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जानिए क्या है रणजी ट्रॉफी का गुजरात क्नेक्शन - cricket news

लेट कट और लेग ग्लांस जैसे शॉट्स को क्रिकेट में लाने वाले रणजीत सिंह का आज 147वां जन्मदिन है. रणजीत सिंह के नाम पर भारत में घरेलू क्रिकेट टूर्नामेंट रणजी ट्रॉफी खेली जाती है.

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Published : Sep 10, 2019, 2:46 PM IST

Updated : Sep 30, 2019, 3:09 AM IST

हैदराबाद : भारतीय क्रिकेट के पितामाह कहे जाने वाले रणजीत सिंह का आज 147वां जन्मदिन है. जिस समय रणजी ने क्रिकेट खेलना शुरू किया था तब भारत की कोई अंतरराष्ट्रीय टीम नहीं थी. आज उन्हीं के नाम पर भारत में घरेलू क्रिकेट टूर्नामेंट रणजी ट्रॉफी खेली जाती है.

वे भारत में पैदा तो हुए थे लेकिन उन्होंने इंग्लैंड में क्रिकेट खेला था. उनके पास टाइमिंग थी, ग्रेस था और कमाल के शॉट्स भी थे. इन्हीं खास खूबियों की वजह से उन्हें पूर्व का जादू कहा जाता था.

रणजीत सिंह
रणजीत सिंह
रणजी का जन्म 10 सितंबर 1872 में गुजरात के काठियावाड़ में हुआ था. रणजीत के पास शॉट्स का भंडार था. वो जिस तरह ग्लांस खेलते थे शायद ही कोई खिलाड़ी खेल सकता है. उनकी तेज नजर और तेज रिऐक्शन टाइमिंग के चलते रणजीत क्रिकेट में लेट कट और लेग ग्लांस लेकर आए. पहले-पहल उन्हीं के बल्ले से बैकफुट डिफेंस निकला.1891 में रणजी इंग्लैंड में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी पढ़ने गए. पढ़ाई पूरी करने के बाद 1895 में उन्होंने ससेक्स के लिए खेलना शुरू किया. लॉर्ड्स पर पहले मैच में उन्होंने एमसीसी के खिलाफ 77 और 150 रनों की पारी खेली.उनके टेस्ट करियर की शुरुआत हुई 1896 में. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ओल्ड ट्रैफर्ड में उन्होंने 62 और 154 नाबाद रनों की पारियां खेलीं. 1895 से लेकर उन्होंने लगातार 10 सीजन तक हर साल 1000 से ज्यादा रन बनाए.

यह भी पढ़े- टेनिस : ब्राजील के माटोस पर मैच फिक्सिंग का आरोप, लगा आजीवन प्रतिबंध

1897-98 के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर उन्होंने 60.89 के औसत से 1157 रन बनाए. फर्स्ट क्लास मैचों की बात करें तो उन्होंने 307 मैचों में 24692 रन बनाए. सर्वोच्च स्कोर रहा 285 नॉट आउट. इस दौरान उन्होंने 72 शतक लगाए और 109 बार हाफ सेंचुरी जड़ीं.

क्रिकेट के अलग वे मार्च 1907 में नवांनगर के महाराजा जाम साहब बने. पहले विश्व युद्ध के बाद उन्होंने लीग ऑफ नेशंस में चैंबर ऑफ प्रिसेस में भी काम किया. उनके भतीजे दलीप सिंह ने भी बाद में इंग्लैंड का प्रतिनिधित्व किया.

हैदराबाद : भारतीय क्रिकेट के पितामाह कहे जाने वाले रणजीत सिंह का आज 147वां जन्मदिन है. जिस समय रणजी ने क्रिकेट खेलना शुरू किया था तब भारत की कोई अंतरराष्ट्रीय टीम नहीं थी. आज उन्हीं के नाम पर भारत में घरेलू क्रिकेट टूर्नामेंट रणजी ट्रॉफी खेली जाती है.

वे भारत में पैदा तो हुए थे लेकिन उन्होंने इंग्लैंड में क्रिकेट खेला था. उनके पास टाइमिंग थी, ग्रेस था और कमाल के शॉट्स भी थे. इन्हीं खास खूबियों की वजह से उन्हें पूर्व का जादू कहा जाता था.

रणजीत सिंह
रणजीत सिंह
रणजी का जन्म 10 सितंबर 1872 में गुजरात के काठियावाड़ में हुआ था. रणजीत के पास शॉट्स का भंडार था. वो जिस तरह ग्लांस खेलते थे शायद ही कोई खिलाड़ी खेल सकता है. उनकी तेज नजर और तेज रिऐक्शन टाइमिंग के चलते रणजीत क्रिकेट में लेट कट और लेग ग्लांस लेकर आए. पहले-पहल उन्हीं के बल्ले से बैकफुट डिफेंस निकला.1891 में रणजी इंग्लैंड में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी पढ़ने गए. पढ़ाई पूरी करने के बाद 1895 में उन्होंने ससेक्स के लिए खेलना शुरू किया. लॉर्ड्स पर पहले मैच में उन्होंने एमसीसी के खिलाफ 77 और 150 रनों की पारी खेली.उनके टेस्ट करियर की शुरुआत हुई 1896 में. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ओल्ड ट्रैफर्ड में उन्होंने 62 और 154 नाबाद रनों की पारियां खेलीं. 1895 से लेकर उन्होंने लगातार 10 सीजन तक हर साल 1000 से ज्यादा रन बनाए.

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1897-98 के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर उन्होंने 60.89 के औसत से 1157 रन बनाए. फर्स्ट क्लास मैचों की बात करें तो उन्होंने 307 मैचों में 24692 रन बनाए. सर्वोच्च स्कोर रहा 285 नॉट आउट. इस दौरान उन्होंने 72 शतक लगाए और 109 बार हाफ सेंचुरी जड़ीं.

क्रिकेट के अलग वे मार्च 1907 में नवांनगर के महाराजा जाम साहब बने. पहले विश्व युद्ध के बाद उन्होंने लीग ऑफ नेशंस में चैंबर ऑफ प्रिसेस में भी काम किया. उनके भतीजे दलीप सिंह ने भी बाद में इंग्लैंड का प्रतिनिधित्व किया.

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जानिए क्या है रणजी ट्रॉफी का गुजरात क्नेक्शन





 





हैदराबाद : भारतीय क्रिकेट के पितामाह कहे जाने वाले रणजीत सिंह का आज 147वां जन्मदिन है. जिस समय रणजी ने क्रिकेट खेलना शुरू किया था तब भारत की कोई अंतरराष्ट्रीय टीम नहीं थी. आज उन्हीं के नाम पर भारत में घरेलू क्रिकेट टूर्नामेंट रणजी ट्रॉफी खेली जाती है.

वे भारत में पैदा तो हुए थे लेकिन उन्होंने इंग्लैंड में क्रिकेट खेला था. उनके पास टाइमिंग थी, ग्रेस था और कमाल के शॉट्स भी थे. इन्हीं खास खूबियों की वजह से उन्हें पूर्व का जादू कहा जाता था.

रणजी का जन्म 10 सितंबर 1872 में गुजरात के काठियावाड़ में हुआ था. रणजीत के पास शॉट्स का भंडार था. वो जिस तरह ग्लांस खेलते थे शायद ही कोई खिलाड़ी खेल सकता है.

 उनकी तेज नजर और तेज रिऐक्शन टाइमिंग के चलते रणजीत क्रिकेट में लेट कट और लेग ग्लांस लेकर आए. पहले-पहल उन्हीं के बल्ले से बैकफुट डिफेंस निकला.

1891 में रणजी इंग्लैंड में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी पढ़ने गए.  पढ़ाई पूरी करने के बाद 1895 में उन्होंने ससेक्स के लिए खेलना शुरू किया. लॉर्ड्स पर पहले मैच में उन्होंने एमसीसी के खिलाफ 77 और 150 रनों की पारी खेली.

उनके टेस्ट करियर की शुरुआत हुई 1896 में. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ओल्ड ट्रैफर्ड में उन्होंने 62 और 154 नाबाद रनों की पारियां खेलीं. 1895 से लेकर उन्होंने लगातार 10 सीजन तक हर साल 1000 से ज्यादा रन बनाए.

 1897-98 के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर उन्होंने 60.89 के औसत से 1157 रन बनाए. फर्स्ट क्लास मैचों की बात करें तो उन्होंने 307 मैचों में 24692 रन बनाए. सर्वोच्च स्कोर रहा 285 नॉट आउट. इस दौरान उन्होंने 72 शतक लगाए और 109 बार हाफ सेंचुरी जड़ीं.

क्रिकेट के अलग वे मार्च 1907 में नवांनगर के महाराजा जाम साहब बने. पहले विश्व युद्ध के बाद उन्होंने लीग ऑफ नेशंस में चैंबर ऑफ प्रिसेस में भी काम किया. उनके भतीजे दलीप सिंह ने भी बाद में इंग्लैंड का प्रतिनिधित्व किया.




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Last Updated : Sep 30, 2019, 3:09 AM IST
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