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Shooting: साल 2019 रहा शानदार, ओलंपिक के लिए बंधाई उम्मीद

साल 2019 में युवा निशानेबाजों का प्रदर्शन शानदार रहा. इस साल भारत ने राइफल - पिस्टल विश्व कप और फाइनल्स में कुल मिलाकर 21 स्वर्ण, छह रजत और तीन कांस्य पदक जीते.

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Published : Dec 24, 2019, 6:27 PM IST

नई दिल्ली: भारतीय निशानेबाजों ने वर्ष 2019 में लगातार अच्छा प्रदर्शन करके अपना दबदबा इस तरह से बनाया कि कुछ अवसरों पर तो विश्व प्रतियोगिताएं घरेलू टूर्नामेंट जैसी लगी जिससे टोक्यो ओलंपिक में इस खेल से अधिक से अधिक पदक बटोरेने की उम्मीद बंध गयी है.

भारत के इस प्रदर्शन में युवा निशानेबाजों का अहम योगदान रहा जिन्होंने बेफिक्र होकर अपने निशाने साधे. इनमें से कुछ को परीक्षाओं की तैयारी करनी पड़ी लेकिन साथ में उन्होंने निशानेबाजी पर भी कड़ी मेहनत की.



भारत ने हासिल किए 15 ओलंपिक कोटे

इस साल भारत ने राइफल - पिस्टल विश्व कप और फाइनल्स में कुल मिलाकर 21 स्वर्ण, छह रजत और तीन कांस्य पदक जीते.

भारत निशानेबाजी में अभी तक 15 ओलंपिक कोटा हासिल कर चुका है जो कि रिकॉर्ड है और जिससे देश की इस खेल में प्रगति का पता चलता है. इससे भारत की टोक्यो ओलंपिक में रियो की निराशा को भी समाप्त करने की उम्मीद बंध गयी है.

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हिना सिंधु और मनु भाकर

भारतीय निशानेबाजों का ओलंपिक में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन लंदन 2012 में रहा जबकि उन्होंने दो पदक जीते थे. वे टोक्यो में आसानी से सुधार कर सकते हैं.

रियो के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ (एनआरएआई) ने कुछ कड़े फैसले किए थे. इसमें ओलंपिक खेलों से पहले किसी तरह का वित्तीय करार नहीं करना भी शामिल है. ये निशानेबाजों की ध्यान भंग होने से बचने के लिए किया गया भले ही कुछ निशानेबाजों को ये नागवार गुजरा.

रियो के बाद अगर भारतीय निशानेबाजों ने लगातार अच्छा प्रदर्शन किया तो इसका श्रेय एनआरएआई को भी जाता है जिसने अभिनव बिंद्रा की अगुवाई वाली समिति के सुधारात्मक उपायों को गंभीरता से लिया.

जूनियर निशानेबाजों ने किया कमाल

महासंघ ने जसपाल राणा और समरेश जंग जैसे अनुभवी निशानेबाजों की मदद से जूनियर कार्यक्रम को अच्छी तरह से व्यवस्थित किया. इससे देश को मनु भाकर, सौरभ चौधरी, दिव्यांश सिंह पंवार और इलावेनिल वलारिवान जैसे निशानेबाज मिले.

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मनु भाकर

इन जूनियर के शानदार खेल तथा संजीव राजपूत और तेजस्विनी सावंत जैसे शीर्ष खिलाड़ियों के अच्छे प्रदर्शन से भारत इस साल सभी विश्व कप की पदक तालिका में शीर्ष पर रहा.

महिला निशानेबाजों ने भी बनाया दबदबा

भारत ने महिलाओं के दस मीटर में लगातार दबदबा बनाए रखा. अपूर्वी चंदेला, अंजुम मोदगिल और इलावेनिल वर्ष के आखिर में क्रमश: पहले, दूसरे और तीसरी रैंकिंग पर रही. संजीव राजपूत ने लंबी छलांग लगायी. उन्होंने रियो विश्व कप में पुरुषों की 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन में रजत और ओलंपिक कोटा हासिल किया और 75 पायदान की छलांग लगाकर आठवें स्थान पर पहुंचे.

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अपुर्वी चंडेला


टोक्यो में अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद

भारत ने सितंबर में रियो विश्व कप में पांच स्वर्ण पदक जीते जबकि पुतियान चीन में विश्व कप फाइनल्स में तीन स्वर्ण पदक हासिल किए जिससे पता चलता है कि ये खेल सही दिशा में आगे बढ़ रहा है. निशानेबाजों से उम्मीद है कि वे टोक्यो में भी अपनी शानदार फार्म जारी रखेंगे लेकिन इससे पहले उन्हें अपना मनोबल बढ़ाने के लिए कुछ अन्य प्रतियोगिताओं में पदक जीतने का मौका मिलेगा.

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अभिनव बिंद्रा

इनमें से एक अंतरराष्ट्रीय निशानेबाजी खेल महासंघ (आईएसएसएफ) विश्व कप भी है जो फरवरी में नई दिल्ली में खेला जाएगा.

सीजीएफ के फैसला का किया कड़ा विरोध

भारतीय निशानेबाज जब रेंज पर अपना जलवा दिखा रहे थे तब भारत ने 2022 बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों से निशानेबाजी हटाने के राष्ट्रमंडल खेल महासंघ (सीजीएफ) के फैसले का कड़ा विरोध भी किया.

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राष्ट्रमंडल खेल महासंघ

भारत और आईएसएसएफ के दबाव के बावजूद सीजीएफ ने अपना फैसला नहीं बदला और 2022 बर्मिंघम खेलों के दौरान भारत में राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप के आयोजन की किसी योजना से भी इंकार किया.

नई दिल्ली: भारतीय निशानेबाजों ने वर्ष 2019 में लगातार अच्छा प्रदर्शन करके अपना दबदबा इस तरह से बनाया कि कुछ अवसरों पर तो विश्व प्रतियोगिताएं घरेलू टूर्नामेंट जैसी लगी जिससे टोक्यो ओलंपिक में इस खेल से अधिक से अधिक पदक बटोरेने की उम्मीद बंध गयी है.

भारत के इस प्रदर्शन में युवा निशानेबाजों का अहम योगदान रहा जिन्होंने बेफिक्र होकर अपने निशाने साधे. इनमें से कुछ को परीक्षाओं की तैयारी करनी पड़ी लेकिन साथ में उन्होंने निशानेबाजी पर भी कड़ी मेहनत की.



भारत ने हासिल किए 15 ओलंपिक कोटे

इस साल भारत ने राइफल - पिस्टल विश्व कप और फाइनल्स में कुल मिलाकर 21 स्वर्ण, छह रजत और तीन कांस्य पदक जीते.

भारत निशानेबाजी में अभी तक 15 ओलंपिक कोटा हासिल कर चुका है जो कि रिकॉर्ड है और जिससे देश की इस खेल में प्रगति का पता चलता है. इससे भारत की टोक्यो ओलंपिक में रियो की निराशा को भी समाप्त करने की उम्मीद बंध गयी है.

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हिना सिंधु और मनु भाकर

भारतीय निशानेबाजों का ओलंपिक में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन लंदन 2012 में रहा जबकि उन्होंने दो पदक जीते थे. वे टोक्यो में आसानी से सुधार कर सकते हैं.

रियो के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ (एनआरएआई) ने कुछ कड़े फैसले किए थे. इसमें ओलंपिक खेलों से पहले किसी तरह का वित्तीय करार नहीं करना भी शामिल है. ये निशानेबाजों की ध्यान भंग होने से बचने के लिए किया गया भले ही कुछ निशानेबाजों को ये नागवार गुजरा.

रियो के बाद अगर भारतीय निशानेबाजों ने लगातार अच्छा प्रदर्शन किया तो इसका श्रेय एनआरएआई को भी जाता है जिसने अभिनव बिंद्रा की अगुवाई वाली समिति के सुधारात्मक उपायों को गंभीरता से लिया.

जूनियर निशानेबाजों ने किया कमाल

महासंघ ने जसपाल राणा और समरेश जंग जैसे अनुभवी निशानेबाजों की मदद से जूनियर कार्यक्रम को अच्छी तरह से व्यवस्थित किया. इससे देश को मनु भाकर, सौरभ चौधरी, दिव्यांश सिंह पंवार और इलावेनिल वलारिवान जैसे निशानेबाज मिले.

Shooting
मनु भाकर

इन जूनियर के शानदार खेल तथा संजीव राजपूत और तेजस्विनी सावंत जैसे शीर्ष खिलाड़ियों के अच्छे प्रदर्शन से भारत इस साल सभी विश्व कप की पदक तालिका में शीर्ष पर रहा.

महिला निशानेबाजों ने भी बनाया दबदबा

भारत ने महिलाओं के दस मीटर में लगातार दबदबा बनाए रखा. अपूर्वी चंदेला, अंजुम मोदगिल और इलावेनिल वर्ष के आखिर में क्रमश: पहले, दूसरे और तीसरी रैंकिंग पर रही. संजीव राजपूत ने लंबी छलांग लगायी. उन्होंने रियो विश्व कप में पुरुषों की 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन में रजत और ओलंपिक कोटा हासिल किया और 75 पायदान की छलांग लगाकर आठवें स्थान पर पहुंचे.

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अपुर्वी चंडेला


टोक्यो में अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद

भारत ने सितंबर में रियो विश्व कप में पांच स्वर्ण पदक जीते जबकि पुतियान चीन में विश्व कप फाइनल्स में तीन स्वर्ण पदक हासिल किए जिससे पता चलता है कि ये खेल सही दिशा में आगे बढ़ रहा है. निशानेबाजों से उम्मीद है कि वे टोक्यो में भी अपनी शानदार फार्म जारी रखेंगे लेकिन इससे पहले उन्हें अपना मनोबल बढ़ाने के लिए कुछ अन्य प्रतियोगिताओं में पदक जीतने का मौका मिलेगा.

Shooting
अभिनव बिंद्रा

इनमें से एक अंतरराष्ट्रीय निशानेबाजी खेल महासंघ (आईएसएसएफ) विश्व कप भी है जो फरवरी में नई दिल्ली में खेला जाएगा.

सीजीएफ के फैसला का किया कड़ा विरोध

भारतीय निशानेबाज जब रेंज पर अपना जलवा दिखा रहे थे तब भारत ने 2022 बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों से निशानेबाजी हटाने के राष्ट्रमंडल खेल महासंघ (सीजीएफ) के फैसले का कड़ा विरोध भी किया.

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राष्ट्रमंडल खेल महासंघ

भारत और आईएसएसएफ के दबाव के बावजूद सीजीएफ ने अपना फैसला नहीं बदला और 2022 बर्मिंघम खेलों के दौरान भारत में राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप के आयोजन की किसी योजना से भी इंकार किया.

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Shooting: साल 2019 रहा शानदार, ओलंपिक के लिए बंधाई उम्मीद

 



नई दिल्ली: भारतीय निशानेबाजों ने वर्ष 2019 में लगातार अच्छा प्रदर्शन करके अपना दबदबा इस तरह से बनाया कि कुछ अवसरों पर तो विश्व प्रतियोगिताएं घरेलू टूर्नामेंट जैसी लगी जिससे टोक्यो ओलंपिक में इस खेल से अधिक से अधिक पदक बटोरेने की उम्मीद बंध गयी है.



भारत के इस प्रदर्शन में युवा निशानेबाजों का अहम योगदान रहा जिन्होंने बेफिक्र होकर अपने निशाने साधे. इनमें से कुछ को परीक्षाओं की तैयारी करनी पड़ी लेकिन साथ में उन्होंने निशानेबाजी पर भी कड़ी मेहनत की.





भारत ने हासिल किए 15 ओलंपिक कोटे

इस साल भारत ने राइफल - पिस्टल विश्व कप और फाइनल्स में कुल मिलाकर 21 स्वर्ण, छह रजत और तीन कांस्य पदक जीते.



भारत निशानेबाजी में अभी तक 15 ओलंपिक कोटा हासिल कर चुका है जो कि रिकॉर्ड है और जिससे देश की इस खेल में प्रगति का पता चलता है.  इससे भारत की टोक्यो ओलंपिक में रियो की निराशा को भी समाप्त करने की उम्मीद बंध गयी है.



भारतीय निशानेबाजों का ओलंपिक में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन लंदन 2012 में रहा जबकि उन्होंने दो पदक जीते थे. वे टोक्यो में आसानी से सुधार कर सकते हैं.



रियो के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ (एनआरएआई) ने कुछ कड़े फैसले किए थे. इसमें ओलंपिक खेलों से पहले किसी तरह का वित्तीय करार नहीं करना भी शामिल है. ये निशानेबाजों की ध्यान भंग होने से बचने के लिए किया गया भले ही कुछ निशानेबाजों को ये नागवार गुजरा.



रियो के बाद अगर भारतीय निशानेबाजों ने लगातार अच्छा प्रदर्शन किया तो इसका श्रेय एनआरएआई को भी जाता है जिसने अभिनव बिंद्रा की अगुवाई वाली समिति के सुधारात्मक उपायों को गंभीरता से लिया.





जूनियर निशानेबाजों ने किया कमाल

महासंघ ने जसपाल राणा और समरेश जंग जैसे अनुभवी निशानेबाजों की मदद से जूनियर कार्यक्रम को अच्छी तरह से व्यवस्थित किया. इससे देश को मनु भाकर, सौरभ चौधरी, दिव्यांश सिंह पंवार और इलावेनिल वलारिवान जैसे निशानेबाज मिले.



इन जूनियर के शानदार खेल तथा संजीव राजपूत और तेजस्विनी सावंत जैसे शीर्ष खिलाड़ियों के अच्छे प्रदर्शन से भारत इस साल सभी विश्व कप की पदक तालिका में शीर्ष पर रहा.





महिला निशानेबाजों ने भी बनाया दबदबा

भारत ने महिलाओं के दस मीटर में लगातार दबदबा बनाए रखा. अपूर्वी चंदेला, अंजुम मोदगिल और इलावेनिल वर्ष के आखिर में क्रमश: पहले, दूसरे और तीसरी रैंकिंग पर रही. संजीव राजपूत ने लंबी छलांग लगायी. उन्होंने रियो विश्व कप में पुरुषों की 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन में रजत और ओलंपिक कोटा हासिल किया और 75 पायदान की छलांग लगाकर आठवें स्थान पर पहुंचे.





टोक्यो में अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद

भारत ने सितंबर में रियो विश्व कप में पांच स्वर्ण पदक जीते जबकि पुतियान चीन में विश्व कप फाइनल्स में तीन स्वर्ण पदक हासिल किए जिससे पता चलता है कि ये खेल सही दिशा में आगे बढ़ रहा है. निशानेबाजों से उम्मीद है कि वे टोक्यो में भी अपनी शानदार फार्म जारी रखेंगे लेकिन इससे पहले उन्हें अपना मनोबल बढ़ाने के लिए कुछ अन्य प्रतियोगिताओं में पदक जीतने का मौका मिलेगा.



इनमें से एक अंतरराष्ट्रीय निशानेबाजी खेल महासंघ (आईएसएसएफ) विश्व कप भी है जो फरवरी में नई दिल्ली में खेला जाएगा.



सीजीएफ के फैसला का किया कड़ा विरोध

भारतीय निशानेबाज जब रेंज पर अपना जलवा दिखा रहे थे तब भारत ने 2022 बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों से निशानेबाजी हटाने के राष्ट्रमंडल खेल महासंघ (सीजीएफ) के फैसले का कड़ा विरोध भी किया.



भारत और आईएसएसएफ के दबाव के बावजूद सीजीएफ ने अपना फैसला नहीं बदला और 2022 बर्मिंघम खेलों के दौरान भारत में राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप के आयोजन की किसी योजना से भी इंकार किया.


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