नई दिल्ली: वर्ष 2007 विश्व कप में भारत का सबसे खराब प्रदर्शन था और महेंद्र सिंह धोनी ने यहीं से ही भारतीय टीम का नेतृत्व करना शुरू किया. इसके बाद धोनी ने उसी साल भारत को टी 20 विश्व कप जिताया और फिर चार साल बाद 2011 में विश्व चैंपियन बनाया.
विकेटकीपर बल्लेबाज धोनी ने शनिवार (15 अगस्त) को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा कर दी.
भारतीय महिला क्रिकेट टीम की पूर्व कप्तान अंजुम चोपड़ा का मानना है कि 2007 की निराशा के बाद जिस तरह से धोनी ने टीम को बुलंदियों तक पहुंचाया, वह उनके चरित्र को दर्शाता है.
अंजुम ने रविवार को मीडिया से कहा, "उनका परिणाम अपने आप बोलता है. उन्हें बार-बार देश से तारीफ मिली. उनकी सफलता न केवल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बल्कि आईपीएल में भी हैं."
धोनी ने 2007 में राहुल द्रविड़ से वनडे टीम की कप्तानी और 2008 में अनिल कुंबले से टेस्ट टीम की कप्तानी संभाली थी. वह 2014 में अपने संन्यास के समय तक टेस्ट टीम के कप्तान रहे और 2017 तक उन्होंने सीमित ओवरों की टीम की कप्तानी संभाली.
उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि सौरव गांगुली के उत्तराधिकारी के लिए धोनी परफेक्ट थे. निश्चित रूप से, बीच में राहुल द्रविड़ थे, लेकिन इन सभी के छोड़ने या संन्यास लेने के बाद धोनी टीम को आगे लेकर गए. ना केवल टीम को आगे लेकर आगे गए बल्कि सीनियर खिलाड़ियों की बनाई विरासत को भी वह आगे लेकर गए."
अंजुम ने कहा, "2003 विश्व कप के बाद से भारतीय टीम ऊपर और नीचे होती रही. और फिर वह टीम को आगे लेकर गए और इस निराशा के बाद जिस तरह से धोनी ने टीम को बुलंदियों तक पहुंचाया, वह उनके चरित्र को दर्शाता है."
पूर्व महिला टीम कप्तान ने साथ ही कहा कि धोनी में अब भी इस खेल को देने के लिए बहुत कुछ बचा हुआ है और टीम को उनकी बल्लेबाजी और विकेटीपिंग की कमी खलेगी.
उन्होंने कहा, "निश्चित रूप से, धोनी की कमी महसूस होगी. न केवल एक कप्तान के रूप में बल्कि एक मैच विजेता और फिनिशर के रूप में भी उनकी कमी खलेगी. टीम अब उनकी विकेटकीपिंग को मिस करेगी."