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स्पाइक्स न पहनने पर पड़ी थी जोरदार डांट.. उमेश यादव ने सुनाया संघर्ष के दिनों का किस्सा

उमेश यादव ने अपने संघर्ष के दिनों का किस्सा सुनाते हुए बताया है कि किस तरह उनके पास स्पाइक्स न होने के कारण डांट पड़ी थी.

उमेश यादव
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Published : Jun 12, 2020, 6:33 AM IST

नई दिल्ली : भारतीय टेस्ट क्रिकेट टीम के बेमिसाल गेंदबाज उमेश यादव का कहना है कि बचपन में क्रिकेट की कम जानकारी होने के कारण उन्हें डांट खानी पड़ी थी. उमेश ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि क्रिकेट के शुरुआती दौर में उनका क्रिकेट ज्ञान कम था. उन्हें नहीं पता था कि गेंदबाजी के लिए स्पाइक वाले जूते चाहिए होते हैं.

उमेश यादव
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गौरतलब है कि उमेश ने एक किस्सा सुनाते हुए कहा कि जब वे छोटे थे तब एक जिला स्तरीय टूर्नामेंट में उन्हें क्रिकेट बोर्ड के सचिव मिले. उन्होंने उन्हें नागपुर आने को कहा. नागपुर में पहला मैच खेला. आठ विकेट ले लिए, इसके बाद टॉप-30 समय कैंप का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रण मिला और वहां जाते ही उन्हें कोच से जोरदार डांट पड़ी.

उमेश ने कहा, "कोच ने मुझे बुलाया और पूछा कि मेरे जूते कहां हैं. मैंने उनको बताया कि मेरे पास स्पाइक्स नहीं हैं और मुझे अपने सामान्य जूतों में ही गेंदबाजी करनी होगी. इतना सुनते ही वो बहुत नाराज हो गए. उन्होंने कहा कि तुम यहां खेलने कैसे आ सकते हो, तुम्हारे पास तो स्पाइक्स भी नहीं है. किसी को भी बुला लेते हैं खेलने के लिए। चले जाओ यहां से."

उमेश यादव
उमेश यादव

यह भी पढ़ें- यूं एथलीट वाइफ ने किया कार्तिक को ट्रेनिंग के लिए प्रेरित.. खुद दिनेश ने किया खुलासा

उमेश ने कहा, "उस वक्त मैं बहुत नाराज था. सोचता था कि आगे कभी क्रिकेट नहीं खेलूंगा लेकिन फिर मैंने हार नहीं मानी. हर किसी को एक सीमा तक संघर्ष करना पड़ता है. मैं कभी नहीं कहूंगा कि मेरा संघर्ष किसी भी दूसरे के मुकाबले अधिक रहा है. मैं सिर्फ यही कहना चाहूंगा कि खुद पर भरोसा रखना बहुत जरूरी है. यदि आप मानते रहेंगे कि आप एक दिन सफलता के शिखर पर होंगे, तो आप जरूर होंगे"

नई दिल्ली : भारतीय टेस्ट क्रिकेट टीम के बेमिसाल गेंदबाज उमेश यादव का कहना है कि बचपन में क्रिकेट की कम जानकारी होने के कारण उन्हें डांट खानी पड़ी थी. उमेश ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि क्रिकेट के शुरुआती दौर में उनका क्रिकेट ज्ञान कम था. उन्हें नहीं पता था कि गेंदबाजी के लिए स्पाइक वाले जूते चाहिए होते हैं.

उमेश यादव
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गौरतलब है कि उमेश ने एक किस्सा सुनाते हुए कहा कि जब वे छोटे थे तब एक जिला स्तरीय टूर्नामेंट में उन्हें क्रिकेट बोर्ड के सचिव मिले. उन्होंने उन्हें नागपुर आने को कहा. नागपुर में पहला मैच खेला. आठ विकेट ले लिए, इसके बाद टॉप-30 समय कैंप का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रण मिला और वहां जाते ही उन्हें कोच से जोरदार डांट पड़ी.

उमेश ने कहा, "कोच ने मुझे बुलाया और पूछा कि मेरे जूते कहां हैं. मैंने उनको बताया कि मेरे पास स्पाइक्स नहीं हैं और मुझे अपने सामान्य जूतों में ही गेंदबाजी करनी होगी. इतना सुनते ही वो बहुत नाराज हो गए. उन्होंने कहा कि तुम यहां खेलने कैसे आ सकते हो, तुम्हारे पास तो स्पाइक्स भी नहीं है. किसी को भी बुला लेते हैं खेलने के लिए। चले जाओ यहां से."

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उमेश ने कहा, "उस वक्त मैं बहुत नाराज था. सोचता था कि आगे कभी क्रिकेट नहीं खेलूंगा लेकिन फिर मैंने हार नहीं मानी. हर किसी को एक सीमा तक संघर्ष करना पड़ता है. मैं कभी नहीं कहूंगा कि मेरा संघर्ष किसी भी दूसरे के मुकाबले अधिक रहा है. मैं सिर्फ यही कहना चाहूंगा कि खुद पर भरोसा रखना बहुत जरूरी है. यदि आप मानते रहेंगे कि आप एक दिन सफलता के शिखर पर होंगे, तो आप जरूर होंगे"

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