लंदन : विश्व कप टीम के चयन के समय एम.एस.के. प्रसाद की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने नंबर-4 के लिए हरफनमौला खिलाड़ी विजय शंकर को चुना था, लेकिन टूर्नामेंट में इस नंबर पर लोकेश राहुल खेले. शिखर धवन के चोटिल होने के बाद राहुल सलामी बल्लेबाजी करने लगे और शंकर को नंबर-4 पर भेजा गया.
चयनकर्ताओं को भी हार की जिम्मेदारी लेनी चाहिए
बीसीसीआई के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि चयनकर्ताओं को भी टीम की हार की जिम्मेदारी लेनी चाहिए क्योंकि जब टीम के अच्छे प्रदर्शन पर वो पुरस्कार के हकदार होते हैं तो टीम की हार की जिम्मेदारी भी उनकी बनती है.
अधिकारी ने कहा, "जब भी टीम कोई टूर्नामेंट जीतती है तो चयनकर्ताओं को भी नगद पुरस्कार दिए जाते हैं, लेकिन जब हार की बारी आती है तो सिर्फ खिलाड़ियों की आलोचना की जाती है. चयनकर्ताओं का क्या होता है?
इसी नंबर के लिए तमाम बदलाव हुए
अधिकारी ने कहा, "खासकर, चयन समिति के अध्यक्ष का क्या? वो लगभग सभी दौरों पर टीम के साथ जा रहे हैं. ऐसे में निश्चित है कि उन्होंने देखा होगा कि कहां सुधार की जरूरत है. नंबर-4 की जिम्मेदारी उनके जिम्मे होनी चाहिए क्योकि वही इसी नंबर के लिए तमाम बदलाव कर रहे थे."
टीम प्रबंधन क्या चाहता है
टीम के चयन पर भी अधिकारी ने कहा, "जब एक सलामी बल्लेबाज चोटिल हुआ तो आपने एक मध्य क्रम के बल्लेबाज को भेजा. इसके बाद आपका मध्य क्रम का बल्लेबाज चोटिल हो जाता है तो आप उसके विकल्प के तौर पर सलामी बल्लेबाज को भेजते हैं. बात मायने नहीं रखती कि टीम प्रबंधन क्या चाहता है, फैसला चयनकर्ताओं के पास में रहता है. इससे एक और बड़ा सवाल खड़ा होता है कि चयनकर्ताओं के प्रदर्शन को कौन परखेगा?"
निराशाजनक बात यह है कि विश्व कप में चयन संबंधी खराब फैसलों के बाद भी प्रसाद, देवांग गांधी, गगन खोड़ा, जतिन प्रांजपई और सरनदीप सिंह अपने-अपने पदों पर बने रहेंगे.