हैदराबाद : भारतीय बैडमिंटन के मुख्य राष्ट्रीय कोच पुलेला गोपीचंद ने कहा है कि ओलंपिक में भारतीय टीम अच्छा प्रदर्शन करेगी. ईटीवी भारत से खास बातचीत में उन्होंने कहा कि अभी भी देश में बैडमिंटन के लिए कोच और अधिक संसाधनों की जरूरत है.
टोक्यो ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों से आपको क्या उम्मीद है?'पिछले ओलंपिक की बात करें तो हर बार एक से बढ़कर एक शानदार प्रदर्शन खिलाड़ियों से देखने को मिला है. हालांकि विश्व स्तर पर कॉम्पटिशन बढ़ गया है लेकिन हमारे खिलाड़ी भी अच्छा खेल रहे हैं. मैं उम्मीद कर रहा हूं कि रियो ओलंपिक से बेहतर प्रदर्शन इस बार खिलाड़ी करेंगे'.
पीवी सिंधु का लगातार फाइनल में हारने का कारण'निश्चित रुप से सुधार की जरुरत है. सिंधु सभी एरिया में परफेक्ट नहीं है लेकिन जिस तरह से सिंधु पिछले साल से अभी तक 6-7 फाइनल खेली है और BWF वर्ल्ड टूर फाइनल्स का खिताब भी अपने नाम किया. उसने सभी खिलाड़ियों को हराया. हाल ही में इंडोनेशिया ओपन में भी फाइनल खेली है. इसमें उसने चेन युफेई को आसानी से हराया. ओकुहारा से भी मैच जीती. फाइनल में भी वो अच्छा करे ऐसी हम उम्मीद कर रहे हैं.
फाइनल से पहले सिंधु से क्या बात होती है?ऐसा नहीं है कि फाइनल के लिए, सेमीफाइनल और क्वार्टर फाइनल से कुछ अलग करना होता है. मैं मानता हूं कि जिस तरह के नतीजे हम देख रहे हैं उससे ऐसा लगता है कि फाइनल का फोबिया है. निश्चित रुप से फिजिकल फिटनेस पर थोड़ा सुधार करने की जरुरत है. जिससे की किसी भी टूर्नामेंट में लगातार जो 3-4 मैच खेलने पड़ते हैं उसमें उसका लेवल नीचे नहीं आए.वहीं कुछ फाइनल ऐसे थे जहां पर दूसरे खिलाड़ियों ने अच्छा खेला. जैसा कि पिछले साल कैरोलिना मारिन के साथ जो फाइनल हुआ उसमें उन्होंने बहुत अच्छा खेला. एक के बाद एक मैच खेलते हुए फाइनल तक पहुंचने तक कहीं ना कहीं फिजिकल फिटनेस भी सिंधु की नीचे गिर रही है और दूसरी तरह कुछ खिलाड़ी ऐसे भी मिले हैं जिन्होंने सिंधु के गेम को पहले ही रीड किया हुआ था.इसको मैं फोबिया नहीं मानता हूं. हां ये जरुर है कि 5-6 फाइनल हारने के बाद ऐसी अफवाहें उड़ने लगती हैं.
क्या अभी भी आपको कोच की जरुरत है?जिस तरह से बैटमिंटन और खिलाड़ियों का स्तर बढ़ा है. उस तरह से हमारी सोच नहीं बढ़ी है और हम लोगों की तैयारियां भी नहीं बढ़ी हैं. अगर खिलाड़ी आगे बढ़ता है तो उसके साथ फैसिलिटी भी बढ़नी चाहिए. हमारे पास कोच, मेंटल ट्रेनर, फिजियोथेरेपिस्ट नहीं हैं. हम इन सब चीजों के बारे में ध्यान नहीं दे रहे.
मुझे लगता है कि सिंगल्स या डबल्स में हमारे खिलाड़ी ऊपर हैं लेकिन हमारे पास कोई कोच नहीं है. अभी 10-15 खिलाड़ी टॉप पर बैठे हैं जिसके लिए हमें बाहर से कोच चुनने पड़ते हैं. वो कॉन्ट्रैक्ट के तौर पर आते हैं. और उनका दिमाग भी उसी तरह काम करता है. कोचों को जब तक हम सपोर्ट नहीं करेंगे तब तक हम आगे की नहीं सोच सकते.पिछले कुछ सालों में ये प्रशासन की कमी रही है कि हमारे पास जो समस्याएं आ रही है उसका हल नहीं निकला पा रहे हैं.
बैडमिंटन का विस्तार कैसे होगासेंटर्स, कोचिंग एकेडमी, टैलेंट ये सभी जगह पर हो सकती है. क्योंकि बैडमिंटन खिलाड़ी छोटे-छोटे शहरों से उभरकर आ रहे हैं. उनको सिस्टम की जरुरत है. जिससे उनको पता हो कि उनको शीर्ष पर पहुंचने के लिए कितनी मेहनत करनी होगी और किस तरह करनी होगी. कोचों को भी प्रोत्साहन मिलना चाहिए. साउथ में टैलेंट है लेकिन नार्थ में और भी शानदार खिलाड़ी हैं.
कोच कैसे मिलेंगेहमारे जो टॉप खिलाड़ी रिटायर हो चुके हैं उन्हें कोचिंग में लाने की कोशिश करेंगे. देश में लगभग 20 से 25 हजार लोग बैटमिंटन खेल सकते हैं. उनमें से 50 से 100 लोग ही विश्वस्तर पर खेल पाएंगे. कोच और खिलाड़ियों को बराबर प्रोत्साहन मिलते रहना चाहिए.
पुलेला गोपीचंद की बेटी गायत्री गोपीचंद पर अच्छा प्रदर्शन करने का दबाव होता है. ये तो तय है कि वो जहां भी जाएगी उसे गोपीचंद की बेटी के नाम से जाना जाएगा और उससे लोगों की उम्मीदें भी रहेंगी. मैच जीतते हैं और हारते भी हैं इस पर किसी का कंट्रोल नहीं होता है. उसको इसी नाम के साथ खेलना है.