हैदराबाद : एक दौर था जब भारतीय टीम सिर्फ स्पिनर्स और बल्लेबाजों के दम पर मैच जीता करती थी. 70-80 के दशक में जब कपिल देव के भारतीय क्रिकेट से जुड़ने के बाद ही भारतीय टीम में तेज गेंदबाजी मजबूत होने लगी. श्रीनाथ और जहीर खान जैसे कुछ ही बड़े नाम उस समय टीम में थे. लेकिन अब भारतीय टीम दुनिया की किसी भी टीम से कम नहीं है.
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🔹 49 Tests, 77 ODIs, 11 T20Is
— BCCI (@BCCI) September 3, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
🔹 336 international wickets
🔹 Fastest #TeamIndia bowler to claim 100 wickets in ODIs
Happy birthday, @MdShami11 👏
Let's bring in his birthday by reliving his sensational 5-wicket haul against South Africa.📽️🙌
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🔹 Fastest #TeamIndia bowler to claim 100 wickets in ODIs
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टीम इंडिया के पास वर्ल्ड क्लास बल्लेबाजों के अलावा वर्ल्ड क्लास स्पिनर्स और पेसर्स भी हैं. टीम इंडिया की पेस बैट्री जसप्रीत बुमराह, भुवनेश्वर कुमार, उमेश यादव, इशांत शर्मा और मोहम्मद शमी दुनिया के किसी भी बल्लेबाज को परेशान करने का बूता रखते हैं. देश के पांच जांबाज तेज गेंदबाजों में से एक मोहम्मद शमी आज 30 साल के हो गए हैं. शमी के एक किसान के बेटे हैं जो आज के दौर में भारत की आन, बान और शान बन चुके हैं.
गरीबी में बीता बचपन
शमी का जन्म 3 सितंबर 1990 को उत्तर प्रदेश के अमरोहा में किसान तौसीफ अहमद के घर पर हुआ था. हालांकि गरीबी कभी उनके और क्रिकेट के बीच नहीं आई. बचपन से ही वे तेज गेंदबाजी किया करते थे, क्रिकेट में उनकी रुचि देख कर उनके पिता ने शमी क्रिकेट खेलने के लिए बढ़ावा दिया. जब शमी 15 साल के हुए तब तौसीफ उनको मुरादाबाद के क्रिकेट कोच बदरुद्दीन सिद्दिकी के पास ले गए. शमी की गेंदबाजी देख कोच बदरुद्दीन बेहद प्रभावित हुए और उन्होंने शमी को ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया.
इस तरह पहुंचे कोलकाता
ट्रेनिंग करने के लिए वे हर दिन अपने गांव से कई किलोमीटर दूर जाया करते थे. हालांकि कड़ी मेहनत के बाद भी वे अंडर-19 ट्रायल में नहीं चुने गए. फिर भी वे हताश नहीं हुए और वे कोलकाता जा कर डलहाउजी एथलेटिक क्लब के लिए खेलने लगे. वहां उन्होंने अपनी लाइन, लेंथ और स्पीड कई गुना बेहतर कर ली जिससे देबब्रत दास काफी प्रभावित हुए. फिर उन्होंने शमी को 75 हजार के कॉन्ट्रैक्ट के साथ अपनी टाउन क्लब में शामिल कर लिया. इतना ही नहीं उन्होंने शमी को अपने घर में रहने के लिए जगह भी दी थी.
रणजी टीम तक का सफर
देबब्रत के कहने पर बंगाल टीम के सेलेक्टर समर्बन बैनर्जी ने बंगाल की टीम में शमी को जगह दे दी. इसी बीच मोहन बगान क्लब से जुड़ने के बाद शमी को सौरव गांगुली को गेंदबाजी करने का मौका मिला. फिर गांगुली ने भी उनकी घातक गेंदबाजी की सराहना करते हुए नेशनल सेलेक्टर से उन पर ध्यान देने का आग्रह किया. फिर 2010 में वे बंगाल रणजी टीम का हिस्सा बन गए थे. रणजी में सबका दिल जीतने के बाद उनको इंडिया ए टीम में खेलने का मौका मिला. इंडिया ए में सबको प्रभावित करने के बाद उनको सीनियर टीम इंडिया में जगह मिल गई.
वनडे डेब्यू मैच था खास
उन्होंने अपना पहला मैच पाकिस्तान के खिलाफ 6 जनवरी 2013 को खेला था, उन्होंने अपने डेब्यू वनडे मैच में 4 मेडन ओवर डाल कर कई रिकॉर्ड्स अपने नाम किए थे. फिर इसी तरह उनको टी-20 अंतरराष्ट्रीय और टेस्ट टीम में भी खेलने का मौका मिला. धीरे-धीरे वे टीम के अहम गेंदबाज बन गए. उस दौर में इशांत शर्मा का फॉर्म अच्छा नहीं चल रहा था और बुमराह का टीम इंडिया में उदय होना बाकी था. उसी समय शमी ने अपने दम पर टीम को कई बात जीत दिलाई. इसी के साथ उन्होंने वनडे में 56 मैचों में विकेटों का शतक बनाया था. जो सबसे कम मैचों में 100 वनडे विकेट लेने वाले भारतीय गेंदबाज बन गए.
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Birthday special!
— ICC (@ICC) September 3, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
Who remembers this excellent performance from Mohammad Shami in #CWC19?
A hat-trick against Afghanistan 🎩🎩🎩 pic.twitter.com/lzVMKhcb4Q
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— ICC (@ICC) September 3, 2020
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निजी जिंदगी में हुए कई विवाद
साल 2018 में उनके निजी जिंदगी में कई परेशानियां आईं लेकिन इसके बावजूद उन्होंने क्रिकेट से कभी ध्यान नहीं हटाया. उन्होंने 2019 विश्व कप में अफगानिस्तान के खिलाफ हैट्रिक भी ली थी. उन्होंने टीम इंडिया के लिए 49 टेस्ट, 77 वनडे और 11 टी-20 मैच खेले हैं जिसमें उन्होंने कुल 336 विकेट अपने नाम किए हैं.