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अगर WORLD CUP फाइनल की आखिरी गेंद पर हुआ ऐसा, तो ICC भी कुछ नहीं कर पाएगी

डीआरएस का निर्णय जंहा एक टीम के लिए वरदान साबित हो सकता है वहीं दूसरी टीम के लिए उसी वक्त श्राप भी साबित हो सकता है. आइए उदाहरण के जरिए जानते हैं कि कैसे डीआरएस किसी महत्वपूर्ण मैच में विवाद का कारण बन सकता है.

Dubious rules can turn match upside down
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Published : Apr 4, 2019, 1:25 PM IST

हैदराबाद : हर सिस्टम में कुछ न कुछ खामियां होती हैं. अगर बात क्रिकेट की करें तो ये बहुत पुराना खेल है और समय के साथ-साथ इसमें बदलाव भी होते रहते हैं.

खेलों में भी तकनीक की भागीदारी इतनी ज्यादा हो गई है कि मैदान पर मौजूद अंपायरों का वर्चस्व भी कुछ हद तक कम हो गया है. यकीनन तकनीक के द्वारा कुछ ही सेंकड में बारीक से बारीक चीजों को भी स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है, लेकिन बड़ा सवाल है कि क्या मनुष्य को सब कुछ तकनीक के भरोसे छोड़ देना चाहिए.

बात सिर्फ क्रिकेट तक सीमित नहीं है. आज के दौर में लगभग हर खेल में तकनीक की दखलअंदाजी जरूरत बन गई है. अगर बात क्रिकेट की करें तो निर्णय रेफरल प्रणाली (डीआरएस) भी इस खेल का हिस्सा है जो काफी हद तक इस खेल को अच्छा बनाने में मदद करता है बावजूद नई तकनीक के इसमें भी बदलते दौर के साथ कई कमियां पायी गई हैं.

Dubious rules can turn match upside down
DRS के दौरान (फाइल फोटो)

डीआरएस का निर्णय जंहा एक टीम के लिए वरदान साबित हो सकता है वहीं दूसरी टीम के लिए उसी वक्त श्राप भी साबित हो सकता है. आइए उदाहरण के जरिए जानते हैं कि कैसे डीआरएस किसी महत्वपूर्ण मैच में विवाद का कारण बन सकता है.

वैसे तो हर मैच की अपनी अहमियत होती है लेकिन मान लो किसी बड़े टूर्नामेंट का फाइनल मैच खेला जा रहा है और अंतिम गेंद पर जीत के लिए दो रनों की दरकार है. बल्लेबाज ने शॉट खेला और बॉल बल्ले का अंदरूनी किनारा लेते हुए पैड पर लगी और बाउंड्री के पार चली गई, इसी बीच गेंदाबाज ने एलबीडब्लू की अपील भी की, जिस पर ग्राउंड अंपायर ने बल्लेबाज को आउट करार दे दिया, लेकिन दिक्कत इसके बाद शुरू होती है.

बल्लेबाज ने अंपायर के निर्णय के खिलाफ डीआरएस लेने का निर्णय किया और तकनीक के द्वारा पाया गया कि बल्लेबाज आउट नहीं है. इस स्थिति में क्या बल्लेबाज द्वारा बनाए गए चार रनों को उस टीम के खाते में शामिल किया जाएगा ?

अगर हां तो इसमें फील्डिंग टीम की क्या गलती है क्योंकि जैसे ही ग्राउंड अंपायर ने बल्लेबाज को आउट दिया वैसे ही तुरंत बॉल डैड हो गई और फील्डरों द्वारा उसे पकड़े की कोशिश भी नहीं हुई और अगर डीआरएस में बल्लेबाज को नॉट आउट दिया गया तो उसे इस गेंद पर चार रन दिए जाने चाहिए.

Dubious rules can turn match upside down
फाइल फोटो

ऐसी स्थिति में चार रन बनाने के बावजूद बल्लेबाजी करने वाली टीम ये मैच हार जाएगी, क्योंकि विश्वकप के शुरू होने में अब बहुत ज्यादा दिन नहीं बचे हैं तो आईसीसी को डीआरएस की खामियों पर ध्यान देने की जरूरत है ताकि इस नियम की वजह से कोई बड़ा विवाद खड़ा न हो.

हैदराबाद : हर सिस्टम में कुछ न कुछ खामियां होती हैं. अगर बात क्रिकेट की करें तो ये बहुत पुराना खेल है और समय के साथ-साथ इसमें बदलाव भी होते रहते हैं.

खेलों में भी तकनीक की भागीदारी इतनी ज्यादा हो गई है कि मैदान पर मौजूद अंपायरों का वर्चस्व भी कुछ हद तक कम हो गया है. यकीनन तकनीक के द्वारा कुछ ही सेंकड में बारीक से बारीक चीजों को भी स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है, लेकिन बड़ा सवाल है कि क्या मनुष्य को सब कुछ तकनीक के भरोसे छोड़ देना चाहिए.

बात सिर्फ क्रिकेट तक सीमित नहीं है. आज के दौर में लगभग हर खेल में तकनीक की दखलअंदाजी जरूरत बन गई है. अगर बात क्रिकेट की करें तो निर्णय रेफरल प्रणाली (डीआरएस) भी इस खेल का हिस्सा है जो काफी हद तक इस खेल को अच्छा बनाने में मदद करता है बावजूद नई तकनीक के इसमें भी बदलते दौर के साथ कई कमियां पायी गई हैं.

Dubious rules can turn match upside down
DRS के दौरान (फाइल फोटो)

डीआरएस का निर्णय जंहा एक टीम के लिए वरदान साबित हो सकता है वहीं दूसरी टीम के लिए उसी वक्त श्राप भी साबित हो सकता है. आइए उदाहरण के जरिए जानते हैं कि कैसे डीआरएस किसी महत्वपूर्ण मैच में विवाद का कारण बन सकता है.

वैसे तो हर मैच की अपनी अहमियत होती है लेकिन मान लो किसी बड़े टूर्नामेंट का फाइनल मैच खेला जा रहा है और अंतिम गेंद पर जीत के लिए दो रनों की दरकार है. बल्लेबाज ने शॉट खेला और बॉल बल्ले का अंदरूनी किनारा लेते हुए पैड पर लगी और बाउंड्री के पार चली गई, इसी बीच गेंदाबाज ने एलबीडब्लू की अपील भी की, जिस पर ग्राउंड अंपायर ने बल्लेबाज को आउट करार दे दिया, लेकिन दिक्कत इसके बाद शुरू होती है.

बल्लेबाज ने अंपायर के निर्णय के खिलाफ डीआरएस लेने का निर्णय किया और तकनीक के द्वारा पाया गया कि बल्लेबाज आउट नहीं है. इस स्थिति में क्या बल्लेबाज द्वारा बनाए गए चार रनों को उस टीम के खाते में शामिल किया जाएगा ?

अगर हां तो इसमें फील्डिंग टीम की क्या गलती है क्योंकि जैसे ही ग्राउंड अंपायर ने बल्लेबाज को आउट दिया वैसे ही तुरंत बॉल डैड हो गई और फील्डरों द्वारा उसे पकड़े की कोशिश भी नहीं हुई और अगर डीआरएस में बल्लेबाज को नॉट आउट दिया गया तो उसे इस गेंद पर चार रन दिए जाने चाहिए.

Dubious rules can turn match upside down
फाइल फोटो

ऐसी स्थिति में चार रन बनाने के बावजूद बल्लेबाजी करने वाली टीम ये मैच हार जाएगी, क्योंकि विश्वकप के शुरू होने में अब बहुत ज्यादा दिन नहीं बचे हैं तो आईसीसी को डीआरएस की खामियों पर ध्यान देने की जरूरत है ताकि इस नियम की वजह से कोई बड़ा विवाद खड़ा न हो.

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हैदराबाद : हर सिस्टम में कुछ न कुछ खामियां होती हैं. अगर बात क्रिकेट की करें तो ये बहुत पुराना खेल है और समय के साथ-साथ इसमें बदलाव भी होते रहते हैं.

खेलों में भी तकनीक की भागीदारी इतनी ज्यादा हो गई है कि मैदान पर मौजूद अंपायरों का वर्चस्व भी कुछ हद तक कम हो गया है. यकीनन तकनीक के द्वारा कुछ ही सेंकड में बारीक से बारीक चीजों को भी स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है, लेकिन बड़ा सवाल है कि क्या मनुष्य को सब कुछ तकनीक के भरोसे छोड़ देना चाहिए.

बात सिर्फ क्रिकेट तक सीमित नहीं है. आज के दौर में लगभग हर खेल में तकनीक की दखलअंदाजी जरूरत बन गई है. अगर बात क्रिकेट की करें तो निर्णय रेफरल प्रणाली (डीआरएस) भी इस खेल का हिस्सा है जो काफी हद तक इस खेल को अच्छा बनाने में मदद करता है बावजूद नई तकनीक के इसमें भी बदलते दौर के साथ कई कमियां पायी गई हैं.

डीआरएस का निर्णय जंहा एक टीम के लिए वरदान साबित हो सकता है वहीं दूसरी टीम के लिए उसी वक्त श्राप भी साबित हो सकता है. आइए उदाहरण के जरिए जानते हैं कि कैसे डीआरएस किसी महत्वपूर्ण मैच में विवाद का कारण बन सकता है.

वैसे तो हर मैच की अपनी अहमियत होती है लेकिन मान लो किसी बड़े टूर्नामेंट का फाइनल मैच खेला जा रहा है और अंतिम गेंद पर जीत के लिए दो रनों की दरकार है. बल्लेबाज ने शॉट खेला और बॉल बल्ले का अंदरूनी किनारा लेते हुए पैड पर लगी और बाउंड्री के पार चली गई, इसी बीच गेंदाबाज ने एलबीडब्लू की अपील भी की,  जिस पर ग्राउंड अंपायर ने बल्लेबाज को आउट करार दे दिया, लेकिन दिक्कत इसके बाद शुरू होती है.

बल्लेबाज ने अंपायर के निर्णय के खिलाफ डीआरएस लेने का निर्णय किया और तकनीक के द्वारा पाया गया कि बल्लेबाज आउट नहीं है. इस स्थिति में क्या बल्लेबाज द्वारा बनाए गए चार रनों को उस टीम के खाते में शामिल किया  जाएगा ?

अगर हां तो इसमें फील्डिंग टीम की क्या गलती है क्योंकि जैसे ही ग्राउंड अंपायर ने बल्लेबाज को आउट दिया वैसे ही तुरंत बॉल डैड हो गई और फील्डरों द्वारा उसे पकड़े की कोशिश भी नहीं हुई और अगर डीआरएस में बल्लेबाज को नॉट आउट दिया गया तो उसे इस गेंद पर चार रन दिए जाने चाहिए.

ऐसी स्थिति में चार रन बनाने के बावजूद बल्लेबाजी करने वाली टीम ये मैच हार जाएगी, क्योंकि विश्वकप के शुरू होने में अब बहुत ज्यादा दिन नहीं बचे हैं तो आईसीसी को डीआरएस की खामियों पर ध्यान देने की जरूरत है ताकि इस नियम की वजह से कोई बड़ा विवाद खड़ा न हो.


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