हैदराबाद : आईपीएल 2009 में खिताब जीतने वाली डेक्कन चार्जर्स के स्टार गेंदबाज प्रज्ञान ओझा ने बताया कि टीम सीजन के शुरुआत में जरूरी उपकरणों के लिए संघर्ष कर रही थी. ऐसा इसलिए था क्योंकि टीम ने पिछले सीजन में खराब प्रदर्शन किया था, जिसके कारण डेक्कन चार्जर्स के पास स्पॉन्सर्स नहीं थे.
दूसरे सीजन में खिताब जीता
डेक्कन चार्जर्स ने 2009 के सीजन में अपने भाग्य को आश्चर्यजनक रूप से बदल दिया. आईपीएल का दूसरा सीजन भारत में आम चुनावों के कारण दक्षिण अफ्रीका में आयोजित किया गया था. 2008 में उद्घाटन के पहले सीजन में तालिका में सबसे नीचे रहने के बाद, चार्जर्स ने दूसरे संस्करण में खिताब पर कब्जा जमाया था.
ओझा, जिन्होंने हाल ही में क्रिकेट के सभी रूपों से संन्यास की घोषणा की वो उस सीजन में उनके सबसे अधिक विकेट लेने वाले खिलाड़ी थे.
टीम के पास नहीं थी जरूरत की चीजें
प्रज्ञान ओझा ने एक क्रिकेट वेबसाइट से बातचीत में कहा, "2008 में अंतिम स्थान पर रहने के बाद हमारे पास स्पॉन्सर्स नहीं थे. देर से स्पॉन्सर्स मिलने के कारण, जब हम दक्षिण अफ्रीका पहुंचे तो हमारे पास सीमित मात्रा में कपड़े और प्रशिक्षण किट थे. उस समय गिल्ली (एडम गिलक्रिस्ट) आए थे और कहा कि इन सभी चीजों से हमें कोई फर्क नहीं पड़ता. एक बार आप चैंपियनशिप जीते तो फिर देखना कैसे चीजें बदलेंगी. और मैं आपको बता रहा हूं, एक बार हम जीत गए तो पूरी चीजें बदल जाएंगी.''
फाइनल में 6 रन जीत दर्ज की
डेक्कन चार्जर्स ने जोहान्सबर्ग में फाइनल में 143/6 का स्कोर बनाया. जवाब में, ओझा (3/28) और हरमीत सिंह (2/23) ने रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर को 137/9 पर रोक दिया और छह रन से आईपीएल का खिताब जीता.
ओझा ने कहा ,"डेक्कन चार्जर्स अचानक एक अलग ब्रांड बन गया था. हर कोई हमें एक अलग तरीके से देखने लगा. आप विदेशी परिस्थितियों में खेल रहे हैं, किसी को भी घरेलू मैदान का फायदा नहीं था. हमारे पहले सीजन में किए गए प्रदर्शन को देखकर हमसे किसी ने जीतने के उम्मीद नहीं की थी. हम दूसरे संस्करण में एक अलग टीम थे."
ये हमारी सबसे बड़ी ताकत थी
"गिल्ली इतना संतुलित था. वह वास्तव में मालिकों के दबाव, या बाहरी दबाव को सोखना जानता था. वह खुद ही इनका सामना करना था और उसे टीम और सहायक कर्मचारियों से दूर रखता था. टीम को जिस भी दबाव का सामना करना पड़ता था, हो सकता है कि हमने कुछ खेलों में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया हो या जो भी हो, मालिकों, बाहरी लोगों का दबाव था. उन्होंने बहुत अच्छी तरह से संभाला. ये हमारी सबसे बड़ी ताकत थी.