कोलंबो : मुंबई में खेले गए 2011 विश्व कप के भारत और श्रीलंका के बीच फाइनल मैच में रोमांच की कोई कमी नहीं थी, वो मैच भारत ने जीत लिया था और दूसरी बार भारत विश्व चैंपियन बना था. उस मैच में टॉस में कंन्फूजन हो गया था और फिर श्रीलंका ने पहले बल्लेबाजी करने का फैसला ले लिया था. महेला जयवर्धने के शतक ने श्रीलंका को अच्छा स्कोर खड़ा करने में मदद की थी. फिर वीरेंद्र सहवाग पहले ही ओवर में आउट हो गए और सचिन तेंदुलकर भी सस्ते में पेवेलियन लौटे.
विराट कोहली और गौतम गंभीर ने साझेदारी निभाई लेकिन कोहली के आउट होने के बाद युवराज सिंह की जगह एमएस धोनी आ गए. गंभीर अपने शतक से चूके औक धोनी ने आखिरी में नुवान कुलसेकारा की गेंद पर छक्का मार कर मैच जिता दिया.
अगर इन सब वाक्यों में से एक चीज अलग होती को वानखेड़े स्टेडियम का नजारा कुछ और होता. श्रीलंका के स्टार ऑलराउंडर एंजेलो मैथ्यूज ने खुलासा किया है कि उनकी टीम को 20-30 रन ज्यादा बनाने चाहिए थे.
उन्होंने कहा, "वो मेरा पहला 50 ओवर का विश्व कप था, मैंने 2009 और 2010 में वर्ल्ड टी20 खेला था. 2011 विश्व कप खास था, इस वजह से क्योंकि हम अपने कंडीशन पर खेल रहे थे. हमने फाइनल तक पहुंचने के लिए कुछ शानदार मैच भी खेले थे और फाइनल भी रोमांचक मैच था. लेकिन मैं चोटिल हो गया, जो मेरा निराशाजनक पल था. मैं चाहता था कि सेमीफाइनल जीतने के बाद मैं फाइनल भी खेलूं."
उन्होंने कहा, "मैं दो हफ्ते तक चल बी नहीं पा रहा था. डॉक्टर ने भी न खेलने की सलाह दी थी. लेकिन इस बात का मैं शुक्रगुजार हूं कि मुझे भारत ले जाया गया था ताकि वे देख सकें कि मुझे खिलाया जा सकता है या नहीं, लेकिन मैं नहीं खेल सका."
फाइनल को याद करते हुए मैथ्यूज ने कहा, "मुझे अभी भी लगता है कि अगर हमने 320 रन बनाए होते तो हमारे लिए अच्छा होता. भारत विकेट्स फ्लैट होते हैं जो बल्लेबाजों के लिए अच्छा है, उनको रोकना मुश्किल था. भारत के लिए पास शानदार बैटिंग लाइन अप थी."
मैथ्यूज ने आगे कहा, "हमारे पास 20-30 रनों की कमी हो गई थी. हम जीत सकते थे लेकिन गंभीर और कोहली ने अच्छी बल्लेबाजी की थी. फिर एमएन धोनी आए और फिनिश कर के गए. कुल मिल कर ये अच्छा गेम था."