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Saina vs Sindhu: कौन किसपर भारी, जानिए आंकड़ो की जुबानी

जानिए भारत के दो सबसे बड़े बैडमिंटन खिलाड़ियों का कैसा रहा सफर.

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Published : Apr 2, 2020, 12:54 PM IST

हैदराबाद: भारत में अगर बैडमिंटन की बात होती है तो सबसे पहले जहन में जो दो खिलाड़ियों का नाम आता है वो साइना नेहवाल और पी.वी सिंधु का होता है. इन दोनों खिलाड़ियों ने मिलकर भारतीय बैडमिंटन को पूरी तरह बदल कर रख दिया.

अगर साइना विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी हैं तो वहीं सिंधु भारत की एकमात्र महिला खिलाड़ी हैं जिन्होंने ओलंपिक में रजत पदक जीता है.

दोनों के करियर पर एक नजर

साइना नेहवाल:

साइना का जन्म 17 मार्च 1990 को हिसार जिले में हुआ था. उनके माता-पिता हरवीर सिंह नेहवाल और उषा नेहवाल खुद भी एक राज्य स्तरीय बैडमिंटन चैंपियन थे.

Saina vs Sindhu
साइना नेहवाल

साइना का बैडमिंटन करियर 13 साल की उम्र में शुरु हुआ और साल 2006 में वो एक पेशेवर खिलाड़ी बनी. तभी से वे भारत के युवाओं के लिए एक प्रेरणा का स्त्रोत रही हैं, खासकर उन महिलाओं के लिए जो खेल में अपना करियर बनाना चाहती हैं.

दिलचस्प बात ये है कि साइना ने भारत को कई कभी ना भूलने वाले पल दिए हैं. साइना भारत के लिए ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी हैं. इसके साथ ही वे बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचने वाली भी पहली भारतीय है.वहीं, सुपर सीरीज खिताब जीतने के साथ ही राष्ट्रमंडल खेलों में दो महिला एकल (2010 और 2018) स्वर्ण पदक जीतने वाली भी पहली भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी हैं.

Saina vs Sindhu
साइना नेहवाल

साल 2010 में साइना अपने करियर के टॉप पर थी. इस साल उन्होंने पांच अंतरराष्ट्रीय खिताब जीते थे जिसमें इंडिया ओपन ग्रां प्री गोल्ड, इंडोनेशिया ओपन सुपर सीरीज, सिंगापुर ओपन सुपर सीरीज और हांगकांग ओपन सुपर सीरीज शामिल थे. साइना ने साल 2012 में एक के बाद एक कई टूर्नामेंट में जीत हासिल की जैसे कि उन्होंने उस साल स्विस ओपन, थाईलैंड ओपन, इंडोनेशिया ओपन, डेनमार्क ओपन और फ्रेंच बैडमिंटन ओपन जीता था. हालांकि, 2012 लंदन ओलंपिक में उन्हें कांस्य पदक से ही संतोष करना पड़ा.

साल 2013 में चोट के कारण साइना ज्यादातर समय कोर्ट से दूर ही रही. लेकिन 2014 में ज्बरदस्त वापसी करते हुए उन्होंने इंडिया ग्रां प्री गोल्ड, ऑस्ट्रेलियन बैडमिंटन ओपन और चाइना ओपन में जीत हासिल की. 2015 में भी उन्होंने दो टूर्नामेंट (सैयद मोदी इंटरनेशनल बैडमिंटन चैम्पियनशिप और 2015 इंडिया ओपन) जीते थे.

Saina vs Sindhu
साइना नेहवाल

अपनी फिटनेस और 2016 में मिली घुटने की चोट के कारण साइना अब चुनिंदा टूर्नामेंट में ही भाग लेती हैं. 2019 में इंडोनेशिया ओपन में मिली जीत उनकी सबसे हालिया जीत है.

  • अवॉर्ड

साइना नेहवाल को भारत सरकार की ओर से चार पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है. उन्होंने 2009 में बैडमिंटन के लिए अर्जुन पुरस्कार जीता था. उसके एक साल बाद 2010 में, उन्होंने पद्म श्री और भारत में सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न भी जीता. साथ ही, 2016 में उन्हें पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था.

पी.वी सिंधु: सिंधु का जन्म 5 जुलाई 1995 को हैदराबाद के एक तेलुगु परिवार में हुआ था. उसके माता-पिता पी.वी. रमना और पी. विजया वॉलीबॉल खिलाड़ी हैं और उनकी बड़ी बहन एक राष्ट्रीय स्तर की हैंडबॉल खिलाड़ी हैं.

खिलाड़ियों के परिवार से आने के कारण पी.वी. सिंधु को छह साल की उम्र में ही खेल को अपना करियर बनाने के लिए प्रेरित किया. लेकिन पुलेला गोपीचंद से प्रेरित होकर उन्होंने बैडमिंटन को अपना मुख्य खेल चुना. बता दें कि गोपीचंद ने 2001 में ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियनशिप जीती थी.

Saina vs Sindhu
पी.वी सिंधु

बैंडमिंटन की मूल बातें सीखने के लिए पहले वे कोच महबूब अली के पास गई. उसके बाद खेल में पूरी ट्रेनिंग लेने के लिए सिंधु गोपीचंद अकादमी में शामिल हो गईं. दिलचस्प बात यह है कि सिंधु अपने आवास से कोचिंग कैंप तक रोजाना 56 किलोमीटर की यात्रा करती थीं. उनके इस दृढ़ संकल्प और इच्छा ने ही एक कामयाब खिलाड़ी बनने की नींव रखी.

सिंधु ने महज आठ साल की उम्र से बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था और 2009 में वे पेशेवर खिलाड़ी बन गईं. उनकी पहली अंतरराष्ट्रीय पहचान तब बनी जब वे सितंबर 2012 में बीडब्लूएफ वर्ल्ड रैंकिंग में शीर्ष 20 में रहीं. उस समय वे सिर्फ 17 वर्ष की थीं. इसके बाद साल 2013 में बीडब्ल्यूएफ विश्व चैम्पियनशिप की एकल प्रतियोगिता में पदक जीतने वाली सिंधु पहली भारतीय महिला बनीं.

Saina vs Sindhu
पी.वी सिंधु

दिलचस्प बात ये है कि सिंधु विश्व चैंपियनशिप में एक अनोखा रिकॉर्ड रखती हैं. उन्होंने चैंपियनशिप में कुल छह में से पांच बार पदक हासिल किए हैं. सिंधु ने साल 2019 में स्वर्ण, साल 2017, 2018 में रजत जबकि 2013, 2014 में कांस्य पदक जीता था. सिंधु के पास विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में सबसे जल्दी पांच पदक जीतने का रिकॉर्ड है.

सिंधु ने सुपर सीरीज प्रीमियर, सुपर सीरीज, ग्रां प्री गोल्ड और इंटरनेशनल चैलेंज में कुल 10 खिताब जीते हैं. उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन मकाऊ ओपन ग्रां प्री गोल्ड में आया है, जहां उन्होंने तीन खिताब जीते हैं. खास बात ये है कि सिंधु ओलंपिक रजत जीतने वाली एकमात्र भारतीय एकल खिलाड़ी हैं. उन्होंने 2016 में रियो ओलंपिक में ये उपलब्धि हासिल की थी. इसके साथ ही उन्होंने 2018 में बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड टूर फाइनल्स भी जीता था.

Saina vs Sindhu
पी.वी सिंधु
  • अवॉर्ड

सिंधु को 24 सितंबर 2013 को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया. उन्हें 2015 में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जबकि 2016 में सिंधु को राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार मिला. जनवरी 2020 में सिंधु को भारत के तीसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

साइना नेहवाल vs पी.वी सिंधु

कोर्ट पर और कोर्ट के बाहर कई बार इन दोनों खिलाड़ियों के बीच प्रतिस्पर्धा देखने को मिली है. ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं जब दोनों खिलाड़ियों के बीच तुलना यह जानने के लिए हुई है कि कौन किससे बेहतर है.

आइए उनके हेड-टू-हेड रिकॉर्ड पर एक नज़र डालें-

नेहवाल और सिंधु का अब तक चार बार एक-दूसरे से आमना-सामना हुआ हैं, जिसमें साइना ने तीन मौकों पर जीत हासिल की.

Saina vs Sindhu
पी.वी सिंधु

सायना नेहवाल और पी.वी सिंधु के बीच हुए मुकाबलों का परिणाम

  • 2014 भारत ग्रां प्री गोल्ड: साइना नेहवाल ने सिंधु को 21-14, 21-17 से हराया.
  • 2017 इंडिया ओपन: पीवी सिंधु ने साइना को 21-16, 22-20 से हराया.
  • 2018 इंडोनेशिया मास्टर्स: साइना नेहवाल ने सिंधु को 21-13, 21-19 से हराया.
  • 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स: साइना नेहवाल ने 21-18, 23-21 से जीत हासिल की.

जीत के आंकड़े

अब तक खेले गए मुकाबलों में साइना ने बैडमिंटन के सिंगल्स प्रारूप में कुल 633 में से 433 मैच जीते हैं. दूसरी ओर, पी.वी सिंधु ने इसी प्रारूप में कुल 465 मैचों में से 326 मैच जीते हैं. अगर दोनों खिलाड़ियों की जीत का अनुपात निकाला जाए तो ये परिणाम निकालता है कि नेहवाल ने 68.9 प्रतिशत मैच जीते हैं, जबकि सिंधु ने 70.10 प्रतिशत मैचों में जीत हासिल की है.

Saina vs Sindhu
साइना नेहवाल

इसलिए, मैच जीतने के अनुपात की तुलना में पीवी सिंधु साइना से थोड़ा आगे हैं, हालांकि, जब हेड-टू-हेड की बात आती है, तो साइना अकसर सिंधु पर भारी दिखाई देती है.

हैदराबाद: भारत में अगर बैडमिंटन की बात होती है तो सबसे पहले जहन में जो दो खिलाड़ियों का नाम आता है वो साइना नेहवाल और पी.वी सिंधु का होता है. इन दोनों खिलाड़ियों ने मिलकर भारतीय बैडमिंटन को पूरी तरह बदल कर रख दिया.

अगर साइना विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी हैं तो वहीं सिंधु भारत की एकमात्र महिला खिलाड़ी हैं जिन्होंने ओलंपिक में रजत पदक जीता है.

दोनों के करियर पर एक नजर

साइना नेहवाल:

साइना का जन्म 17 मार्च 1990 को हिसार जिले में हुआ था. उनके माता-पिता हरवीर सिंह नेहवाल और उषा नेहवाल खुद भी एक राज्य स्तरीय बैडमिंटन चैंपियन थे.

Saina vs Sindhu
साइना नेहवाल

साइना का बैडमिंटन करियर 13 साल की उम्र में शुरु हुआ और साल 2006 में वो एक पेशेवर खिलाड़ी बनी. तभी से वे भारत के युवाओं के लिए एक प्रेरणा का स्त्रोत रही हैं, खासकर उन महिलाओं के लिए जो खेल में अपना करियर बनाना चाहती हैं.

दिलचस्प बात ये है कि साइना ने भारत को कई कभी ना भूलने वाले पल दिए हैं. साइना भारत के लिए ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी हैं. इसके साथ ही वे बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचने वाली भी पहली भारतीय है.वहीं, सुपर सीरीज खिताब जीतने के साथ ही राष्ट्रमंडल खेलों में दो महिला एकल (2010 और 2018) स्वर्ण पदक जीतने वाली भी पहली भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी हैं.

Saina vs Sindhu
साइना नेहवाल

साल 2010 में साइना अपने करियर के टॉप पर थी. इस साल उन्होंने पांच अंतरराष्ट्रीय खिताब जीते थे जिसमें इंडिया ओपन ग्रां प्री गोल्ड, इंडोनेशिया ओपन सुपर सीरीज, सिंगापुर ओपन सुपर सीरीज और हांगकांग ओपन सुपर सीरीज शामिल थे. साइना ने साल 2012 में एक के बाद एक कई टूर्नामेंट में जीत हासिल की जैसे कि उन्होंने उस साल स्विस ओपन, थाईलैंड ओपन, इंडोनेशिया ओपन, डेनमार्क ओपन और फ्रेंच बैडमिंटन ओपन जीता था. हालांकि, 2012 लंदन ओलंपिक में उन्हें कांस्य पदक से ही संतोष करना पड़ा.

साल 2013 में चोट के कारण साइना ज्यादातर समय कोर्ट से दूर ही रही. लेकिन 2014 में ज्बरदस्त वापसी करते हुए उन्होंने इंडिया ग्रां प्री गोल्ड, ऑस्ट्रेलियन बैडमिंटन ओपन और चाइना ओपन में जीत हासिल की. 2015 में भी उन्होंने दो टूर्नामेंट (सैयद मोदी इंटरनेशनल बैडमिंटन चैम्पियनशिप और 2015 इंडिया ओपन) जीते थे.

Saina vs Sindhu
साइना नेहवाल

अपनी फिटनेस और 2016 में मिली घुटने की चोट के कारण साइना अब चुनिंदा टूर्नामेंट में ही भाग लेती हैं. 2019 में इंडोनेशिया ओपन में मिली जीत उनकी सबसे हालिया जीत है.

  • अवॉर्ड

साइना नेहवाल को भारत सरकार की ओर से चार पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है. उन्होंने 2009 में बैडमिंटन के लिए अर्जुन पुरस्कार जीता था. उसके एक साल बाद 2010 में, उन्होंने पद्म श्री और भारत में सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न भी जीता. साथ ही, 2016 में उन्हें पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था.

पी.वी सिंधु: सिंधु का जन्म 5 जुलाई 1995 को हैदराबाद के एक तेलुगु परिवार में हुआ था. उसके माता-पिता पी.वी. रमना और पी. विजया वॉलीबॉल खिलाड़ी हैं और उनकी बड़ी बहन एक राष्ट्रीय स्तर की हैंडबॉल खिलाड़ी हैं.

खिलाड़ियों के परिवार से आने के कारण पी.वी. सिंधु को छह साल की उम्र में ही खेल को अपना करियर बनाने के लिए प्रेरित किया. लेकिन पुलेला गोपीचंद से प्रेरित होकर उन्होंने बैडमिंटन को अपना मुख्य खेल चुना. बता दें कि गोपीचंद ने 2001 में ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियनशिप जीती थी.

Saina vs Sindhu
पी.वी सिंधु

बैंडमिंटन की मूल बातें सीखने के लिए पहले वे कोच महबूब अली के पास गई. उसके बाद खेल में पूरी ट्रेनिंग लेने के लिए सिंधु गोपीचंद अकादमी में शामिल हो गईं. दिलचस्प बात यह है कि सिंधु अपने आवास से कोचिंग कैंप तक रोजाना 56 किलोमीटर की यात्रा करती थीं. उनके इस दृढ़ संकल्प और इच्छा ने ही एक कामयाब खिलाड़ी बनने की नींव रखी.

सिंधु ने महज आठ साल की उम्र से बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था और 2009 में वे पेशेवर खिलाड़ी बन गईं. उनकी पहली अंतरराष्ट्रीय पहचान तब बनी जब वे सितंबर 2012 में बीडब्लूएफ वर्ल्ड रैंकिंग में शीर्ष 20 में रहीं. उस समय वे सिर्फ 17 वर्ष की थीं. इसके बाद साल 2013 में बीडब्ल्यूएफ विश्व चैम्पियनशिप की एकल प्रतियोगिता में पदक जीतने वाली सिंधु पहली भारतीय महिला बनीं.

Saina vs Sindhu
पी.वी सिंधु

दिलचस्प बात ये है कि सिंधु विश्व चैंपियनशिप में एक अनोखा रिकॉर्ड रखती हैं. उन्होंने चैंपियनशिप में कुल छह में से पांच बार पदक हासिल किए हैं. सिंधु ने साल 2019 में स्वर्ण, साल 2017, 2018 में रजत जबकि 2013, 2014 में कांस्य पदक जीता था. सिंधु के पास विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में सबसे जल्दी पांच पदक जीतने का रिकॉर्ड है.

सिंधु ने सुपर सीरीज प्रीमियर, सुपर सीरीज, ग्रां प्री गोल्ड और इंटरनेशनल चैलेंज में कुल 10 खिताब जीते हैं. उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन मकाऊ ओपन ग्रां प्री गोल्ड में आया है, जहां उन्होंने तीन खिताब जीते हैं. खास बात ये है कि सिंधु ओलंपिक रजत जीतने वाली एकमात्र भारतीय एकल खिलाड़ी हैं. उन्होंने 2016 में रियो ओलंपिक में ये उपलब्धि हासिल की थी. इसके साथ ही उन्होंने 2018 में बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड टूर फाइनल्स भी जीता था.

Saina vs Sindhu
पी.वी सिंधु
  • अवॉर्ड

सिंधु को 24 सितंबर 2013 को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया. उन्हें 2015 में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जबकि 2016 में सिंधु को राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार मिला. जनवरी 2020 में सिंधु को भारत के तीसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

साइना नेहवाल vs पी.वी सिंधु

कोर्ट पर और कोर्ट के बाहर कई बार इन दोनों खिलाड़ियों के बीच प्रतिस्पर्धा देखने को मिली है. ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं जब दोनों खिलाड़ियों के बीच तुलना यह जानने के लिए हुई है कि कौन किससे बेहतर है.

आइए उनके हेड-टू-हेड रिकॉर्ड पर एक नज़र डालें-

नेहवाल और सिंधु का अब तक चार बार एक-दूसरे से आमना-सामना हुआ हैं, जिसमें साइना ने तीन मौकों पर जीत हासिल की.

Saina vs Sindhu
पी.वी सिंधु

सायना नेहवाल और पी.वी सिंधु के बीच हुए मुकाबलों का परिणाम

  • 2014 भारत ग्रां प्री गोल्ड: साइना नेहवाल ने सिंधु को 21-14, 21-17 से हराया.
  • 2017 इंडिया ओपन: पीवी सिंधु ने साइना को 21-16, 22-20 से हराया.
  • 2018 इंडोनेशिया मास्टर्स: साइना नेहवाल ने सिंधु को 21-13, 21-19 से हराया.
  • 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स: साइना नेहवाल ने 21-18, 23-21 से जीत हासिल की.

जीत के आंकड़े

अब तक खेले गए मुकाबलों में साइना ने बैडमिंटन के सिंगल्स प्रारूप में कुल 633 में से 433 मैच जीते हैं. दूसरी ओर, पी.वी सिंधु ने इसी प्रारूप में कुल 465 मैचों में से 326 मैच जीते हैं. अगर दोनों खिलाड़ियों की जीत का अनुपात निकाला जाए तो ये परिणाम निकालता है कि नेहवाल ने 68.9 प्रतिशत मैच जीते हैं, जबकि सिंधु ने 70.10 प्रतिशत मैचों में जीत हासिल की है.

Saina vs Sindhu
साइना नेहवाल

इसलिए, मैच जीतने के अनुपात की तुलना में पीवी सिंधु साइना से थोड़ा आगे हैं, हालांकि, जब हेड-टू-हेड की बात आती है, तो साइना अकसर सिंधु पर भारी दिखाई देती है.

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