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'विश्व रिकॉर्ड के बारे में कभी नहीं सोचा' सोचता तो कभी नहीं कर पाता' - आईएसएसएफ निशानेबाजी विश्व कप

आईएसएसएफ निशानेबाजी विश्व कप में विश्व रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण पदक जीतने वाले भारतीय निशानेबाज सौरभ चौधरी ने कहा है कि उन्होंने कोई रिकॉर्ड या कोटा के बारे में नहीं सोचा था. उन्होंने कहा कि अगर वह ऐसा सोचते तो इस उपलब्धि को हासिल नहीं कर पाते.

Saurabh Chaudhary
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Published : Feb 25, 2019, 10:48 AM IST

नई दिल्ली: 16 साल के सौरभ ने रविवार को न केवल नया विश्व रिकॉर्ड बनाया बल्कि उन्होंने 2020 में टोक्यो में होने वाले ओलम्पिक खेलों के लिए कोटा हासिल कर लिया.
पहली बार सीनियर विश्व कप में भाग ले रहे सौरभ ने पुरुषों की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा के फाइनल में 245 के स्कोर के साथ नया रिकॉर्ड बनाया और स्वर्ण पदक अपने नाम किया. सौरभ ने स्वर्ण जीतने के बाद मीडिया से कहा, 'मैं सिर्फ वह करने की कोशिश कर रहा था जो मैं हमेशा करता हूं. मैंने कभी कोटा या रिकॉर्ड के बारे में नहीं सोचा, अन्यथा मैं इस उपलब्धि को हासिल नहीं कर पाता.'

सौरभ ने फाइनल में शुरुआत से ही अपनी बढ़त कायम रखी और पूरे मुकाबले के दौरान अपना दबदबा बनाए रखा. उन्होंने कहा, "'मुझे पता था कि मेरे पास एक बड़ी बढ़त है, लेकिन मैंने इसकी परवाह नहीं की. मैंने बस वही किया जो मैं हमेशा करता हूं और मेरा ध्यान केवल अपने शॉट्स पर था.'सौरभ ने कहा, 'वास्तव में मुकाबला बेहद कड़ा था. मैंने शायद ही कभी स्कोरबोर्ड देखा. सीनियर वर्ग में कई अच्छे निशानेबाज होते हैं, जैसे विश्व चैंपियन या ओलम्पिक चैंपियन. उनके साथ खेलने से आपको अनुभव मिलता है.' अपने घरेलू दर्शकों के सामने खेलने को लेकर सौरभ ने कहा, 'मैं हर जगह इतने सारे दर्शकों के सामने खेला हूं. लेकिन, मेरा ध्यान वहां नहीं था। जकार्ता में एशियाई खेलों में भी ऐसा ही माहौल था.'

नई दिल्ली: 16 साल के सौरभ ने रविवार को न केवल नया विश्व रिकॉर्ड बनाया बल्कि उन्होंने 2020 में टोक्यो में होने वाले ओलम्पिक खेलों के लिए कोटा हासिल कर लिया.
पहली बार सीनियर विश्व कप में भाग ले रहे सौरभ ने पुरुषों की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा के फाइनल में 245 के स्कोर के साथ नया रिकॉर्ड बनाया और स्वर्ण पदक अपने नाम किया. सौरभ ने स्वर्ण जीतने के बाद मीडिया से कहा, 'मैं सिर्फ वह करने की कोशिश कर रहा था जो मैं हमेशा करता हूं. मैंने कभी कोटा या रिकॉर्ड के बारे में नहीं सोचा, अन्यथा मैं इस उपलब्धि को हासिल नहीं कर पाता.'

सौरभ ने फाइनल में शुरुआत से ही अपनी बढ़त कायम रखी और पूरे मुकाबले के दौरान अपना दबदबा बनाए रखा. उन्होंने कहा, "'मुझे पता था कि मेरे पास एक बड़ी बढ़त है, लेकिन मैंने इसकी परवाह नहीं की. मैंने बस वही किया जो मैं हमेशा करता हूं और मेरा ध्यान केवल अपने शॉट्स पर था.'सौरभ ने कहा, 'वास्तव में मुकाबला बेहद कड़ा था. मैंने शायद ही कभी स्कोरबोर्ड देखा. सीनियर वर्ग में कई अच्छे निशानेबाज होते हैं, जैसे विश्व चैंपियन या ओलम्पिक चैंपियन. उनके साथ खेलने से आपको अनुभव मिलता है.' अपने घरेलू दर्शकों के सामने खेलने को लेकर सौरभ ने कहा, 'मैं हर जगह इतने सारे दर्शकों के सामने खेला हूं. लेकिन, मेरा ध्यान वहां नहीं था। जकार्ता में एशियाई खेलों में भी ऐसा ही माहौल था.'
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नई दिल्ली: आईएसएसएफ निशानेबाजी विश्व कप में विश्व रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण पदक जीतने वाले भारतीय निशानेबाज सौरभ चौधरी ने कहा है कि उन्होंने कोई रिकॉर्ड या कोटा के बारे में नहीं सोचा था. उन्होंने कहा कि अगर वह ऐसा सोचते तो इस उपलब्धि को हासिल नहीं कर पाते. 16 साल के सौरभ ने रविवार को न केवल नया विश्व रिकॉर्ड बनाया बल्कि उन्होंने 2020 में टोक्यो में होने वाले ओलम्पिक खेलों के लिए कोटा हासिल कर लिया.

पहली बार सीनियर विश्व कप में भाग ले रहे सौरभ ने पुरुषों की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा के फाइनल में 245 के स्कोर के साथ नया रिकॉर्ड बनाया और स्वर्ण पदक अपने नाम किया. सौरभ ने स्वर्ण जीतने के बाद मीडिया से कहा, 'मैं सिर्फ वह करने की कोशिश कर रहा था जो मैं हमेशा करता हूं. मैंने कभी कोटा या रिकॉर्ड के बारे में नहीं सोचा, अन्यथा मैं इस उपलब्धि को हासिल नहीं कर पाता.'

सौरभ ने फाइनल में शुरुआत से ही अपनी बढ़त कायम रखी और पूरे मुकाबले के दौरान अपना दबदबा बनाए रखा. उन्होंने कहा, "'मुझे पता था कि मेरे पास एक बड़ी बढ़त है, लेकिन मैंने इसकी परवाह नहीं की. मैंने बस वही किया जो मैं हमेशा करता हूं और मेरा ध्यान केवल अपने शॉट्स पर था.'

सौरभ ने कहा, 'वास्तव में मुकाबला बेहद कड़ा था. मैंने शायद ही कभी स्कोरबोर्ड देखा. सीनियर वर्ग में कई अच्छे निशानेबाज होते हैं, जैसे विश्व चैंपियन या ओलम्पिक चैंपियन. उनके साथ खेलने से आपको अनुभव मिलता है.' अपने घरेलू दर्शकों के सामने खेलने को लेकर सौरभ ने कहा, 'मैं हर जगह इतने सारे दर्शकों के सामने खेला हूं. लेकिन, मेरा ध्यान वहां नहीं था। जकार्ता में एशियाई खेलों में भी ऐसा ही माहौल था.'


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