नई दिल्ली: तीसरे विश्व कप में भारत को कोई जीत का दावेदार मान नहीं रहा था, लेकिन कपिल की कप्तानी वाली टीम ने इतिहास रचते हुए दो बार की विश्व विजेता वेस्टइंडीज को मात दे पहली बार विश्व कप अपने नाम किया. यह जीत इस तरह थी कि खिलाड़ी खुद विश्वास नहीं कर पा रहे थे.
1983 में विश्व कप जीतने वाली टीम के सदस्य रहे कीर्ति आजाद ने मीडिया से कहा, "मैं उस समय को कैसे बताऊं। आप उस भावना को कैसे बयान कर सकते हो कि आप विश्व विजेता बन गए हो, वो भी लॉडर्स पर हजारों दर्शकों के सामने. हम ड्रैसिंग रूम से दर्शकों की तरफ सिर्फ हाथ हिला रहे थे."
उन्होंने कहा, "मैं सिर्फ अपने सीट पर बैठा था और अपने आप को यकीन दिला रहा था कि मैं सपना नहीं देख रहा. इसके बाद मैंने जश्न में हिस्सा लिया.
आजाद के मुताबिक, ट्रॉफी उठाना भारतीय क्रिकेट में बदलाव का पल साबित हुआ.
उन्होंने कहा, "जो भी इंसान किसी भी मैदान पर जाता है तो वह अच्छा करना चाहता है और नाम कमाना चाहता है. वह हमारे करियर का बड़ा पल था. मुझे लगता है कि मैं उस उत्साह को और गर्व को अंतिम सांस तक साथ रखूंगा."
उन्होंने कहा, "यह ऐसा लगता है कि कल की ही तो बात है. इसने भारत को दुनिया के नक्शे पर ला दिया था और भारत सुपरपावर बन गया. यह कई युवाओं के लिए मील का पत्थर साबित हुआ."
फाइनल मैच को लेकर आजाद ने कहा, "विंडीज टीम अजेय थी. उसने पहले के दो विश्व कप जीते थे. कई क्रिकेटरों ने मान लिया था कि विंडीज टीम सर्वश्रेष्ठ है."
उन्होंने कहा, "एक चीज जो कपिल ने की थी.. उन्होंने कहा था कि चलो अपनी सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट खेलते हैं. जीत या हार के बारे में नहीं सोचते हैं. अगर हम अच्छा खेले तो लोगों का पैसा वसूल हो जाएगा."
आजाद ने साथ ही याद किया कि 183 रनों का छोटा स्कोर बनाने के बाद ड्रेसिंग रूम में लोगों का मूड कैसा था.
उन्होंने कहा, "हम सभी जानते थे कि विंडीज की टीम को देखते हुए वो स्कोर काफी नहीं है. कपिल ने कहा कि चलो लड़ते हैं. यह लड़ने लायक टोटल है. हमने रन बनाए हैं और उन्हें बनाने हैं. इसलिए लड़ते हैं."
उन्होंने कहा, "इस तरह यह हुआ. और इसके बाद कपिल द्वारा पकड़ा गया विवियन रिचडर्स का कैच, उसने मैच को बदल दिया था. वहां से विकेट गिरते रहे और हम बल्लेबाजों पर दबाव बनाते रहे. हमें पता था कि अगर हम विंडीज के बल्लेबाजों पर दबाव बनाएंगे तो वह दब जाएंगे."