टोक्यो: टोक्यो ओलंपिक के बैडमिंटन महिला एकल वर्ग में कांस्य पदक जीतने वाली भारत की पीवी सिंधु ने कहा है कि वह इस मैच में अपना सर्वश्रेष्ठ देने तथा अपनी क्षमता के अनुरुप 100 फीसदी प्रदर्शन करने की मानसिकता के साथ उतरी थीं.
सिंधु ने रविवार को कांस्य पदक मुकाबले में चीन की ही बिंगजिआओ को सीधे गेमों में हराकर तीसरा स्थान हासिल किया और कांस्य पदक जीता. सिंधु को सेमीफाइनल में चीनी ताइपे की ताई जू यिंग के हाथों हार झेलनी पड़ी थी.
कांस्य पदक जीतने के साथ ही सिंधु भारत की पहली महिला खिलाड़ी बनीं जिन्होंने लगातार दो ओलंपिक में पदक जीता है. इससे पहले उन्होंने 2016 रियो ओलंपिक में रजत पदक जीता था.
सिंधु ने वर्चुअल प्रेस वार्ता में कहा, "सेमीफाइनल खत्म होने के बाद मैं दुखी थी और मेरी आंखो में आंसू थे. लेकिन मेरे कोच और फीजियो ने कहा कि अभी सब कुछ खत्म नहीं हुआ है और तुम्हारे पास एक और मौका है."
उन्होंने कहा, "यहां मिश्रित भावना थी क्योंकि मेरे पास एक और मौका था जिससे मुझे खुश होना चाहिए और दुख भी था कि मैं सेमीफाइनल में हार गई. लेकिन पार्क ने मुझे समझाया कि कांस्य पदक और चौथे स्थान में बहुत फर्क है."
सिंधु ने कहा, "मैंने सोचा कि मुझे पदक की जरूरत है क्योंकि मुझे देश के लिए पदक लाना है. ओलंपिक बड़ी चीज है. मैं इस मानसिकता के साथ उतरी कि मुझे अपना सर्वश्रेष्ठ देना है और 100 फीसदी के साथ खेलना है."
उन्होंने साथ ही कि जीतने के बाद मैं सुन हो गई थी और मुझे इस तथ्य को जानने में थोड़ा वक्त लगा कि मैंने क्या हासिल किया है.