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Virat Kohli: धर्मशाला के चिन्मय तपोवन पहुंचे विराट कोहली, यहां दिया जाता है भगवद्गीता का ज्ञान

मंगलवार को क्रिकेटर विराट कोहली धर्मशाला में सिद्धबाड़ी स्थित स्वामी चिन्मयानंद के चिन्मय तपोवन आश्रम पहुंचे. पढ़ें पूरी खबर... (Virat Kohli reached Chinmay Tapovan of Dharamshala) (Virat Kohli).

Virat Kohli reached Chinmay Tapovan of Dharamshala
धर्मशाला के चिन्मय तपोवन पहुंचे विराट कोहली
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 24, 2023, 5:40 PM IST

Updated : Oct 24, 2023, 6:13 PM IST

धर्मशाला: न्यूजीलैंड को आईसीसी वर्ल्ड कप में हराने के बाद टीम इंडिया बीसीसीआई से मिली दो दिन की छुट्टी का भरपूर मजा ले रही है. भारतीय टीम के खिलाड़ियों ने मंगलवार को धर्मशाला के विभिन्न स्थानों का दौरा किया. वहीं, विराट कोहली सिद्धबाड़ी स्थित स्वामी चिन्मयानंद के चिन्मय तपोवन आश्रम पहुंचे. कोहली आश्रम में काफी देर तक रुके रहे.

ये भी पढ़ें- World Cup 2023: पाकिस्तान को हराने के बाद क्या अफगानिस्तान सेमीफाइनल में पहुंच पाएगा?

बता दें कि सिद्धबाड़ी को सिद्धों का निवास भी माना जाता है. इसी सिद्धाबाड़ी में धौलाधार पहाड़ियों की गोद में चिन्मय तपोवन है, जहां भगवद्गीता के बारे में सिखाया जाता है. आश्रम बिंदू सारस के तट पर स्थित है, जहां से धौलाधार की सफेद पर्वत श्रृंखला के मनोरम नजारे देखने को मिलते हैं. साथ में देवदार के घने पेड़ और छोटी छिछली नदियों का संगम मन को शांति से भर देता है.

विराट कोहली ने आश्रम पहुंचने तक चेहरे पर मास्क लगाया हुआ था. इससे पता चलता है कि वे भीड़ से बचना चाहते थे और यह उनकी बेहद निजी यात्रा थी. हालांकि, आश्रम परिसर के भीतर उन्होंने तस्वीरें खिंचवाईं. टीम इंडिया को मंगलवार तक की ही छुट्टी मिली हुई है. 25 अक्टूबर को टीम लखनऊ के लिए रवाना होगी, जहां उनका इंग्लैंड से मुकाबला 29 अक्टूबर को है.

चिन्मय तपोवन क्या है?: शानदार जंगलों से घिरा चिन्मय तपोवन हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा के जिला मुख्यालय धर्मशाला से मात्र कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित सिद्धबाड़ी नामक स्थान में धौलाधार पर्वत श्रृंखला के पास स्थित है. सिद्धबाड़ी शब्द का अर्थ है सिद्धों का निवास और आत्मज्ञानी स्वामी. ऐसा कहा जाता है कि यह स्थान कई संतों और दृष्टाओं का घर था, जो एक बार पृथ्वी पर चले गए और प्रत्येक प्राणी को शुद्ध और आत्मसाक्षात्कार कर दिया, जो उनके रास्ते में आया. ऐसा उन्होंने अनिवार्य रूप से उन्हें योग से संबंधित अभ्यास सिखाकर किया.

ऐसे कई प्राचीन ग्रंथ है जो महान संतों की उपस्थिति का वर्णन करते हुए प्रमाण देते हैं कि जिन्होंने यहां अपनी बुद्धि का विकास और कई लोगों को मुक्ति प्राप्त करने में मदद की. स्वामी चिन्मयानंद द्वारा स्थापित यह स्थान हर किसी के लिए आध्यात्मिकता का घर है और जो कोई भी शांति और संतोष का अमृत पीना चाहता है यहां आने के दौरान सुंदर प्रकृति के आसपास अत्यंत शांति महसूस कर सकते हैं. गहराई और जीवन निर्गम ऊर्जाओ को यहां व्यक्ति के अतः स्थल तक महसूस किया जा सकता है. चिन्मय में तपोवन के आश्रमों में नियमित रूप से ध्यान और योग का अभ्यास किया जाता है.

चिन्मय तपोवन का इतिहास: चिन्मय मिशन एक हिंदू धार्मिक और आध्यात्मिक संगठन है जो वेदांत वेदों विशेष रूप से उपनिषदों और भागवत गीता जैसे अन्य हिंदू ग्रंथों में वर्णित स्वयं के विज्ञान के प्रसार में लगा हुआ है. प्रसिद्ध वेदांत शिक्षक स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती के भक्तों ने 1953 में भारत में चीन में मिशन की स्थापना की. यह 1977 का साल था जब स्वामी चिन्मयानंद भूमि के बंजार टुकड़े पर आए थे. ठीक उसी समय वह अपने अंतर ज्ञान में जानता था कि यह स्थान पवित्र संपादनों के माध्यम से बहने वाला एक पवित्र स्थान था.

यह तब था जब उन्होंने आश्रम के साथ-साथ चिन्मय तपोवन ट्रस्ट की स्थापना की, जो इस ट्रस्ट के प्रबंधन के अंतर्गत आता है. उसके बाद 1981 में कुछ समय बाद स्वामी चिन्मयानंद ने हिंदी भाषा में 2 साल का गहन वेदांत पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए सफलतापूर्वक एक वेदांत संस्थान की, जो अंग्रेजी भाषा में पेश किया जा रहे पाठ्यक्रम के समान था और आज आश्रम में वयस्कों और युवाओं दोनों के लिए आध्यात्मिक शिवरों की पेशकश की जाती है.

ये भी पढ़ें- Watch: पाकिस्तान को हराकर 'लुंगी डांस' पर जमकर थिरके अफगानिस्तान के खिलाड़ी, वीडियो देख खुश हो जाएगा दिल

धर्मशाला: न्यूजीलैंड को आईसीसी वर्ल्ड कप में हराने के बाद टीम इंडिया बीसीसीआई से मिली दो दिन की छुट्टी का भरपूर मजा ले रही है. भारतीय टीम के खिलाड़ियों ने मंगलवार को धर्मशाला के विभिन्न स्थानों का दौरा किया. वहीं, विराट कोहली सिद्धबाड़ी स्थित स्वामी चिन्मयानंद के चिन्मय तपोवन आश्रम पहुंचे. कोहली आश्रम में काफी देर तक रुके रहे.

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बता दें कि सिद्धबाड़ी को सिद्धों का निवास भी माना जाता है. इसी सिद्धाबाड़ी में धौलाधार पहाड़ियों की गोद में चिन्मय तपोवन है, जहां भगवद्गीता के बारे में सिखाया जाता है. आश्रम बिंदू सारस के तट पर स्थित है, जहां से धौलाधार की सफेद पर्वत श्रृंखला के मनोरम नजारे देखने को मिलते हैं. साथ में देवदार के घने पेड़ और छोटी छिछली नदियों का संगम मन को शांति से भर देता है.

विराट कोहली ने आश्रम पहुंचने तक चेहरे पर मास्क लगाया हुआ था. इससे पता चलता है कि वे भीड़ से बचना चाहते थे और यह उनकी बेहद निजी यात्रा थी. हालांकि, आश्रम परिसर के भीतर उन्होंने तस्वीरें खिंचवाईं. टीम इंडिया को मंगलवार तक की ही छुट्टी मिली हुई है. 25 अक्टूबर को टीम लखनऊ के लिए रवाना होगी, जहां उनका इंग्लैंड से मुकाबला 29 अक्टूबर को है.

चिन्मय तपोवन क्या है?: शानदार जंगलों से घिरा चिन्मय तपोवन हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा के जिला मुख्यालय धर्मशाला से मात्र कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित सिद्धबाड़ी नामक स्थान में धौलाधार पर्वत श्रृंखला के पास स्थित है. सिद्धबाड़ी शब्द का अर्थ है सिद्धों का निवास और आत्मज्ञानी स्वामी. ऐसा कहा जाता है कि यह स्थान कई संतों और दृष्टाओं का घर था, जो एक बार पृथ्वी पर चले गए और प्रत्येक प्राणी को शुद्ध और आत्मसाक्षात्कार कर दिया, जो उनके रास्ते में आया. ऐसा उन्होंने अनिवार्य रूप से उन्हें योग से संबंधित अभ्यास सिखाकर किया.

ऐसे कई प्राचीन ग्रंथ है जो महान संतों की उपस्थिति का वर्णन करते हुए प्रमाण देते हैं कि जिन्होंने यहां अपनी बुद्धि का विकास और कई लोगों को मुक्ति प्राप्त करने में मदद की. स्वामी चिन्मयानंद द्वारा स्थापित यह स्थान हर किसी के लिए आध्यात्मिकता का घर है और जो कोई भी शांति और संतोष का अमृत पीना चाहता है यहां आने के दौरान सुंदर प्रकृति के आसपास अत्यंत शांति महसूस कर सकते हैं. गहराई और जीवन निर्गम ऊर्जाओ को यहां व्यक्ति के अतः स्थल तक महसूस किया जा सकता है. चिन्मय में तपोवन के आश्रमों में नियमित रूप से ध्यान और योग का अभ्यास किया जाता है.

चिन्मय तपोवन का इतिहास: चिन्मय मिशन एक हिंदू धार्मिक और आध्यात्मिक संगठन है जो वेदांत वेदों विशेष रूप से उपनिषदों और भागवत गीता जैसे अन्य हिंदू ग्रंथों में वर्णित स्वयं के विज्ञान के प्रसार में लगा हुआ है. प्रसिद्ध वेदांत शिक्षक स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती के भक्तों ने 1953 में भारत में चीन में मिशन की स्थापना की. यह 1977 का साल था जब स्वामी चिन्मयानंद भूमि के बंजार टुकड़े पर आए थे. ठीक उसी समय वह अपने अंतर ज्ञान में जानता था कि यह स्थान पवित्र संपादनों के माध्यम से बहने वाला एक पवित्र स्थान था.

यह तब था जब उन्होंने आश्रम के साथ-साथ चिन्मय तपोवन ट्रस्ट की स्थापना की, जो इस ट्रस्ट के प्रबंधन के अंतर्गत आता है. उसके बाद 1981 में कुछ समय बाद स्वामी चिन्मयानंद ने हिंदी भाषा में 2 साल का गहन वेदांत पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए सफलतापूर्वक एक वेदांत संस्थान की, जो अंग्रेजी भाषा में पेश किया जा रहे पाठ्यक्रम के समान था और आज आश्रम में वयस्कों और युवाओं दोनों के लिए आध्यात्मिक शिवरों की पेशकश की जाती है.

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Last Updated : Oct 24, 2023, 6:13 PM IST
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