मुंबई: भारत के पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी युवराज सिंह ने मंगलवार को कहा है कि भारतीय टीम को एक मनोवैज्ञानिक की जरूरत है, जो युवा खिलाड़ियों का ध्यान रख सके, खासकर युवा ऋषभ पंत और हार्दिक पांड्या जैसे खिलाड़ियों का. युवराज ने कहा कि टीम में उस इंसान की कमी है, जो जरूरत पड़ने पर खिलाड़ियों को मानसिक तौर पर मदद कर सके.
'भारतीय टीम के युवाओं को मनोवैज्ञानिक की जरूरत'
एक यूट्यूब पेज से बात करते हुए युवराज ने कहा, "इस टीम में कोई ऐसा खिलाड़ी नहीं है, जो टीम के साथियों से मानसिकता को लेकर बात कर सके. पृथ्वी शॉ और पंत काफी प्रतिभशाली हैं, लेकिन काफी चौकसी और मीडिया होने के कारण आपको कोई चाहिेए होता है जिससे आप बात कर सको."
पूर्व हरफनमौला खिलाड़ी ने कहा, "टीम को एक अच्छे मनोवैज्ञानिक की जरूरत है, लेकिन उनका सम्मान किया जाना चाहिए."
'अगले विश्व कप में काफी बड़े खिलाड़ी साबित हो सकते हैं पांड्या'
उन्होंने कहा, "पांड्या में काफी प्रतिभा है. किसी को उनकी मानसिकता के साथ काम करने की जरूरत है, ताकि वह मुश्किल स्थिति में अच्छा कर सकें. अगर कोई उनकी मानसिकता के साथ काम कर सकता है तो वह अगले विश्व कप में काफी बड़े खिलाड़ी साबित हो सकते हैं."
'युवराज सिंह ने कोच शास्त्री को लेकर कही ये बात'
युवराज ने टीम के मौजूदा कोच रवि शास्त्री के बारे में कहा, "शास्त्री के मार्गदर्शन में टीम ने शानदार प्रदर्शन किया है. टीम ऑस्ट्रेलिया में जीती. एक कोच के तौर पर वो कैसे मैं नहीं जानता. मैं उनके मार्गदर्शन में कम ही खेला हूं. मैं जानता हूं कि आप हर खिलाड़ी के साथ एक जैसा व्यवहार नहीं कर सकते. हर खिलाड़ी के साथ तरीके अलग होते हैं और मैं इस कोचिंग स्टाफ में वो नहीं देखता."
युवी ने विक्रम राठौड़ की क्षमता पर उठाए सवाल
युवराज सिंह ने भारत के बल्लेबाजी कोच विक्रम राठौड़ की टी20 प्रारूप में खिलाड़ियों का मार्गदर्शन कर पाने की क्षमता पर सवाल उठाया. राठौड़ को पिछले साल संजय बांगड़ की जगह बल्लेबाजी कोच बनाया गया है.
उन्होंने कहा, "आपके पास बल्लेबाजी कोच विक्रम राठौर हैं. राठौड़ मेरा दोस्त है. क्या आपको लगता है कि वह टी20 खिलाड़ियों की मदद कर सकता है. उसने उस स्तर पर क्रिकेट खेली ही नहीं है."
राठौड़ ने भारत के लिए 1996 से 1997 के बीच छह टेस्ट और सात वनडे खेले हैं. युवराज ने कहा कि अलग अलग खिलाड़ियों के साथ अलग तरीके से पेश आना पड़ता है.
सीनियर चयन समिति को भी लिया आड़े हाथों
युवराज ने सुनील जोशी की अध्यक्षता वाली सीनियर चयन समिति को भी आड़े हाथों लिया और कहा कि चूंकि उन्होंने भारत के लिए ज्यादा क्रिकेट नहीं खेली है तो उनकी मानसिकता फैसलों को चुनौती देने वाली नहीं होगी.
युवराज ने कहा, "मैं हमेशा कहता हूं कि चयनकर्ताओं को फैसलों को चुनौती देने वाला होना चाहिए, लेकिन आपके चयनकर्ताओं ने सिर्फ चार-पांच मैच वनडे मैच खेले हों, तो उनकी मानसिकता उसी तरह की होगी. यह चीजें तब नहीं होती थी जब सौरव गांगुली और महेंद्र सिंह धोनी कप्तान थे. 2011 विश्व कप में हमारे पास अच्छी खासी अनुभवी टीम थी."