हैदराबाद : इंग्लैंड क्रिकेट टीम के पूर्व धाकड़ बल्लेबाज केविन पीटरसन आज अपना 40वां जन्मदिन मना रहे हैं. उनका जन्म साउथ अफ्रीका के पीटरमैरिट्सबर्ग में हुआ था. उनके पिता जैन्नी पीटरसन साउथ अफ्रीकन थे जबकि उनकी माता पैनी इंग्लैंड से थीं. यूं तो पीटरसन ने अपना क्रिकेट करियर साउथ अफ्रीका की घरेलू टीम नटाल की बी टीम के से साल 1997 में की थी. शुरुआत में वे ऑफ स्पिनर और निचले क्रम के बल्लेबाज थे.
क्रिकेट खेलने के लिए कैसे पहुंचे इंग्लैंड?
साल 1999 में इंग्लैंड ने साउथ अफ्रीका का दौरा किया था जिसमें इंग्लैंड की टीम का अभ्यास मैच नटाल टीम के खिलाफ खेला गया था. तीन दिवसीय मैच में पीटरसन ने इंग्लैंड के खिलाफ चार बड़े विकेट लिए. उन्होंने माइकल अथर्टन, माइकल वॉन, नसीर हुसैन और क्रिस एडम्स को आउट किया था.
पीटरसन के इस प्रदर्शन से इंग्लैंड के पूर्व कप्तान नासिर हुसैन काफी प्रभावित हुए और उन्होंने इंग्लैंड की घरेलू क्रिकेट लीग में जगह बनाने में मदद भी की. पीटरसन को पांच महीनों के लिए कैनॉक क्रिकेट क्लब के लिए खेलने का मौका मिला. वहां उन्होंने खेलते हुए इस बात को परख लिया था कि बतौर ऑफ स्पिनर उनको ज्यादा मौका नहीं मिलेंगे इसलिए उन्होंने अपनी बल्लेबाजी को बेहतर किया.
अपने देश की घरेलू टीम से निकाला गया
पांच महीने बाद इंग्लैंड से अच्छे बल्लेबाज के तौर पर लौटने के बाद साल 2000 में उनको साउथ अफ्रीका में नटाल टीम में जगह नहीं मिली. हालांकि इस बार में उनका कहना है कि ये कोटा प्रणाली के कारण किया गया. साउथ अफ्रीका की कोटा प्रणाली के अनुसार, प्लेंइग इलेवन टीम में कम से कम चार अश्वेत खिलाड़ियों को जगह देना अनिवार्य था. इसके बाद उन्होंने साउथ अफ्रीका छोड़ने का ही फैसला ले लिया.
यूं शुरू हुआ काउंटी का सफर
साउथ अफ्रीका के पूर्व कप्तान क्लाइव राइस इंग्लैंड की काउंटी टीम नॉटिंघमशायर क्रिकेट क्लब के कोच थे. उन्होंने पीटरसन को स्कूल स्तर पर क्रिकेट खेलते हुए देखा था. जब उनको पता चला कि वे इंग्लैंड में काउंटी क्रिकेट खेल रहे हैं तब उन्होंने नॉटिंघमशायर के साथ तीन साल का कॉन्ट्रैक्ट दिया.
पीटरसन ने साल 2001 में इंग्लैंड काउंटी क्रिकेट का पहला सीजन खेला जो काफी शानदार रहा था. उन्होंने 15 फर्स्ट क्लास क्रिकेट और 25 लिस्ट ए क्रिकेट में 1275 और 572 रन बनाए. उन्होंने अगले सीजन साल 2002 में अगस्त में एक हफ्ते में चार शतक जमाए थे और काउंटी क्रिकेट में बड़ा नाम बन गए.
फिर साल 2003 में नॉटिंघमशायर को सेकेंड डिविजन में डिमोट कर दिया गया था. टीम के खराब प्रदर्शन का कारण पीटरसन ने ट्रेंट ब्रिज स्टेडियम की पिच को गेंदबाजो के लिए ज्यादा मददगार बताया. इस बयान के बाद उनके और काउंटी अधिकारियों के बीच विवाद पैदा हो गया जिसके बाद उन्होंने क्लब के साथ अपने कॉन्ट्रैक्ट को खत्म करने का अनुरोध किया. लेकिन ऐसा नहीं हुआ और साल 2004 में भी उनको उसी टीम के साथ खेलना पड़ा. हालांकि इस विवाद का असर उनके खेल पर नहीं पड़ा और उनका प्रदर्शन शानदार रहा.
फिर हुआ वनडे डेब्यू
2004 में इंग्लैंड के खिलाड़ियों ने जैसे ही जिंबाब्वे दौरे से अपना नाम वापस लिया तब पीटरसन को टीम में शामिल किया गया. 28 नवंबर 2004 को उन्होंने इंग्लैंड क्रिकेट टीम की ओर से अपना पहला मैच खेला और 27 रनों की नाबाद पारी खेली. तीन मैचों की वनडे सीरीज में उन्होंने कुल 104 रन बनाए थे और दो बार वे नाबाद लौटे थे.
हालांकि इंग्लैंड की अगली सीरीज 2004-05 में थी और चोटिल होने के बाद एंड्रियू फ्लिंटॉफ को टीम से बाहर होना पड़ा था, जिसके बाद पीटरसन को टीम में जगह मिल गई थी. दक्षिण अफ्रीका में ही उन्होंने अपना पहला वनडे शतक जड़ा. वो सीरीज हालांकि टीम इंग्लैंड हार गई थी लेकिन पीटरसन की जगह वनडे टीम में पक्की हो गई थी.
ऑस्ट्रेलिया और बांग्लादेश के खिलाफ घरेलू सीरीज में उनका बेहतरीन प्रदर्शन जारी रहा तो साल 2005 में उनका एशेज टीम में चुने जाने की चर्चा होने लगी. पीटरसन ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 21 जुलाई 2005 में लॉर्ड्स में अपना टेस्ट डेब्यू किया था. अपने डेब्यू टेस्ट की दोनों पारियों में उन्होंने अर्धशतक जड़ा था, लेकिन उनकी टीम हार गई थी. उस सीरीज में इंग्लैंड में 2-1 से जीत दर्ज की थी और 16 सालों बाद इंग्लैंड ने एशेज सीरीज जीती थी.
2006 में एक नया शॉट इजाद किया
श्रीलंका के खिलाफ पीटरसन ने टेस्ट मैच में मुथैया मुरलीधरन के गेंद पर लगाया गया 'स्विच हिट' आगे के टी-20 क्रिकेट के सबसे जरूरी शॉट में से एक साबित हुआ.
2007 में बने दुनिया के नंबर-1 बल्लेबाज
2006-07 की एशेज सीरीज में पीटरसन ने पांच मैचों में 490 रन बनाए. 2007 विश्व कप की शुरुआत भी उन्होंने अर्धशतक के साथ शुरू की और टूर्नामेंट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शतक जड़ा. ये शतक इंग्लैंड की ओर से 11 साल में पहला शतक था. 2007 विश्व कप में उन्होंने 444 रन बनाए और वे आईसीसी वनडे रैंकिंग में नंबर-1 बल्लेबाज बन गए.
ग्रीम स्मिथ से साथ बहस
साल 2006 में पीटरसन ने अपनी किताब में साउथ अफ्रीका के कोटा सिस्टम की अलोचना की थी. उनके अंदर इस बात की नाराजगी थी कि इस कारण उनको अपना देश छोड़ कर जाना पड़ा था. उस किताब में उन्होंने 2004-05 में साउथ अफ्रीका दौरे पर कप्तान ग्रीम स्मिथ के स्लेजिंग करने के तरीके का मजाक उड़ाया था और कहा था कि वे 'मपेट' हैं. इसके जवाब में स्मिथ ने कहा था कि मैं अपने देश से बहुत प्यार करता हूं इसलिए मैं केविन पीटरसन को पसंद नहीं करता.
कप्तान बनने के बाद कोच के साथ संबंध हुए खराब
2007 में पीटर मूर्स इंग्लैंड के कोच बने थे और पीटरसन ने इंग्लैंड की कमान 2008 में संभाली थी. बतौर कप्तान उन्होंने साउथ अफ्रीका को 4-0 से वनडे सीरीज में हराया था. लेकिन विंडीज के खिलाफ 0-5 से वनडे में हारे और भारत से टेस्ट में 0-1 से हारे. फिर साल 2009 में पीटरसन और मूर्स के बीच विवाद हुए और कप्तान ने कह दिया था कि वे मूर्स के साथ काम नहीं कर सकते. ऐसे में मूर्स से कोच का पद ले लिया गया और पीटरसन ने भी अपनी कप्तानी खो दी थी.