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Pujara Birthday: बचपन में पिता ने गली क्रिकेट तक नहीं खेलने दिया था, बाद में बने टीम इंडिया की 'दीवार'

राहुल द्रविड़ के बाद टीम इंडिया की 'दीवार' कहलाने वाले चेतेश्वर पुजारा का आज 34वां जन्मदिन है. पुजारा ने साल 2010 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट डेब्यू किया था. अपनी दूसरी टेस्ट पारी में उन्होंने द्रविड़ की जगह 3 नंबर पर आकर फिफ्टी जड़ी थी. इसके बाद से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और टेस्ट क्रिकेट में खुद को स्थापित किया.

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Cheteshwar Pujara Birthday
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Published : Jan 25, 2022, 3:05 PM IST

नई दिल्ली: बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा का बीते एक साल में टेस्ट क्रिकेट में प्रदर्शन भले ही फीका रहा हो. लेकिन एक बल्लेबाज के तौर पर उनकी काबिलियत पर शायद ही किसी को शक हो. ऑस्ट्रेलिया में साल 2018-19 में टीम इंडिया को मिली पहली टेस्ट सीरीज जीत इसका सबूत है. तब पुजारा भारत की ऐतिहासिक जीत के हीरो थे. उन्होंने चार टेस्ट की सात पारियों में 74 के औसत से 521 रन बनाए थे.

भारतीय क्रिकेटर चेतेश्वर पुजारा ने क्रिकबज को दिए एक इंटरव्यू में खुलासा किया, मां चोरी-छिपे उन्हें गली क्रिकेट खेलने के लिए भेज देती थी. पिता की डांट न पड़े, इसलिए वो सिर्फ विकेटकीपिंग करते थे.

पिता की सख्ती ने बनाया पुजारा को बेहतर बल्लेबाज

पिता की इसी सख्ती का ही नतीजा था कि पुजारा कम उम्र में ही तकनीकी तौर पर मजबूत बल्लेबाज बन गए थे. इसका सबूत है, उनका शुरुआती करियर. उन्हें 14 साल की उम्र में सौराष्ट्र की अंडर-14 में चुना गया और उन्होंने तब तिहरा शतक ठोका था. इसके बाद इंग्लैंड के खिलाफ अंडर-19 के एक मैच में भी दोहरा शतक जड़ा था. उन्होंने साल 2005 में 17 साल की उम्र में विदर्भ के खिलाफ फर्स्ट क्लास डेब्यू किया था.

यह भी पढ़ें: हर मैच नहीं जीत सकते, टीम इंडिया के लिए यह अस्थाई दौर : रवि शास्त्री

6 साल फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेलने के बाद उन्हें साल 2010 में पुजारा को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट डेब्यू का मौका मिला. इस टेस्ट में वो अपने आइडल राहुल द्रविड़ के साथ खेले. अपनी पहली टेस्ट पारी में तो पुजारा चार रन बनाकर आउट हो गए. लेकिन दूसरी पारी में उन्हें राहुल द्रविड़ की जगह तीन नंबर पर खेलने भेजा गया और पुजारा ने 72 रन ठोककर मौके को भुना लिया. इसके बाद उन्होंने धीरे-धीरे टेस्ट टीम में अपनी जगह पक्की कर ली.

पुजारा ने रिकॉर्ड पारियों में 1 हजार टेस्ट रन पूरे किए

पुजारा टेस्ट में विनोद कांबली (14) के बाद टेस्ट में सबसे कम 18 पारियों में एक हजार रन पूरे करने वाले बल्लेबाज हैं. हालांकि, आगे का सफर आसान नहीं रहा. घुटने के ऑपरेशन के कारण उनका लिमिटेड ओवर करियर एक तरह से खत्म हो गया और टेस्ट टीम से भी वो बार-बार अंदर बाहर होते रहे. हालांकि, उन्होंने न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के खिलाफ शतक ठोककर दमदार वापसी की. साल 2016 और 17 लगातार दो साल उन्होंने टेस्ट में 60 के औसत से रन बनाए. उस दौरान पुजारा ने सात में से तीन शतक लगातार ठोके थे.

यह भी पढ़ें: टीका नहीं लगवाने के बाद भी फ्रेंच ओपन में खेल सकते हैं जोकोविच

चेतेश्वरी पुजारा की माने तो अनुभवी बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा का बीते एक साल में टेस्ट क्रिकेट में प्रदर्शन भले ही फीका रहा हो. लेकिन एक बल्लेबाज के तौर पर उनकी काबिलियत पर शायद ही किसी को शक हो. ऑस्ट्रेलिया में साल 2018-19 में टीम इंडिया को मिली पहली टेस्ट सीरीज जीत इसका सबूत है. तब पुजारा भारत की ऐतिहासिक जीत के हीरो थे. उन्होंने चार टेस्ट की सात पारियों में 74 के औसत से 521 रन ठोके थे.

चेतेश्वर पुजारा ने इस दौरान उन्होंने तीन शतक और एक अर्धशतक लगाया था. इस दौरे की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि उन्होंने चार टेस्ट में कुल 1,258 गेंद यानी 209 ओवर खेले थे. यह ऑस्ट्रेलिया में चार टेस्ट खेलने वाले मेहमान टीम के बल्लेबाज द्वारा सबसे ज्यादा गेंद खेलने का रिकॉर्ड है. इस आंकड़े से समझा जा सकता है कि राहुल द्रविड़ के बाद पुजारा को क्यों टीम इंडिया की दीवार कहा जाता है? आज इसी दीवार यानी चेतेश्वर पुजारा का 34वां जन्मदिन है. पुजारा का जन्म 25 जनवरी, 1988 को राजकोट में हुआ था.

यह भी पढ़ें: IPL 2022: लखनऊ आईपीएल टीम के नाम की हुई घोषणा

पिता अरविंद शिवलाल ही पुजारा के पहले कोच थे, जो खुद फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेल चुके थे. उन्होंने ही पुजारा को तराशने का काम किया. पुजारा ने 4-5 की उम्र में पहली बार बल्ला था और टेनिस बॉल से क्रिकेट खेलने की शुरुआत की। लेकिन 8 साल की उम्र में पिता ने उनके गली क्रिकेट खेलने तक पर रोक लगा दी और उन्हें क्रिकेट क्लब में डाल दिया.

इसके पीछे की वजह सिर्फ यही थी कि वो पुजारा की तकनीक खराब नहीं होने देना चाहते थे. क्योंकि टेनिस या रबर बॉल में अतिरिक्त उछाल होता है और ऐसे में पिता को डर था कि कहीं टेनिस बॉल या गली क्रिकेट के चक्कर में पुजारा को क्रॉस बैट शॉट खेलने की आदत न पड़ जाए. इसलिए उनके गली क्रिकेट पर पूरी तरह रोक लगा दी गई थी.

नई दिल्ली: बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा का बीते एक साल में टेस्ट क्रिकेट में प्रदर्शन भले ही फीका रहा हो. लेकिन एक बल्लेबाज के तौर पर उनकी काबिलियत पर शायद ही किसी को शक हो. ऑस्ट्रेलिया में साल 2018-19 में टीम इंडिया को मिली पहली टेस्ट सीरीज जीत इसका सबूत है. तब पुजारा भारत की ऐतिहासिक जीत के हीरो थे. उन्होंने चार टेस्ट की सात पारियों में 74 के औसत से 521 रन बनाए थे.

भारतीय क्रिकेटर चेतेश्वर पुजारा ने क्रिकबज को दिए एक इंटरव्यू में खुलासा किया, मां चोरी-छिपे उन्हें गली क्रिकेट खेलने के लिए भेज देती थी. पिता की डांट न पड़े, इसलिए वो सिर्फ विकेटकीपिंग करते थे.

पिता की सख्ती ने बनाया पुजारा को बेहतर बल्लेबाज

पिता की इसी सख्ती का ही नतीजा था कि पुजारा कम उम्र में ही तकनीकी तौर पर मजबूत बल्लेबाज बन गए थे. इसका सबूत है, उनका शुरुआती करियर. उन्हें 14 साल की उम्र में सौराष्ट्र की अंडर-14 में चुना गया और उन्होंने तब तिहरा शतक ठोका था. इसके बाद इंग्लैंड के खिलाफ अंडर-19 के एक मैच में भी दोहरा शतक जड़ा था. उन्होंने साल 2005 में 17 साल की उम्र में विदर्भ के खिलाफ फर्स्ट क्लास डेब्यू किया था.

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6 साल फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेलने के बाद उन्हें साल 2010 में पुजारा को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट डेब्यू का मौका मिला. इस टेस्ट में वो अपने आइडल राहुल द्रविड़ के साथ खेले. अपनी पहली टेस्ट पारी में तो पुजारा चार रन बनाकर आउट हो गए. लेकिन दूसरी पारी में उन्हें राहुल द्रविड़ की जगह तीन नंबर पर खेलने भेजा गया और पुजारा ने 72 रन ठोककर मौके को भुना लिया. इसके बाद उन्होंने धीरे-धीरे टेस्ट टीम में अपनी जगह पक्की कर ली.

पुजारा ने रिकॉर्ड पारियों में 1 हजार टेस्ट रन पूरे किए

पुजारा टेस्ट में विनोद कांबली (14) के बाद टेस्ट में सबसे कम 18 पारियों में एक हजार रन पूरे करने वाले बल्लेबाज हैं. हालांकि, आगे का सफर आसान नहीं रहा. घुटने के ऑपरेशन के कारण उनका लिमिटेड ओवर करियर एक तरह से खत्म हो गया और टेस्ट टीम से भी वो बार-बार अंदर बाहर होते रहे. हालांकि, उन्होंने न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के खिलाफ शतक ठोककर दमदार वापसी की. साल 2016 और 17 लगातार दो साल उन्होंने टेस्ट में 60 के औसत से रन बनाए. उस दौरान पुजारा ने सात में से तीन शतक लगातार ठोके थे.

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चेतेश्वरी पुजारा की माने तो अनुभवी बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा का बीते एक साल में टेस्ट क्रिकेट में प्रदर्शन भले ही फीका रहा हो. लेकिन एक बल्लेबाज के तौर पर उनकी काबिलियत पर शायद ही किसी को शक हो. ऑस्ट्रेलिया में साल 2018-19 में टीम इंडिया को मिली पहली टेस्ट सीरीज जीत इसका सबूत है. तब पुजारा भारत की ऐतिहासिक जीत के हीरो थे. उन्होंने चार टेस्ट की सात पारियों में 74 के औसत से 521 रन ठोके थे.

चेतेश्वर पुजारा ने इस दौरान उन्होंने तीन शतक और एक अर्धशतक लगाया था. इस दौरे की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि उन्होंने चार टेस्ट में कुल 1,258 गेंद यानी 209 ओवर खेले थे. यह ऑस्ट्रेलिया में चार टेस्ट खेलने वाले मेहमान टीम के बल्लेबाज द्वारा सबसे ज्यादा गेंद खेलने का रिकॉर्ड है. इस आंकड़े से समझा जा सकता है कि राहुल द्रविड़ के बाद पुजारा को क्यों टीम इंडिया की दीवार कहा जाता है? आज इसी दीवार यानी चेतेश्वर पुजारा का 34वां जन्मदिन है. पुजारा का जन्म 25 जनवरी, 1988 को राजकोट में हुआ था.

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पिता अरविंद शिवलाल ही पुजारा के पहले कोच थे, जो खुद फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेल चुके थे. उन्होंने ही पुजारा को तराशने का काम किया. पुजारा ने 4-5 की उम्र में पहली बार बल्ला था और टेनिस बॉल से क्रिकेट खेलने की शुरुआत की। लेकिन 8 साल की उम्र में पिता ने उनके गली क्रिकेट खेलने तक पर रोक लगा दी और उन्हें क्रिकेट क्लब में डाल दिया.

इसके पीछे की वजह सिर्फ यही थी कि वो पुजारा की तकनीक खराब नहीं होने देना चाहते थे. क्योंकि टेनिस या रबर बॉल में अतिरिक्त उछाल होता है और ऐसे में पिता को डर था कि कहीं टेनिस बॉल या गली क्रिकेट के चक्कर में पुजारा को क्रॉस बैट शॉट खेलने की आदत न पड़ जाए. इसलिए उनके गली क्रिकेट पर पूरी तरह रोक लगा दी गई थी.

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