नई दिल्ली: राष्ट्रमंडल खेलों के स्वर्ण पदक विजेता भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी किदांबी श्रीकांत का मानना है कि खेलो इंडिया से भविष्य में ओलंपिक पदक विजेता निकलकर सामने आएंगे.
श्रीकांत ने कहा,"मुझे लगता है कि युवाओं के वित्तीय सहायता के लिए ये बहुत महत्वपूर्ण है. ये उनके माता-पिता के ऊपर से आर्थिक बोझ कम करता है और एथलीटों को उनके लक्ष्य के प्रति ध्यान दिलाता है."
उन्होंने कहा,"एथलीटों को कार्यक्रम में शामिल करने के बाद खेलो इंडिया योजना सभी खचरें का ध्यान रखेगी. इसलिए, इससे निश्चित रूप से हम भविष्य में बहुत से ओलंपिक पदक विजेता तैयार कर सकते हैं."
खेलो इंडिया के बाद अब 22 फरवरी से एक मार्च तक ओडिशा के भुवनेश्वर में खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स का आयोजन किया जाएगा.
श्रीकांत ने खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स के आयोजन को लेकर कहा कि ये देश में खेलों की नई संस्कृति शुरू करेगी.
उन्होंने कहा,"खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स एक नई संस्कृति शुरू करने जा रहा है, जहां कॉलेज और विश्वविद्यालय अपने पाठयक्रम में खेलों को शामिल करेंगे. इससे अधिक लोगों को खेलकूद में लाने में मदद मिलेगी."
26 वर्षीय श्रीकांत अब टोक्यो ओलंपिक में क्वालीफाई करने के लिए प्रतिबद्ध है.
उन्होंने कहा,"निश्चित रूप से मैं ओलंपिक में खेलना चाहता हूं और अच्छा करना चाहता हूं. मुझे पता है कि पिछले छह महीने मेरे लिए काफी मुश्किल रहे हैं. लेकिन मैं फिर से फिटनेस हाासिल करने और बेहतर करने के लिए प्रतिबद्ध हूं. अगर हम हर टूर्नामेंट में अपने प्रदर्शन में निरंतरता बनाए रखते हैं तो मुझे लगता है कि भारतीय बैडमिंटन के पास निश्चित रूप से ओलंपिक में अच्छा प्रदर्शन करने की संभावना है."
पिछले वर्षो में बैडमिंटन, भारत में टॉप खेल बन गया है. भारत के पास सायना नेहवाल और पीवी सिंधु के रूप में दो ओलंपिक पदक विजेता है. श्रीकांत ने भारत में इस खेल के बढ़ते प्रभाव का श्रेय कोच पुलेला गोपीचंद को दिया है.
श्रीकांत ने कहा,"भारत में बैडमिंटन के विकास का श्रेय मैं गोपीचंद सर को देना चाहूंगा. उन्होंने अपने अकेडमी से कई चैंपियन दिए हैं. जब एक समय कुछ भी नहीं था तब उन्होंने अच्छे सरंचना और माहौल का निर्माण किया."