हैदराबाद : हरियाणा में हिसार की एक विशेष अदालत ने पूर्व भारतीय क्रिकेटर युवराज सिंह की दलित समाज के लिए की गई कथित आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में हांसी पुलिस से स्टेटस रिपोर्ट मांगी है. अनुसूचित जाति व जनजाति अत्याचार अधिनियम के तहत स्थापित विशेष अदालत के न्यायाधीश बीपी सिरोही ने शिकायतकर्ता और अधिवक्ता रजत कलसन की याचिका पर आज हांसी के पुलिस अधीक्षक को नोटिस जारी कर दो जून की शिकायत पर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है.
अधिवक्ता कलसन ने अदालत के समक्ष याचिका दायर कर कहा कि एक जून को युवराज सिंह ने इंस्टाग्राम पर क्रिकेटर रोहित शर्मा से बातचीत के दौरान दलितों के बारे में एक अपमानजनक टिप्पणी कर दी थी. इस बारे में उन्होंने हांसी के पुलिस अधीक्षक को दो जून को एक शिकायत दी थी, जिस पर पुलिस ने अभी तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की है.
कलसन ने अपनी याचिका में कहा है कि हाल में ही एससी-एसटी एक्ट में किए गए संशोधन और सुप्रीम कोर्ट के संशोधन पर दिए गए फैसले के अनुसार अनुसूचित जाति अत्याचार से संबंधित किसी भी शिकायत पर पुलिस को जांच करने से पहले मुकदमा दर्ज करना होगा. हांसी पुलिस ने एससी एसटी एक्ट की धारा 18ए व रूल 5 का उल्लंघन किया है तथा बिना एफआईआर दर्ज किए दरखास्त पर प्रारंभिक जांच शुरू कर दी.
उन्होंने याचिका में ये भी कहा है कि शिकायत पर एफआईआर दर्ज करने के लिए वो दर्जनों बार हांसी के पुलिस अधीक्षक, शिकायत के जांच अधिकारी उपाधीक्षक तथा हांसी सिटी थाना प्रभारी से मिल चुके हैं पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. उल्लेखनीय है कि युवराज इस मामले में माफी मांग चुके हैं.
युवराज ने इस महीने पांच जून को ट्विटर पर बयान जारी कर कहा था कि अगर मैंने जाने-अनजाने में किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है तो मैं इसके लिए माफी चाहता हूं. मैं भारत और भारतीयों से बहुत प्यार करता हूं. मैं इस बात को स्पष्ट करना चाहता हूं कि मैं किसी भी तरह की असमानता में भरोसा नहीं करता हूं, चाहे जाति हो, रंगभेद हो या लिंगभेद हो. मैं हमेशा अपना जीवन लोगों के सेवा में बिताना चाहता हूं. मैं जीवन की गरिमा में विश्वास करता हूं और बिना किसी अपवाद के प्रत्येक व्यक्ति का सम्मान करता हूं.