैं. वो क्रिकेट जगत के सबसे बेहतरीन कप्तानों में से एक हैं. उनका दिमाग काफी तेजी से चलता है और वो मैदान पर कारगर योजना बनाने के लिए जाने जाते हैं. वो महेंद्र सिंह धोनी के कैप्टन कूल वाले टैग को डिफाइन करते हुए नजर आते हैं. उनका क्रिकेट को लेकर सेंस भी काफी अच्छा है. विलियमसन मैदान पर काफी ज्यादा प्रतिस्पर्धी नजर आते हैं.
ये दोनों ही कप्तान एक दूसरे से पूरी तरह अगल है. ये दोनों ही अलग-अलग संस्कृतियों का प्रतिनिधित्व करते हैं. रोहित और विलियमसन एक दूसरे से सामने पहली बार वनडे विश्व कप के सेमीफाइनल में कप्तानी करते हुए नजर आएंगे. इन दोनों के बीच जितनी समानताएं दिखाई देती हैं उतने ही गहरे मतभेद भी सामने आते हैं. ये दोनों ही अनुभवी खिलाड़ी हैं और दोनों अपने-अपने देश के फैंस के लिए आदर्श माने जाते हैं.
केन विलियमसन अंडर-19 दिनों से ही विराट कोहली के साथ खेले हैं. उनके अंदर अहंकार बिल्कुल भी नहीं है वो मैदान पर शांत रवैये से बल्लेबाजी करने के लिए जाने जाते हैं. वो ऐसे खिलाड़ी के तौर पर जाने जाते हैं जिन्हें विरोधी टीम कभी हल्के में नहीं लेतीं हैं. वहीं रोहित शर्मा हार्ड हिटिंग पर निर्भर करते हैं और वो अपनी पारी को तेजी के साथ शुरू करते हैं.
रोहित शर्मा को एक कप्तान के रूप में शांत और मैदान पर योजना बनाने में माहिर समझा जाता है. उन्होंने टेस्ट टीम में उनके अंदर और बाहर की स्थिति को मजबूत करके हुए अपनी प्रतिभा का परिचय दिया है. इतने सालों में रोहित एक उच्च दर्जे के बल्लेबाज बन गए हैं जो कि आसानी से स्टैंड में 103 मीटर लंबा छक्के लगा लगा देते हैं.
केन विलियमसन का नेतृत्व सरल और शांत होता है. वो स्कूल के दिनों से ही लीडरशिप क्वालिटी रखते हैं. उन्होंने अपने नेतृत्व में ब्लैक कैप्स को ऊंचाईयों तक पहुंचाया है. विलियमसन शांत भाव से कार्य को अंजाम देते है जो अब ब्लैक कैप्स की सोच को परिभाषित करता है.
केन विलियमसन भी रोहित की तरह पारी की शुरुआत कर सकते हैं और वन मैन शो की तरह पूरे मैच को आगे बढ़ा सकते हैं. उनके पास खेल को पढ़ने की अदभुत कला है. वो मैदान पर रणनीतियों का पालन ठीक से करते हैं. वहीं विराट कोहली की कप्तानी में सीखने वाले रोहित का मैच के बारे मे योजनाएं तैयार करने को लेकर उनका ज्ञान गहरा है लेकिन वो मैदान पर खुले विचार आसानी से नहीं दिखा पाते हैं.
रोहित में आक्रामकता है. विलियमसन एक शांत खिलाड़ी है. रोहित को "हिटमैन" के नाम से जाना जाता है. तो केन विलियमसन को "स्टेडी द शिप" के नाम से जाना जाता है. इन दोनों के बारे में कोई भी बूरी बात नहीं है. दोनों ही विनम्र खिलाड़ी है. इस दोनों ही खिलाड़ियों को पावर प्लेयर कहा जा सकता है.
रोहित ने विरोधियों के कंधे मैदान पर गिराने के लिए आसानी से छक्के लगाए हैं, जो एकदम बेहतरीन है. तो वहीं दूसरी ओर केन विलियमसन अपनी हद समझते हुए अपनी पारी को लंबा बनाने के लिए जाने जाते हैं. दिग्गज मार्टिन क्रो ने विलियमसन को अत्यधिक दबाव की स्थिति में आत्मविश्वास दिखाने वाला खिलाडी बताया है. तो वहीं रोहित निडरता के साथ खेलने के लिए जाने जाते हैं.
विलियमसन राष्ट्रीय स्तर पर आगे बढ़ने के बाद से क्रिकेट न्यूजीलैंड के कप्तान के रूप में उभरकर सामने आए. जबकि खेल के सभी फॉर्मेट में रोहित की यात्रा थोड़ी कठिन रही है. उन्हें कप्तानी तक पहुंचने के लिए काफी समय लगा है. रोहित शर्मा बहुत ही सामान्य परिवेश में रहने वाले परिवार से आते हैं. वो नागपुर से लंबा सफर करते हुए लोकल ट्रेनों से यात्रा करते हुए खेलने के लिए पहुंचते थे. वो साधारण बल्ले और पैड के साथ खेलते थे.
कल होने वाले सेमीफाइनल में इस दोनों बेहतरीन कप्तानों के पास इतिहास रचने का मौका होगा. इन दोनों में से कल कोई एक ही आगे बढ़ेगा जबकि दूसरा पीछे रह जाएगा.