हैदराबाद : राष्ट्रीय कोच पुलेला गोपीचंद ने अपनी बुक 'ड्रीम्स ऑफ ए बिलियन : इंडिया ऐंड द ओलिंपिक गेम्स' में कई खुलासे किए हैं. जिसमें उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया है कि जब साइना ने 2014 वर्ल्ड चैंपियनशिप के बाद बेंगलुरु में पादुकोण की अकैडमी से जुड़ने और विमल कुमार के मार्गदर्शन में ट्रेनिंग करने का फैसला किया था तो वो कितने दुखी हुए थे.
दोनो का सफर अलग-अलग है
गोपीचंद ने एक साहित्य उत्सव समारोह में कहा, ''मैं सपने में भी ये नहीं कह सकता हूं कि दोनों में से कोई एक मेरा चहेता है. मेरे लिए ये मुश्किल था लेकिन मैं संभालने में सफल रहा. दोनो का सफर अलग-अलग है और दोनों अपने तरीके से चैम्पियन है.''
गोपीचंद ने एक बार फिर कहा कि उन्होनें दोनों खिलाड़ियों को अपने बच्चे की तरह माना और तब बुरा लगा जब साइना ने प्रकाश पादुकोण अकादमी से जुड़ने के लिए उनकी अकादमी छोड़ दी थी.
मैंने उसे हारते हुए देखा
उन्होंने कहा, ''अगर मैं किसी को अपना छात्र बनाता हूं तो उसे अपने बच्चे जैसा मानता हूं. मुझे साइना के अकादमी छोड़ने से काफी पीड़ा हुई. मैं इससे दुखी था. फिर जब मैंने उसे ओलंपिक में देखा तो मुझे लगा कि उसके पास बहुत अच्छा मौका है और फिर मैंने उसे हारते हुए देखा.''
मेरी इच्छा कभी साइना की अनदेखी करने की नहीं थी
एक समय ऐसी बातें चल रही थीं कि साइना को लगता था कि गोपीचंद ज्यादा ध्यान पीवी सिंधु पर लगा रहे थे. गोपीचंद ने कहा, "हां, मेरे पास देखरेख के लिए अन्य खिलाड़ी भी थे और सिंधु ने 2012 और 2014 के बीच दो वर्षों में काफी प्रगति की थी. मेरी इच्छा कभी साइना की अनदेखी करने की नहीं थी. शायद यह बात मैं उसे समझा नहीं सका."