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Cricket World Cup: दो बार की वर्ल्ड चैंपियन रही इस टीम ने दो दशक तक किया क्रिकेट की दुनिया पर राज लेकिन पहली बार वर्ल्ड कप से है बाहर - cricket world cup best moment

Cricket World Cup 2023 का बुखार क्रिकेट की दुनिया पर छाया हुआ है. 10 टीमें विश्व विजेता बनने की इस होड़ में जुटी हुई है लेकिन इन 10 टीमों में वो टीम नदारद है जो दो बार विश्व विजेता रही और दो दशक तक क्रिकेट के आसमान पर छाई रही. कौन सी है ये टीम ? आइये जानते है इस टीम के उस सुनहरे इतिहास से, जिसके आस-पास भी मॉर्डन क्रिकेट की कोई टीम नहीं टिकती. (West Indies Cricket Team)

west indies cricket team
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 30, 2023, 12:28 PM IST

हैदराबाद : Cricket World Cup 2023 कौन जीतेगा ? इसके जवाब में कोई टीम इंडिया पर दांव लगा रहा है तो कोई इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया को अगला विश्व विजेता बता रहा है. लेकिन यही सवाल अगर 4 और 5 दशक पहले पूछा गया होता तो क्रिकेट के नौसिखिये पंडित भी उस टीम पर दांव लगाते जो आज इस विश्व कप का हिस्सा ही नहीं है. ये कहानी है दो बार की विश्व विजेता और दो बार टी20 चैंपियन वेस्टइंडीज की, जो विश्व कप 2023 के लिए क्वालीफाई तक नहीं कर पाई. वनडे क्रिकेट के 5 दशक में ये इस टीम का सबसे खराब दौर है.

क्रिकेट और वेस्टइंडीज- क्रिकेट के मैदान पर पहला टेस्ट 1877 में खेला गया. इंग्लैंड में क्रिकेट का जन्म हुआ. वनडे हो या टेस्ट मैच, पहला मुकाबला इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच ही खेला गया. लेकिन क्रिकेट सिर्फ खेलने वालों के लिए ही नहीं देखने वालों के लिए भी रोमांचक हो सकता है, ये दुनिया को वेस्टइंडीज की टीम ने बताया. 1970 के दशक की शुरुआत में जब सीमित ओवरों के मैच खेले गए तो इस टीम ने दुनिया की हर टीम को मानो घुटने पर ला दिया था. उत्तर और दक्षिण अमेरिका के बीच बसे छोटे-छोटे टापू मिलकर वेस्टइंडीज नाम का देश बनाते हैं और इन्हीं टापुओं से क्रिकेट के मैदान को ऐसे रोमांचक पल, बेहतरी खिलाड़ी और एक वर्ल्ड चैंपियन टीम दी, जिसे दुनिया तब तक याद करेगी जब तक क्रिकेट रहेगा.

  • #OnThisDay in 1975, Clive Lloyd became the first man to lift the Cricket World Cup!

    His all-conquering team beat Australia by 17 runs in the final at Lord's.

    Lloyd hit 102 and Viv Richards was amazing in the outfield on one of the greatest days in our history! pic.twitter.com/EfZPfTIG13

    — Windies Cricket (@windiescricket) June 21, 2018 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

शिखर से सिफर तक- 70 और 80 के दशक तक आधे दर्जन से ज्यादा देश क्रिकेट के मैदान पर उतर आए थे लेकिन उस दौर में जो मुकाम वेस्टइंडीज की टीम ने हासिल किया उसके आस-पास भी आज कोई टीम नहीं है. 1975 में जब पहली बार वनडे क्रिकेट विश्व कप की शुरुआत हुई, जिसमें 8 टीमों ने हिस्सा लिया लेकिन कोई भी टीम वेस्टइंडीज के सामने टिक नहीं पाई, वेस्टइंडीज ने अपने पांचों मैच जीते और फाइनल में ऑस्ट्रेलिया को हराकर पहला वर्ल्ड कप जीता. 1979 में भी इंग्लैंड मेजबान बना जो इस बार फाइनल में पहुंचा जहां क्लाइव लॉयड की कप्तानी में वेस्टइंडीज ने लगभग एकतरफा मुकाबला जीतकर लगातार दूसरी बार विश्व कप अपने नाम किया.

70 के दशक में वनडे क्रिकेट की शुरुआत के साथ ही वेस्टइंडीज ने अपनी ऐसी पहचान बनाई, जिसके आगे इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया सरीखी टीमें भी पानी भरती नजर आती थीं. 80 के दशक का पहला विश्वकप साल 1983 में खेला गया. पहले दो विश्व कप की तरह इंग्लैंड ही मेजबान था लेकिन इस बार दुनिया को भारत के रूप में नया चैंपियन मिला. दरअसल उस दौर में वेस्टइंडीज के कद का आलम ये था कि भारत की जीत को तुक्का तक कह दिया गया. इसकी वजह थी 70 और 80 के दशक में वेस्टइंडीज की अपराजेय मानी जाने वाली वो टीम, जिसकी गवाही खुद आंकड़े देते हैं. 1975 और 1979 विश्वकप में वेस्टइंडीज की टीम एक भी मैच नहीं हारी जबकि 1983 में उसे सिर्फ भारत की टीम से हार मिली थी. हालांकि टीम का दबदबा इस विश्व कप के बाद भी जारी रहा लेकिन टीम वो मुकाम कभी हासिल नहीं कर पाई.

90 का दशक आते-आते टीम के वो बड़े खिलाड़ी रिटायर होते रहे जिन्होंने टीम को जीत की लत लगा रखी थी. आलम ये था कि दो बार की विश्व चैंपियन टीम 1983 विश्व कप के बाद कभी भी फाइनल में नहीं पहुंच पाई. 1996 के सेमीफाइनल को छोड़ ये टीम कभी भी विश्व कप की बेस्ट चार टीमों का हिस्सा नहीं रही और अब आलम ये है कि वेस्टइंडीज की टीम वर्ल्ड कप टूर्नामेंट में ही नहीं है क्योंकि अपने प्रदर्शन के कारण वो क्वालीफाई तक नहीं कर पाई. वैसे वेस्टइंडीज की टीम 2012 और 2016 में टी20 विश्व कप और साल 2004 में चैंपियंस ट्रॉफी जीत चुकी है लेकिन वो 70 और 80 के दशक वाले सुनहरे दिन वापस लाने में उनकी करीब 3 पीढ़ियां क्रिकेट के मैदान से रिटायर हो चुकी हैं.

कभी वेस्टइंडीज के गेंदबाज दुनियाभर के बल्लेबाजों के लिए आतंक का दूसरा नाम थे
कभी वेस्टइंडीज के गेंदबाज दुनियाभर के बल्लेबाजों के लिए आतंक का दूसरा नाम थे

वेस्टइंडीज की पेस बैटरी- आज के दौर में जब पेस बॉलिंग या रफ्तार की बात आती है तो फैन्स की जुबान पर ब्रेट ली, शोएब अख्तर, शॉन टेट, शेन बॉन्ड, डेल स्टेन जैसे गेंदबाजों के नाम आते हैं. 150 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से भी तेज गेंद फेंकने वाले ये गेंदबाज अलग-अलग टीमों का हिस्सा रहे और विपक्षी बल्लेबाजों के लिए खौफ का नाम थे. लेकिन सोचिये कि किसी टीम में एक साथ 4 ऐसे गेंदबाज हों तो विरोधी बल्लेबाजों का क्या हश्र होगा.

माइकल होल्डिंग, मैलकम मार्शल, एंडी रॉबर्ट्स और जोएल गार्नर... आज की पीढ़ी इन नामों से अनजान है लेकिन क्रिकेटर्स और क्रिकेट फैन्स की पिछली पीढ़ियां इनसे अनजान नहीं हैं. इस चौकड़ी ने वेस्टइंडीज को 70 और 80 के दशक में वो रुतबा दिलाया जिसका खौफ आज भी उस जमाने के बल्लेबाजों की जुबान पर आ ही जाता है. हो भी क्यों ना, ये गेंदबाज उस दौर के बल्लेबाजों के लिए आतंक का दूसरा नाम थे. क्रिकेट का ये वो दौर था जब गेंदबाज की रफ्तार सिर्फ बल्लेबाज महसूस कर सकता था, तब आज की तरह गेंद की रफ्तार मापने के लिए ना स्पीडोमीटर थे ना बल्लेबाजों के लिए हेलमेट या अन्य उपकरण थे और ना ही गेंदबाजों के लिए बाउंसर फेंकने पर कोई रोक-टोक थी. वेस्टइंडीज के गेंदबाज बल्लेबाजों की ठुड्डी से लेकर कोहनी, उंगली और एड़ी से लेकर पसलियों तक अंग-अंग का इम्तिहान लेते थे.

वेस्टइंडीज गेंदबाजों की तेज रफ्तार गेंदों ने दुनियाभर के बल्लेबाजों को ऐसे जख्म दिए हैं जो उनके साथ हमेशा रहे. इन गेंदबाजों के सामने बल्लेबाजों का चोटिल होना आम बात थी. वेस्टइंडीज के गेंदबाजों का खौफ आज भी कई बल्लेबाजों की ऑटोबायोग्राफी और क्रिकेट के किस्सों का हिस्सा है. इस चौकड़ी की परंपरा को आगे चलकर कर्टनी वॉल्श और कर्टनी एंब्रोस जैसे गेंदबाजों ने आगे बढ़ाया. लेकिन 90 का दशक खत्म होते-होते एक्सप्रेस गेंदबाजी के मोर्चे पर टीम पिछड़ती चली गई.

क्लाइव लॉयड, गैरी सोबर्स, विव रिचर्स जैसे खिलाड़ियों ने कई सालों तक वेस्टइंडीज को विश्व की सबसे घातक टीम बनाए रखा
क्लाइव लॉयड, गैरी सोबर्स, विव रिचर्स जैसे खिलाड़ियों ने कई सालों तक वेस्टइंडीज को विश्व की सबसे घातक टीम बनाए रखा

वेस्टइंडीज की बैटिंग- आज वेस्टइंडीज के बल्लेबाजों के नाम पूछें तो कई फैन्स क्रिस गेल और ब्रायन लारा के बाद सोच में पड़ जाएंगे लेकिन एक दौर था जब वेस्टइंडीज की बैटिंग लाइनअप किसी भी बॉलिंग अटैक की धज्जियां उड़ा देती थी. डेसमंड हेन्स, गॉर्डन ग्रीनिज, विवियन रिचर्ड्स, क्लाइव लॉयड, गैरी सोबर्स, रोहन कन्हाई, एल्विन कालीचरण जैसे बल्लेबाजों ने करीब दो दशक तक इस टीम को विजय रथ पर काबिज रखा. आज भी कोई खिलाड़ी ऑल टाइम बेस्ट टीम चुने तो उसमें विवियन रिचर्ड्स का नाम जरूर होगा, गैरी सोबर्स को आज तक का बेस्ट ऑलराउंडर कहा जाता है. आईसीसी की ओर से हर साल प्लेयर ऑफ द ईयर को सर गारफील्ड सोबर्स ट्रॉफी से नवाजा जाता है.

वेस्टइंडीज ने लारा, गेल और चंद्रपॉल जैसे कई बेहतरीन खिलाड़ी दिए लेकिन टीम वो बुलंदियां नहीं छू सकी
वेस्टइंडीज ने लारा, गेल और चंद्रपॉल जैसे कई बेहतरीन खिलाड़ी दिए लेकिन टीम वो बुलंदियां नहीं छू सकी

खिलाड़ी उभरे लेकिन टीम नहीं- वेस्टइंडीज की बल्लेबाजी की डोर को बाद में कुछ हद तक ब्रायन लारा, रामनरेश सरवन, शिव नारायण चंद्रपॉल, क्रिस गेल जैसे बल्लेबाजों ने संभाला, इसी तरह गेंदबाजी में भी कुछ गिने चुने नाम उभरे. लेकिन 90 के दशक से टीम का प्रदर्शन गिरता रहा और नई सदी के आते-आते जैसे वेस्टइंडीज टीम का सूरज इतिहास के पन्नों में ढल गया. इस दौर में कुछ सितारे चमके, कई यादगार इनिंग या गेंदबाजी परफॉर्मेंस हुईं. टीम के कुछ नाम दुनियाभर में चमके लेकिन एक टीम के रूप में वेस्टइंडीज फिर कभी भी वो जलवा नहीं दिखा पाई.

वेस्टइंडीज की टीम 70 और 80 के दशक का वो मुकाम कभी हासिल नहीं कर पाई
वेस्टइंडीज की टीम 70 और 80 के दशक का वो मुकाम कभी हासिल नहीं कर पाई

इतिहास के सुनहरे पन्ने और आज का सच- भले इस टीम ने नई सदी में दो टी20 विश्व कप और एक चैंपियंस ट्रॉफी अपने नाम की है लेकिन आज टीम की हालत ये है कि विश्व कप की टॉप 10 टीमों में शामिल होने के लिए वेस्टइंडीज को नीदरलैंड, श्रीलंका, नेपाल, युनाइटेड स्टेट्स, जिम्बाब्वे, स्कॉटलैंड, ओमान जैसी टीमों के साथ क्वालिफायर मुकाबले खेलने पड़े. जहां जून-जुलाई 2023 में खेले गए इन मुकाबलों में भी टीम जिंबाब्वे और स्कॉटलैंड जैसी टीमों से हार गई. इस क्वालिफायर से विश्व कप 2023 में जगह बनाने वाली नीदरलैंड्स ने भी वेस्टइंडीज को हराया था. वेस्टइंडीज ने 50 ओवर में 374 का विशाल स्कोर बनाया था लेकिन नीदरलैंड ने भी स्कोर टाई करने के बाद हुए सुपर ओवर में मैच जीत लिया. इन क्वालिफायर मुकाबलों में वेस्टइंडीज टीम का सबसे बुरे दौर की झलक नजर आई. आज आईसीसी रैंकिंग में वेस्टइंडीज टी20 में 7वें, टेस्ट में 8वें और वनडे में 10वें नंबर पर है.

ये भी पढ़ें: ICC Cricket World Cup : मेजबान को जीतने में लगे 36 साल, पिछले 3 वर्ल्ड कप में होस्ट नेशन बना चैंपियन, क्या इस बार टीम इंडिया बनेगी विश्व विजेता ?

हैदराबाद : Cricket World Cup 2023 कौन जीतेगा ? इसके जवाब में कोई टीम इंडिया पर दांव लगा रहा है तो कोई इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया को अगला विश्व विजेता बता रहा है. लेकिन यही सवाल अगर 4 और 5 दशक पहले पूछा गया होता तो क्रिकेट के नौसिखिये पंडित भी उस टीम पर दांव लगाते जो आज इस विश्व कप का हिस्सा ही नहीं है. ये कहानी है दो बार की विश्व विजेता और दो बार टी20 चैंपियन वेस्टइंडीज की, जो विश्व कप 2023 के लिए क्वालीफाई तक नहीं कर पाई. वनडे क्रिकेट के 5 दशक में ये इस टीम का सबसे खराब दौर है.

क्रिकेट और वेस्टइंडीज- क्रिकेट के मैदान पर पहला टेस्ट 1877 में खेला गया. इंग्लैंड में क्रिकेट का जन्म हुआ. वनडे हो या टेस्ट मैच, पहला मुकाबला इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच ही खेला गया. लेकिन क्रिकेट सिर्फ खेलने वालों के लिए ही नहीं देखने वालों के लिए भी रोमांचक हो सकता है, ये दुनिया को वेस्टइंडीज की टीम ने बताया. 1970 के दशक की शुरुआत में जब सीमित ओवरों के मैच खेले गए तो इस टीम ने दुनिया की हर टीम को मानो घुटने पर ला दिया था. उत्तर और दक्षिण अमेरिका के बीच बसे छोटे-छोटे टापू मिलकर वेस्टइंडीज नाम का देश बनाते हैं और इन्हीं टापुओं से क्रिकेट के मैदान को ऐसे रोमांचक पल, बेहतरी खिलाड़ी और एक वर्ल्ड चैंपियन टीम दी, जिसे दुनिया तब तक याद करेगी जब तक क्रिकेट रहेगा.

  • #OnThisDay in 1975, Clive Lloyd became the first man to lift the Cricket World Cup!

    His all-conquering team beat Australia by 17 runs in the final at Lord's.

    Lloyd hit 102 and Viv Richards was amazing in the outfield on one of the greatest days in our history! pic.twitter.com/EfZPfTIG13

    — Windies Cricket (@windiescricket) June 21, 2018 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

शिखर से सिफर तक- 70 और 80 के दशक तक आधे दर्जन से ज्यादा देश क्रिकेट के मैदान पर उतर आए थे लेकिन उस दौर में जो मुकाम वेस्टइंडीज की टीम ने हासिल किया उसके आस-पास भी आज कोई टीम नहीं है. 1975 में जब पहली बार वनडे क्रिकेट विश्व कप की शुरुआत हुई, जिसमें 8 टीमों ने हिस्सा लिया लेकिन कोई भी टीम वेस्टइंडीज के सामने टिक नहीं पाई, वेस्टइंडीज ने अपने पांचों मैच जीते और फाइनल में ऑस्ट्रेलिया को हराकर पहला वर्ल्ड कप जीता. 1979 में भी इंग्लैंड मेजबान बना जो इस बार फाइनल में पहुंचा जहां क्लाइव लॉयड की कप्तानी में वेस्टइंडीज ने लगभग एकतरफा मुकाबला जीतकर लगातार दूसरी बार विश्व कप अपने नाम किया.

70 के दशक में वनडे क्रिकेट की शुरुआत के साथ ही वेस्टइंडीज ने अपनी ऐसी पहचान बनाई, जिसके आगे इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया सरीखी टीमें भी पानी भरती नजर आती थीं. 80 के दशक का पहला विश्वकप साल 1983 में खेला गया. पहले दो विश्व कप की तरह इंग्लैंड ही मेजबान था लेकिन इस बार दुनिया को भारत के रूप में नया चैंपियन मिला. दरअसल उस दौर में वेस्टइंडीज के कद का आलम ये था कि भारत की जीत को तुक्का तक कह दिया गया. इसकी वजह थी 70 और 80 के दशक में वेस्टइंडीज की अपराजेय मानी जाने वाली वो टीम, जिसकी गवाही खुद आंकड़े देते हैं. 1975 और 1979 विश्वकप में वेस्टइंडीज की टीम एक भी मैच नहीं हारी जबकि 1983 में उसे सिर्फ भारत की टीम से हार मिली थी. हालांकि टीम का दबदबा इस विश्व कप के बाद भी जारी रहा लेकिन टीम वो मुकाम कभी हासिल नहीं कर पाई.

90 का दशक आते-आते टीम के वो बड़े खिलाड़ी रिटायर होते रहे जिन्होंने टीम को जीत की लत लगा रखी थी. आलम ये था कि दो बार की विश्व चैंपियन टीम 1983 विश्व कप के बाद कभी भी फाइनल में नहीं पहुंच पाई. 1996 के सेमीफाइनल को छोड़ ये टीम कभी भी विश्व कप की बेस्ट चार टीमों का हिस्सा नहीं रही और अब आलम ये है कि वेस्टइंडीज की टीम वर्ल्ड कप टूर्नामेंट में ही नहीं है क्योंकि अपने प्रदर्शन के कारण वो क्वालीफाई तक नहीं कर पाई. वैसे वेस्टइंडीज की टीम 2012 और 2016 में टी20 विश्व कप और साल 2004 में चैंपियंस ट्रॉफी जीत चुकी है लेकिन वो 70 और 80 के दशक वाले सुनहरे दिन वापस लाने में उनकी करीब 3 पीढ़ियां क्रिकेट के मैदान से रिटायर हो चुकी हैं.

कभी वेस्टइंडीज के गेंदबाज दुनियाभर के बल्लेबाजों के लिए आतंक का दूसरा नाम थे
कभी वेस्टइंडीज के गेंदबाज दुनियाभर के बल्लेबाजों के लिए आतंक का दूसरा नाम थे

वेस्टइंडीज की पेस बैटरी- आज के दौर में जब पेस बॉलिंग या रफ्तार की बात आती है तो फैन्स की जुबान पर ब्रेट ली, शोएब अख्तर, शॉन टेट, शेन बॉन्ड, डेल स्टेन जैसे गेंदबाजों के नाम आते हैं. 150 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से भी तेज गेंद फेंकने वाले ये गेंदबाज अलग-अलग टीमों का हिस्सा रहे और विपक्षी बल्लेबाजों के लिए खौफ का नाम थे. लेकिन सोचिये कि किसी टीम में एक साथ 4 ऐसे गेंदबाज हों तो विरोधी बल्लेबाजों का क्या हश्र होगा.

माइकल होल्डिंग, मैलकम मार्शल, एंडी रॉबर्ट्स और जोएल गार्नर... आज की पीढ़ी इन नामों से अनजान है लेकिन क्रिकेटर्स और क्रिकेट फैन्स की पिछली पीढ़ियां इनसे अनजान नहीं हैं. इस चौकड़ी ने वेस्टइंडीज को 70 और 80 के दशक में वो रुतबा दिलाया जिसका खौफ आज भी उस जमाने के बल्लेबाजों की जुबान पर आ ही जाता है. हो भी क्यों ना, ये गेंदबाज उस दौर के बल्लेबाजों के लिए आतंक का दूसरा नाम थे. क्रिकेट का ये वो दौर था जब गेंदबाज की रफ्तार सिर्फ बल्लेबाज महसूस कर सकता था, तब आज की तरह गेंद की रफ्तार मापने के लिए ना स्पीडोमीटर थे ना बल्लेबाजों के लिए हेलमेट या अन्य उपकरण थे और ना ही गेंदबाजों के लिए बाउंसर फेंकने पर कोई रोक-टोक थी. वेस्टइंडीज के गेंदबाज बल्लेबाजों की ठुड्डी से लेकर कोहनी, उंगली और एड़ी से लेकर पसलियों तक अंग-अंग का इम्तिहान लेते थे.

वेस्टइंडीज गेंदबाजों की तेज रफ्तार गेंदों ने दुनियाभर के बल्लेबाजों को ऐसे जख्म दिए हैं जो उनके साथ हमेशा रहे. इन गेंदबाजों के सामने बल्लेबाजों का चोटिल होना आम बात थी. वेस्टइंडीज के गेंदबाजों का खौफ आज भी कई बल्लेबाजों की ऑटोबायोग्राफी और क्रिकेट के किस्सों का हिस्सा है. इस चौकड़ी की परंपरा को आगे चलकर कर्टनी वॉल्श और कर्टनी एंब्रोस जैसे गेंदबाजों ने आगे बढ़ाया. लेकिन 90 का दशक खत्म होते-होते एक्सप्रेस गेंदबाजी के मोर्चे पर टीम पिछड़ती चली गई.

क्लाइव लॉयड, गैरी सोबर्स, विव रिचर्स जैसे खिलाड़ियों ने कई सालों तक वेस्टइंडीज को विश्व की सबसे घातक टीम बनाए रखा
क्लाइव लॉयड, गैरी सोबर्स, विव रिचर्स जैसे खिलाड़ियों ने कई सालों तक वेस्टइंडीज को विश्व की सबसे घातक टीम बनाए रखा

वेस्टइंडीज की बैटिंग- आज वेस्टइंडीज के बल्लेबाजों के नाम पूछें तो कई फैन्स क्रिस गेल और ब्रायन लारा के बाद सोच में पड़ जाएंगे लेकिन एक दौर था जब वेस्टइंडीज की बैटिंग लाइनअप किसी भी बॉलिंग अटैक की धज्जियां उड़ा देती थी. डेसमंड हेन्स, गॉर्डन ग्रीनिज, विवियन रिचर्ड्स, क्लाइव लॉयड, गैरी सोबर्स, रोहन कन्हाई, एल्विन कालीचरण जैसे बल्लेबाजों ने करीब दो दशक तक इस टीम को विजय रथ पर काबिज रखा. आज भी कोई खिलाड़ी ऑल टाइम बेस्ट टीम चुने तो उसमें विवियन रिचर्ड्स का नाम जरूर होगा, गैरी सोबर्स को आज तक का बेस्ट ऑलराउंडर कहा जाता है. आईसीसी की ओर से हर साल प्लेयर ऑफ द ईयर को सर गारफील्ड सोबर्स ट्रॉफी से नवाजा जाता है.

वेस्टइंडीज ने लारा, गेल और चंद्रपॉल जैसे कई बेहतरीन खिलाड़ी दिए लेकिन टीम वो बुलंदियां नहीं छू सकी
वेस्टइंडीज ने लारा, गेल और चंद्रपॉल जैसे कई बेहतरीन खिलाड़ी दिए लेकिन टीम वो बुलंदियां नहीं छू सकी

खिलाड़ी उभरे लेकिन टीम नहीं- वेस्टइंडीज की बल्लेबाजी की डोर को बाद में कुछ हद तक ब्रायन लारा, रामनरेश सरवन, शिव नारायण चंद्रपॉल, क्रिस गेल जैसे बल्लेबाजों ने संभाला, इसी तरह गेंदबाजी में भी कुछ गिने चुने नाम उभरे. लेकिन 90 के दशक से टीम का प्रदर्शन गिरता रहा और नई सदी के आते-आते जैसे वेस्टइंडीज टीम का सूरज इतिहास के पन्नों में ढल गया. इस दौर में कुछ सितारे चमके, कई यादगार इनिंग या गेंदबाजी परफॉर्मेंस हुईं. टीम के कुछ नाम दुनियाभर में चमके लेकिन एक टीम के रूप में वेस्टइंडीज फिर कभी भी वो जलवा नहीं दिखा पाई.

वेस्टइंडीज की टीम 70 और 80 के दशक का वो मुकाम कभी हासिल नहीं कर पाई
वेस्टइंडीज की टीम 70 और 80 के दशक का वो मुकाम कभी हासिल नहीं कर पाई

इतिहास के सुनहरे पन्ने और आज का सच- भले इस टीम ने नई सदी में दो टी20 विश्व कप और एक चैंपियंस ट्रॉफी अपने नाम की है लेकिन आज टीम की हालत ये है कि विश्व कप की टॉप 10 टीमों में शामिल होने के लिए वेस्टइंडीज को नीदरलैंड, श्रीलंका, नेपाल, युनाइटेड स्टेट्स, जिम्बाब्वे, स्कॉटलैंड, ओमान जैसी टीमों के साथ क्वालिफायर मुकाबले खेलने पड़े. जहां जून-जुलाई 2023 में खेले गए इन मुकाबलों में भी टीम जिंबाब्वे और स्कॉटलैंड जैसी टीमों से हार गई. इस क्वालिफायर से विश्व कप 2023 में जगह बनाने वाली नीदरलैंड्स ने भी वेस्टइंडीज को हराया था. वेस्टइंडीज ने 50 ओवर में 374 का विशाल स्कोर बनाया था लेकिन नीदरलैंड ने भी स्कोर टाई करने के बाद हुए सुपर ओवर में मैच जीत लिया. इन क्वालिफायर मुकाबलों में वेस्टइंडीज टीम का सबसे बुरे दौर की झलक नजर आई. आज आईसीसी रैंकिंग में वेस्टइंडीज टी20 में 7वें, टेस्ट में 8वें और वनडे में 10वें नंबर पर है.

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