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नेत्रहीन क्रिकेट विश्व कप जिताने वाले खिलाड़ी की आस, सुन लो सरकार

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जब देश में कोई खिलाड़ी चमकता है तो हर देशवासी को गर्व होता है. लेकिन समय के साथ उसे भुला भी दिया जाता है. कुछ ऐसा ही जालंधर निवासी नेत्रहीन क्रिकेटर तजिन्दर पाल सिंह के साथ भी हुआ है. फिलहाल, अब तजिन्दर वर्तमान की पंजाब सरकार से नौकरी की मांग कर रहे हैं.

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Blind player Tajinderpal singh
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Published : May 7, 2022, 6:19 PM IST

जालंधर: क्रिकेट और क्रिकेटर को पूरी दुनिया में महत्ता दी जाती है. देश में क्रिकेट और क्रिकेट खिलाड़ी खेल प्रेमियों का साथ चाहते हैं. क्रिकेट में माना जाता है कि जितनी तरक्की और पैसा इस खेल में है वह और कहीं नहीं. इसी तरह ही एक क्रिकेट का सितारा तजिन्दर पाल सिंह जो ख़ुद देख नहीं सकता और सरकारों ने भी उसे अनदेखा कर दिया है.

क्रिकेट तजिन्दर पाल सिंह जालंधर के रहने वाले हैं, जो कि पंजाब के अकेले ऐसे ब्लाइंड क्रिकेट खिलाड़ी हैं, जिन्होंने पंजाब का ही नहीं. बल्कि पूरे देश का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया है. तजिन्दर ने नेत्रहीनों की क्रिकेट टीम में भारत की तरफ से इंग्लैंड में हुई नेत्रहीनों के क्रिकेट टूर्नामेंट में इंग्लैंड और भारत में हुए मैच में भारत को जीत दिलाकर देश का नाम रोशन किया था. इतना ही नहीं तजिन्दर के खेल को देखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सम्मान कर चुके हैं. लेकिन आज सरकारें इनको भुला बैठी हैं.

यह भी पढ़ें: एशियन गेम्स टलने से भारतीय एथलीटों पर क्या प्रभाव पड़ेगा, आइए समझते हैं...

तजिन्दर पाल सिंह ने बताया, जब उनकी उम्र केवल आठ साल थी. उस समय चोट लगने के कारण उन्होंने ग्रामीण डाक्टर के पास से एक दवा ली थी, उस दवा ने तजिन्दर सिंह की आंखों को नुकसान पहुंचाया, जिस कारण से बचपन में ही उनकी आंखों की रोशनी चली गई. इसके बावजूद भी उन्हें क्रिकेट खेलने का शौक था और उन्होंने क्रिकेट खेलना जारी रखा.

नेत्रहीन खिलाड़ी तजिन्दरपाल सिंह

तजिन्दर ने बताया, नेत्रहीनों के लिए क्रिकेट खेलना कोई मुश्किल बात नहीं है. सिर्फ़ एक आवाज़ को पहचानना होता है और इसमें अंडर आर्म बोलिंग की जाती है. उनके मुताबिक इसमें खिलाड़ियों की तीन स्टेज होती है, जिस खिलाड़ी की जितनी दृष्टि होती है उसे उस स्टेज पर रखकर क्रिकेट खिलाया जाता है.

तजिन्दर पाल सिंह को सरकार से शिकायत...

सरकार से नाराज तजिन्दर पाल सिंह का कहना है, वह पंजाब के भारतीय नेत्रहीन क्रिकेट टीम में अकेले खिलाड़ी हैं. हालांकि ख़ुद प्रधानमंत्री उन्हें सम्मानित कर चुके हैं, लेकिन पंजाब में वर्तमान और पिछली सरकारों की तरफ से बिल्कुल ध्यान नहीं दिया गया. उन्होंने बताया, वह नेत्रहीन हैं. इसके बावजूद वह अपनी फाइलें लेकर कई दफ़्तरों के चक्कर काट चुके हैं. लेकिन आज तक कोई हल नहीं निकला. अब शायद आम आदमी पार्टी की सरकार की नजर उन पर पड़े और उन्हें नौकरी मिल जाए.

जालंधर: क्रिकेट और क्रिकेटर को पूरी दुनिया में महत्ता दी जाती है. देश में क्रिकेट और क्रिकेट खिलाड़ी खेल प्रेमियों का साथ चाहते हैं. क्रिकेट में माना जाता है कि जितनी तरक्की और पैसा इस खेल में है वह और कहीं नहीं. इसी तरह ही एक क्रिकेट का सितारा तजिन्दर पाल सिंह जो ख़ुद देख नहीं सकता और सरकारों ने भी उसे अनदेखा कर दिया है.

क्रिकेट तजिन्दर पाल सिंह जालंधर के रहने वाले हैं, जो कि पंजाब के अकेले ऐसे ब्लाइंड क्रिकेट खिलाड़ी हैं, जिन्होंने पंजाब का ही नहीं. बल्कि पूरे देश का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया है. तजिन्दर ने नेत्रहीनों की क्रिकेट टीम में भारत की तरफ से इंग्लैंड में हुई नेत्रहीनों के क्रिकेट टूर्नामेंट में इंग्लैंड और भारत में हुए मैच में भारत को जीत दिलाकर देश का नाम रोशन किया था. इतना ही नहीं तजिन्दर के खेल को देखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सम्मान कर चुके हैं. लेकिन आज सरकारें इनको भुला बैठी हैं.

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तजिन्दर पाल सिंह ने बताया, जब उनकी उम्र केवल आठ साल थी. उस समय चोट लगने के कारण उन्होंने ग्रामीण डाक्टर के पास से एक दवा ली थी, उस दवा ने तजिन्दर सिंह की आंखों को नुकसान पहुंचाया, जिस कारण से बचपन में ही उनकी आंखों की रोशनी चली गई. इसके बावजूद भी उन्हें क्रिकेट खेलने का शौक था और उन्होंने क्रिकेट खेलना जारी रखा.

नेत्रहीन खिलाड़ी तजिन्दरपाल सिंह

तजिन्दर ने बताया, नेत्रहीनों के लिए क्रिकेट खेलना कोई मुश्किल बात नहीं है. सिर्फ़ एक आवाज़ को पहचानना होता है और इसमें अंडर आर्म बोलिंग की जाती है. उनके मुताबिक इसमें खिलाड़ियों की तीन स्टेज होती है, जिस खिलाड़ी की जितनी दृष्टि होती है उसे उस स्टेज पर रखकर क्रिकेट खिलाया जाता है.

तजिन्दर पाल सिंह को सरकार से शिकायत...

सरकार से नाराज तजिन्दर पाल सिंह का कहना है, वह पंजाब के भारतीय नेत्रहीन क्रिकेट टीम में अकेले खिलाड़ी हैं. हालांकि ख़ुद प्रधानमंत्री उन्हें सम्मानित कर चुके हैं, लेकिन पंजाब में वर्तमान और पिछली सरकारों की तरफ से बिल्कुल ध्यान नहीं दिया गया. उन्होंने बताया, वह नेत्रहीन हैं. इसके बावजूद वह अपनी फाइलें लेकर कई दफ़्तरों के चक्कर काट चुके हैं. लेकिन आज तक कोई हल नहीं निकला. अब शायद आम आदमी पार्टी की सरकार की नजर उन पर पड़े और उन्हें नौकरी मिल जाए.

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