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WORLD CUP SERIES : जब क्लाइव लॉयड एंड कंपनी ने शुरू कर दी थी जीत के जश्न की तैयारी

पहला ऐसा विश्वकप था जिसमें पहली बार 30 यार्ड सर्किल का प्रयोग किया गया. प्रूडेंशियल इंश्योरेंस लिमिटेड ने इस मेगा इवेंट को भी प्रायोजित किया था इसलिए इसे प्रूडेंशियल कप भी कहा गया. भारतीय टीम को अंडरडॉग्स से भी कम आंका गया था.

kapil dev and Clive Lloyd
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Published : May 13, 2019, 2:43 PM IST

Updated : May 13, 2019, 3:32 PM IST

हैदराबाद : 1983 का विश्व कप भारत के लिए कई मायनों में बहुत अहम रहा. कहा जाता है कि अगर भारत ने 1983 का विश्वकप नहीं जीता होता तो शायद भारत में आज क्रिकेट के इतने सुनहरे दिन कभी नहीं आते लेकिन 1983 की विश्व कप टीम के जो हीरो थे उनके बारे में बहुत से लोगों को याद भी नहीं है आइए चलते हैं 1983 की विश्वकप विजेता टीम के जीत के सफर पर.



पहले दो विश्वकप में भारत

1983 से पहले भी दो बार विश्वकप इंग्लैंड में ही खेले गए थे. दोनों बार वेस्टइंडीज ने खिताब अपने नाम किया था. पहला विश्व कप साल 1975 में खेला गया था. जिसे इसे प्रूडेंशियल कप भी कहा जाता था क्योंकि प्रूडेंशियल इंश्योरेंस लिमिटेड ने इस मेगा इवेंट को भी प्रायोजित किया था.यह टूर्नामेंट 9 जून से शुरू हुआ और फाइनल 25 जून को खेला गया.

जीत के बाद वेस्टइंडीज के खिलाड़ी
जीत के बाद वेस्टइंडीज के खिलाड़ी

दूसरा विश्व कप भी भारत के लिए बेहद ही खराब रहा. भारत पहला ऐसा देश था जिसे टेस्ट टीम का दर्जा प्राप्त था लेकिन विश्वकप में एक भी मैच नहीं जीत पाया . भारत ने अपने तीनों के तीनों मैच हारे थे. भारत को न्यूजीलैंड, श्रीलंका और वेस्टइंडीज के साथ ग्रुप बी में रखा गया था. इस बार भी वेस्टइंडीज ने बाजी मारी और विश्व क्रिकेट में अपनी धाक जमा ली.



कमजोर भारतीय टीम और तीसरा विश्वकप

यह टूर्नामेंट 1983 में 9 से 25 जून तक खेला गया. इस बार भी विश्‍व कप का आयोजन इंग्लैंड में हुआ. यह विश्व कप भारत के लिए एक यादगार लम्हा लेकर आया जब हमने पहली बार विश्वकप जीता.

1983 विश्वकप की भारतीय टीम
1983 विश्वकप की भारतीय टीम

ग्रुप ए में इंग्लैंड, पाकिस्तान, न्यूजीलैंड और श्रीलंका की टीमें थी, तो ग्रुप बी में वेस्टइंडीज, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जिम्‍बाब्‍वे की टीमें. भारत और जिम्बाब्वे जैसी टीमों को अंडरडॉग्स से भी कम आंका जाता था. भारत ने अपने शुरुआती मैचों में वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया पर लगातार जीत दर्ज की.



नए नियम हुए थे लागू

इस बार भी आठ टीमों ने प्रतियोगिता में हिस्सा लिया. इसी विश्व कप में पहली बार 30 यार्ड सर्किल का प्रयोग किया गया. जिसके तहत इस घेरे के अंदर हर समय कम से कम चार क्षेत्ररक्षक खिलाड़ी होने चाहिए. चार-चार के दो ग्रुपों में टीमों को बांटा गया. इस बार अंतर सिर्फ ये हुआ कि अब ग्रुप की टीमों को आपस में एक-एक नहीं दो-दो मैच खेलने थे. वाइड और बाउंसर गेंदों के लिए भी नियम कड़े किए गए थे.



कपिल देव की ऐतिहासिक पारी

इस टूर्नामेंट में भारत के लिए केवल त्रासदी यह थी कि कपिल देव की 175 * रन की ऐतिहासिक मैच की पारी को कोई नहीं देख सका. यह मूल रूप से दो कारणों की वजह से हुआ. पहला, बीबीसी एक दिन की हड़ताल पर था और दूसरा भारत बनाम ज़िम्बाब्वे मैच के बारे में लोगों को कम से कम दिलचस्पी थी.

शॉट खेलते हुए कपिल देव
शॉट खेलते हुए कपिल देव



फाइनल मुकाबला

भारत का मुकाबला था दो बार कि विश्वकप विजेता वेस्टइंडीज के साथ और सामने थी पिछले दोनों विश्वकप में बेहद खराब खेल दिखाने वाली भारतीय टीम. पहले बल्लेबाजी करते हुए वेस्टइंडीज ने भारत को 183 रनों पर समेट दिया फिर बल्लेबाजी करने आई वेस्टइंडीज की टीम ने पहले 50 रन एक विकेट के नुकसान पर बना लिए थे.



मोहिंदर अरमनाथ और मदन लाल की शानदार गेंदबाजी

अपनी जीत के जश्न की तैयारी करने वाली वेस्टइंडीज की टीम को भारतीय गेंदबाजों ने करारा झटका दिया. भारत की तरफ से मोहिंद्र अमरनाथ ने और मदन लाल ने तीन तीन विकेट हासिल किए और वेस्टइंडीज की कमर तोड़ दी. वेस्टइंडीज की तरफ से विवियन रिचर्ड्स ही ऐसे खिलाड़ी थे तो सबसे ज्यादा 33 के स्कोर तक पंहुच सके.

गेंदबाजी करते हुए मदन लाल
गेंदबाजी करते हुए मदन लाल



ओवरकॉन्फिडेंस की शिकार हुई वेस्टइंडीज

चैंपियनशिप मैच में भारत का सामना करने को लेकर क्लाइव लॉयड और उनकी टीम (वेस्टइंडीज) बेहद खुश थी. पूरी टीम विश्व कप जीत की हैट्रिक पूरी करने के लिए आश्वस्त थी. लेकिन वहां वे गलत हो गए. उनका आत्मविश्वास अति आत्मविश्वास में बदल गया. इतना ही भारत की जीत ने पूरे क्रिकेट जगत को पिन ड्रॉप साइलेंस किया और भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक सुनहरे अध्याय की शुरुआत की.

विश्वकप में शामिल सभी टीमें
विश्वकप में शामिल सभी टीमें



ये थी टीमें

ऑस्ट्रेलिया: किम ह्यूजेस (सी), एलन बॉर्डर, ट्रेवर चैपल, टॉम होगन, रोडनी हॉग, डेविड हुकेस, ज्योफ लॉसन, डेनिस लिली, केन मैकले, रॉड मार्श (डब्ल्यूके), जेफ थॉमसन, केपलर वेसल्स, ग्रीम वुड और ग्राहम यलोप



इंग्लैंड: बॉब विलिस (c), पॉल अलॉट, इयान बॉथम, नॉर्मन कोवान्स, ग्राहम डेली, ग्रीम फाउलर, माइक गैटिंग, इयान गोल्ड, डेविड गावर, ट्रेवर जेजी, एल्वेन लैम्ब, विक मार्क्स, डेरेक रान्डेल और क्रिस टैवर



भारत: कपिल देव (c), मोहिंदर अमरनाथ, कीर्ति आज़ाद, रोजर बिन्नी, सुनील गावस्कर, सैयद किरमानी (wk), मदन लाल, संदीप पाटिल, बलविंदर संधू, यशपाल शर्मा, रवि शास्त्री, कृष्णामाचारी श्रीकांत, सुनील वाल्सन और दिलीप विपन

तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ विश्व चैंपियन टीम के कप्तान कपिल देव
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ विश्व चैंपियन टीम के कप्तान कपिल देव



न्यूजीलैंड: ज्योफ हावर्थ (c), जॉन ब्रेसवेल, लांस केर्न्स, इवेन चैटफील्ड, जेरेमी केनी, जेफ क्रो, मार्टिन क्रो, ब्रूस एडगर, रिचर्ड हेडली, वॉरेन लीस (डब्ल्यूके), इयान स्मिथ (डब्ल्यूके), मार्टिन स्नेडन, ग्लेन टर्नर और जॉन राइट



पाकिस्तान: इमरान खान (c), अब्दुल कादिर, एजाज फकीह, मंसूर अख्तर, मोहसिन खान, मुदस्सर नजर, राशिद खान, सरफराज नवाज, शाहिद महबूब, ताहिर नक़्श, वसीम बारी (wk), वसीम राजा, ज़हीर अब्बास और जावरा अब्बास



श्रीलंका: दलीप मेंडिस (c), गाय डी अलविस (डब्ल्यूके), आशांथा डे मेल, सोमचंद्र डी सिल्वा, रॉय डायस, विनोथेन जॉन, ब्रेंडन कुरुप्पू, रंजना मदुगले, अर्जुन रणतुंगा, रमेश रत्नायके, अथुला समरसेकेरा और सिदथरा



वेस्टइंडीज: क्लाइव लॉयड (c), फॉउड बेकुस, वेन डेनियल, विंस्टन डेविस, जेफ डुजॉन (wk), जोएल गार्नर, लैरी गोम्स, गॉर्डन ग्रीनीज, डेसमंड हेन्स, माइकल होल्डिंग, गूस लोगी, मैल्कम मार्शल, विव रिचर्ड्स और एंडी रॉबर्ट्स



जिम्बाब्वे: डंकन फ्लेचर (c), रॉबिन ब्राउन, इयान बुचरट, केविन कर्रान, जैक हेरॉन, ग्रीम हिक, विंस हॉग, डेविड हॉगटन (wk), ग्रांट पैटर्सन, जेराल्ड पेकओवर, एंड्रयू पाइक्रॉफ्ट, पीटर रॉसन, अली शाह और जॉन ट्रैसिकोस

हैदराबाद : 1983 का विश्व कप भारत के लिए कई मायनों में बहुत अहम रहा. कहा जाता है कि अगर भारत ने 1983 का विश्वकप नहीं जीता होता तो शायद भारत में आज क्रिकेट के इतने सुनहरे दिन कभी नहीं आते लेकिन 1983 की विश्व कप टीम के जो हीरो थे उनके बारे में बहुत से लोगों को याद भी नहीं है आइए चलते हैं 1983 की विश्वकप विजेता टीम के जीत के सफर पर.



पहले दो विश्वकप में भारत

1983 से पहले भी दो बार विश्वकप इंग्लैंड में ही खेले गए थे. दोनों बार वेस्टइंडीज ने खिताब अपने नाम किया था. पहला विश्व कप साल 1975 में खेला गया था. जिसे इसे प्रूडेंशियल कप भी कहा जाता था क्योंकि प्रूडेंशियल इंश्योरेंस लिमिटेड ने इस मेगा इवेंट को भी प्रायोजित किया था.यह टूर्नामेंट 9 जून से शुरू हुआ और फाइनल 25 जून को खेला गया.

जीत के बाद वेस्टइंडीज के खिलाड़ी
जीत के बाद वेस्टइंडीज के खिलाड़ी

दूसरा विश्व कप भी भारत के लिए बेहद ही खराब रहा. भारत पहला ऐसा देश था जिसे टेस्ट टीम का दर्जा प्राप्त था लेकिन विश्वकप में एक भी मैच नहीं जीत पाया . भारत ने अपने तीनों के तीनों मैच हारे थे. भारत को न्यूजीलैंड, श्रीलंका और वेस्टइंडीज के साथ ग्रुप बी में रखा गया था. इस बार भी वेस्टइंडीज ने बाजी मारी और विश्व क्रिकेट में अपनी धाक जमा ली.



कमजोर भारतीय टीम और तीसरा विश्वकप

यह टूर्नामेंट 1983 में 9 से 25 जून तक खेला गया. इस बार भी विश्‍व कप का आयोजन इंग्लैंड में हुआ. यह विश्व कप भारत के लिए एक यादगार लम्हा लेकर आया जब हमने पहली बार विश्वकप जीता.

1983 विश्वकप की भारतीय टीम
1983 विश्वकप की भारतीय टीम

ग्रुप ए में इंग्लैंड, पाकिस्तान, न्यूजीलैंड और श्रीलंका की टीमें थी, तो ग्रुप बी में वेस्टइंडीज, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जिम्‍बाब्‍वे की टीमें. भारत और जिम्बाब्वे जैसी टीमों को अंडरडॉग्स से भी कम आंका जाता था. भारत ने अपने शुरुआती मैचों में वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया पर लगातार जीत दर्ज की.



नए नियम हुए थे लागू

इस बार भी आठ टीमों ने प्रतियोगिता में हिस्सा लिया. इसी विश्व कप में पहली बार 30 यार्ड सर्किल का प्रयोग किया गया. जिसके तहत इस घेरे के अंदर हर समय कम से कम चार क्षेत्ररक्षक खिलाड़ी होने चाहिए. चार-चार के दो ग्रुपों में टीमों को बांटा गया. इस बार अंतर सिर्फ ये हुआ कि अब ग्रुप की टीमों को आपस में एक-एक नहीं दो-दो मैच खेलने थे. वाइड और बाउंसर गेंदों के लिए भी नियम कड़े किए गए थे.



कपिल देव की ऐतिहासिक पारी

इस टूर्नामेंट में भारत के लिए केवल त्रासदी यह थी कि कपिल देव की 175 * रन की ऐतिहासिक मैच की पारी को कोई नहीं देख सका. यह मूल रूप से दो कारणों की वजह से हुआ. पहला, बीबीसी एक दिन की हड़ताल पर था और दूसरा भारत बनाम ज़िम्बाब्वे मैच के बारे में लोगों को कम से कम दिलचस्पी थी.

शॉट खेलते हुए कपिल देव
शॉट खेलते हुए कपिल देव



फाइनल मुकाबला

भारत का मुकाबला था दो बार कि विश्वकप विजेता वेस्टइंडीज के साथ और सामने थी पिछले दोनों विश्वकप में बेहद खराब खेल दिखाने वाली भारतीय टीम. पहले बल्लेबाजी करते हुए वेस्टइंडीज ने भारत को 183 रनों पर समेट दिया फिर बल्लेबाजी करने आई वेस्टइंडीज की टीम ने पहले 50 रन एक विकेट के नुकसान पर बना लिए थे.



मोहिंदर अरमनाथ और मदन लाल की शानदार गेंदबाजी

अपनी जीत के जश्न की तैयारी करने वाली वेस्टइंडीज की टीम को भारतीय गेंदबाजों ने करारा झटका दिया. भारत की तरफ से मोहिंद्र अमरनाथ ने और मदन लाल ने तीन तीन विकेट हासिल किए और वेस्टइंडीज की कमर तोड़ दी. वेस्टइंडीज की तरफ से विवियन रिचर्ड्स ही ऐसे खिलाड़ी थे तो सबसे ज्यादा 33 के स्कोर तक पंहुच सके.

गेंदबाजी करते हुए मदन लाल
गेंदबाजी करते हुए मदन लाल



ओवरकॉन्फिडेंस की शिकार हुई वेस्टइंडीज

चैंपियनशिप मैच में भारत का सामना करने को लेकर क्लाइव लॉयड और उनकी टीम (वेस्टइंडीज) बेहद खुश थी. पूरी टीम विश्व कप जीत की हैट्रिक पूरी करने के लिए आश्वस्त थी. लेकिन वहां वे गलत हो गए. उनका आत्मविश्वास अति आत्मविश्वास में बदल गया. इतना ही भारत की जीत ने पूरे क्रिकेट जगत को पिन ड्रॉप साइलेंस किया और भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक सुनहरे अध्याय की शुरुआत की.

विश्वकप में शामिल सभी टीमें
विश्वकप में शामिल सभी टीमें



ये थी टीमें

ऑस्ट्रेलिया: किम ह्यूजेस (सी), एलन बॉर्डर, ट्रेवर चैपल, टॉम होगन, रोडनी हॉग, डेविड हुकेस, ज्योफ लॉसन, डेनिस लिली, केन मैकले, रॉड मार्श (डब्ल्यूके), जेफ थॉमसन, केपलर वेसल्स, ग्रीम वुड और ग्राहम यलोप



इंग्लैंड: बॉब विलिस (c), पॉल अलॉट, इयान बॉथम, नॉर्मन कोवान्स, ग्राहम डेली, ग्रीम फाउलर, माइक गैटिंग, इयान गोल्ड, डेविड गावर, ट्रेवर जेजी, एल्वेन लैम्ब, विक मार्क्स, डेरेक रान्डेल और क्रिस टैवर



भारत: कपिल देव (c), मोहिंदर अमरनाथ, कीर्ति आज़ाद, रोजर बिन्नी, सुनील गावस्कर, सैयद किरमानी (wk), मदन लाल, संदीप पाटिल, बलविंदर संधू, यशपाल शर्मा, रवि शास्त्री, कृष्णामाचारी श्रीकांत, सुनील वाल्सन और दिलीप विपन

तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ विश्व चैंपियन टीम के कप्तान कपिल देव
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ विश्व चैंपियन टीम के कप्तान कपिल देव



न्यूजीलैंड: ज्योफ हावर्थ (c), जॉन ब्रेसवेल, लांस केर्न्स, इवेन चैटफील्ड, जेरेमी केनी, जेफ क्रो, मार्टिन क्रो, ब्रूस एडगर, रिचर्ड हेडली, वॉरेन लीस (डब्ल्यूके), इयान स्मिथ (डब्ल्यूके), मार्टिन स्नेडन, ग्लेन टर्नर और जॉन राइट



पाकिस्तान: इमरान खान (c), अब्दुल कादिर, एजाज फकीह, मंसूर अख्तर, मोहसिन खान, मुदस्सर नजर, राशिद खान, सरफराज नवाज, शाहिद महबूब, ताहिर नक़्श, वसीम बारी (wk), वसीम राजा, ज़हीर अब्बास और जावरा अब्बास



श्रीलंका: दलीप मेंडिस (c), गाय डी अलविस (डब्ल्यूके), आशांथा डे मेल, सोमचंद्र डी सिल्वा, रॉय डायस, विनोथेन जॉन, ब्रेंडन कुरुप्पू, रंजना मदुगले, अर्जुन रणतुंगा, रमेश रत्नायके, अथुला समरसेकेरा और सिदथरा



वेस्टइंडीज: क्लाइव लॉयड (c), फॉउड बेकुस, वेन डेनियल, विंस्टन डेविस, जेफ डुजॉन (wk), जोएल गार्नर, लैरी गोम्स, गॉर्डन ग्रीनीज, डेसमंड हेन्स, माइकल होल्डिंग, गूस लोगी, मैल्कम मार्शल, विव रिचर्ड्स और एंडी रॉबर्ट्स



जिम्बाब्वे: डंकन फ्लेचर (c), रॉबिन ब्राउन, इयान बुचरट, केविन कर्रान, जैक हेरॉन, ग्रीम हिक, विंस हॉग, डेविड हॉगटन (wk), ग्रांट पैटर्सन, जेराल्ड पेकओवर, एंड्रयू पाइक्रॉफ्ट, पीटर रॉसन, अली शाह और जॉन ट्रैसिकोस

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हैदराबाद : 1983 का विश्व कप भारत के लिए कई मायनों में बहुत अहम रहा. कहा जाता है कि अगर भारत ने 1983 का विश्वकप नहीं जीता होता तो शायद भारत में आज क्रिकेट के इतने सुनहरे दिन कभी नहीं आते लेकिन 1983 की विश्व कप टीम के जो हीरो थे उनके बारे में बहुत से लोगों को याद भी नहीं है आइए चलते हैं 1983 की विश्वकप विजेता टीम के जीत के सफर पर.

पहले दो विश्वकप में भारत

1983 से पहले भी दो बार विश्वकप इंग्लैंड में ही खेले गए थे. दोनों बार वेस्टइंडीज ने खिताब अपने नाम किया था. पहला विश्व कप साल 1975 में खेला गया था. जिसे इसे प्रूडेंशियल कप भी कहा जाता था क्योंकि प्रूडेंशियल इंश्योरेंस लिमिटेड ने इस मेगा इवेंट को भी प्रायोजित किया था.यह टूर्नामेंट 9 जून से शुरू हुआ और फाइनल 25 जून को खेला गया.

दूसरा विश्व कप भी  भारत के लिए बेहद ही खराब रहा. भारत पहला ऐसा देश था जिसे टेस्ट टीम का दर्जा प्राप्त था लेकिन विश्वकप में एक भी मैच नहीं जीत पाया . भारत ने अपने तीनों के तीनों मैच हारे थे. भारत को न्यूजीलैंड, श्रीलंका और वेस्टइंडीज के साथ ग्रुप बी में रखा गया था. इस बार भी वेस्टइंडीज ने बाजी मारी और विश्व क्रिकेट में अपनी धाक जमा ली.

कमजोर भारतीय टीम और तीसरा विश्वकप

यह टूर्नामेंट 1983 में  9 से 25 जून तक खेला गया. इस बार भी विश्‍व कप का आयोजन इंग्लैंड में हुआ. यह विश्व कप भारत के लिए एक यादगार लम्हा लेकर आया जब हमने पहली बार विश्वकप जीता.

ग्रुप ए में इंग्लैंड, पाकिस्तान, न्यूजीलैंड और श्रीलंका की टीमें थी, तो ग्रुप बी में वेस्टइंडीज, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जिम्‍बाब्‍वे की टीमें.  भारत और जिम्बाब्वे जैसी टीमों को अंडरडॉग्स से भी कम आंका जाता था. भारत  ने अपने शुरुआती मैचों में वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया पर लगातार जीत दर्ज की.

नए नियम हुए थे लागू

इस बार भी आठ टीमों ने प्रतियोगिता में हिस्सा लिया. इसी विश्व कप में पहली बार 30 यार्ड सर्किल का प्रयोग किया गया. जिसके तहत इस घेरे के अंदर हर समय कम से कम चार क्षेत्ररक्षक खिलाड़ी होने चाहिए.  चार-चार के दो ग्रुपों में टीमों को बांटा गया. इस बार अंतर सिर्फ ये हुआ कि अब ग्रुप की टीमों को आपस में एक-एक नहीं दो-दो मैच खेलने थे. वाइड और बाउंसर गेंदों के लिए भी नियम कड़े किए गए थे.

कपिल देव की ऐतिहासिक पारी

इस टूर्नामेंट में भारत के लिए केवल त्रासदी यह थी कि कपिल देव की 175 * रन की ऐतिहासिक मैच की पारी को कोई नहीं देख सका. यह मूल रूप से दो कारणों की वजह से हुआ. पहला, बीबीसी एक दिन की हड़ताल पर था और दूसरा भारत बनाम ज़िम्बाब्वे मैच के बारे में लोगों को कम से कम दिलचस्पी थी.

फाइनल मुकाबला

भारत का मुकाबला था दो बार कि विश्वकप विजेता वेस्टइंडीज के साथ और सामने थी पिछले दोनों विश्वकप में बेहद खराब खेल दिखाने वाली भारतीय टीम. पहले बल्लेबाजी करते हुए वेस्टइंडीज ने भारत को 183 रनों पर समेट दिया फिर बल्लेबाजी करने आई वेस्टइंडीज की टीम ने पहले 50 रन एक विकेट के नुकसान पर बना लिए थे.

मोहिंदर अरमनाथ और मदन लाल की शानदार गेंदबाजी

अपनी जीत के जश्न की तैयारी करने वाली वेस्टइंडीज की टीम को भारतीय गेंदबाजों ने करारा झटका दिया. भारत की तरफ से मोहिंद्र अमरनाथ ने और मदन लाल ने तीन तीन विकेट हासिल किए और वेस्टइंडीज की कमर तोड़ दी. वेस्टइंडीज की तरफ से विवियन रिचर्ड्स ही ऐसे खिलाड़ी थे तो सबसे ज्यादा 33 के स्कोर तक पंहुच सके.

ओवरकॉन्फिडेंस  की शिकार हुई वेस्टइंडीज

चैंपियनशिप मैच में भारत का सामना करने को लेकर क्लाइव लॉयड और उनकी टीम (वेस्टइंडीज) बेहद खुश थी. पूरी टीम विश्व कप जीत की हैट्रिक पूरी करने के लिए आश्वस्त थी. लेकिन वहां वे गलत हो गए. उनका आत्मविश्वास अति आत्मविश्वास में बदल गया. इतना ही भारत की जीत ने पूरे क्रिकेट जगत को पिन ड्रॉप साइलेंस किया और भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक सुनहरे अध्याय की शुरुआत की.

ये थी टीमें



ऑस्ट्रेलिया: किम ह्यूजेस (सी), एलन बॉर्डर, ट्रेवर चैपल, टॉम होगन, रोडनी हॉग, डेविड हुकेस, ज्योफ लॉसन, डेनिस लिली, केन मैकले, रॉड मार्श (डब्ल्यूके), जेफ थॉमसन, केपलर वेसल्स, ग्रीम वुड और ग्राहम यलोप

इंग्लैंड: बॉब विलिस (c), पॉल अलॉट, इयान बॉथम, नॉर्मन कोवान्स, ग्राहम डेली, ग्रीम फाउलर, माइक गैटिंग, इयान गोल्ड, डेविड गावर, ट्रेवर जेजी, एल्वेन लैम्ब, विक मार्क्स, डेरेक रान्डेल और क्रिस टैवर

भारत: कपिल देव (c), मोहिंदर अमरनाथ, कीर्ति आज़ाद, रोजर बिन्नी, सुनील गावस्कर, सैयद किरमानी (wk), मदन     लाल, संदीप पाटिल, बलविंदर संधू, यशपाल शर्मा, रवि शास्त्री, कृष्णामाचारी श्रीकांत, सुनील वाल्सन और दिलीप विपन

न्यूजीलैंड: ज्योफ हावर्थ (c), जॉन ब्रेसवेल, लांस केर्न्स, इवेन चैटफील्ड, जेरेमी केनी, जेफ क्रो, मार्टिन क्रो, ब्रूस एडगर, रिचर्ड हेडली, वॉरेन लीस (डब्ल्यूके), इयान स्मिथ (डब्ल्यूके), मार्टिन स्नेडन, ग्लेन टर्नर और जॉन राइट

पाकिस्तान: इमरान खान (c), अब्दुल कादिर, एजाज फकीह, मंसूर अख्तर, मोहसिन खान, मुदस्सर नजर, राशिद खान, सरफराज नवाज, शाहिद महबूब, ताहिर नक़्श, वसीम बारी (wk), वसीम राजा, ज़हीर अब्बास और जावरा अब्बास

श्रीलंका: दलीप मेंडिस (c), गाय डी अलविस (डब्ल्यूके), आशांथा डे मेल, सोमचंद्र डी सिल्वा, रॉय डायस, विनोथेन जॉन, ब्रेंडन कुरुप्पू, रंजना मदुगले, अर्जुन रणतुंगा, रमेश रत्नायके, अथुला समरसेकेरा और सिदथरा।

वेस्टइंडीज: क्लाइव लॉयड (c), फॉउड बेकुस, वेन डेनियल, विंस्टन डेविस, जेफ डुजॉन (wk), जोएल गार्नर, लैरी गोम्स, गॉर्डन ग्रीनीज, डेसमंड हेन्स, माइकल होल्डिंग, गूस लोगी, मैल्कम मार्शल, विव रिचर्ड्स और एंडी रॉबर्ट्स।

जिम्बाब्वे: डंकन फ्लेचर (c), रॉबिन ब्राउन, इयान बुचरट, केविन कर्रान, जैक हेरॉन, ग्रीम हिक, विंस हॉग, डेविड हॉगटन (wk), ग्रांट पैटर्सन, जेराल्ड पेकओवर, एंड्रयू पाइक्रॉफ्ट, पीटर रॉसन, अली शाह और जॉन ट्रैसिकोस




Conclusion:
Last Updated : May 13, 2019, 3:32 PM IST
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