मुंबई : टेलीविजन अदाकारा शमा सिकंदर तनाव व बायपोलर डिस्ऑर्डर के साथ अपने संघर्ष को लेकर हमेशा से ही बेहद मुखर रही हैं.
इस जंग में जीत हासिल करने के बाद अभिनेत्री ने इस बीमारी का वर्णन एक महामारी के रूप में किया है. शमा का कहना है कि वह बता नहीं सकती हैं कि बीते पांच सालों में इसके साथ बिताया गया उनका हर एक पल कितना दर्दनाक रहा, जहां कभी-कभी उन्हें मरने के ख्याल भी आते रहे हैं.
साल 2006 में शमा को धारावाहिक 'ये मेरी लाइफ है' में पूजा के किरदार से खूब पहचान मिली. शमा ने अपने संघर्ष के बारे में आईएएनएस संग बातचीत की.
उन्होंने कहा, "यह सबसे मुश्किल भरा वक्त रहा. यह कुछ ऐसा था जैसे कि आप अपनी जिंदगी के हर पल को एक महामारी के साथ जी रहे हैं. आपको पता ही नहीं रहता कि क्या होने वाला है. सब कुछ अनिश्चित रहता है. उस वक्त आपकी इच्छाएं भी मर जाती हैं. सबसे दुखद बात तो यह है कि आपको किसी चीज की कोई उम्मीद ही नहीं रहती है. इंसान की इच्छाएं ही उसे जिंदा रखती हैं क्योंकि अगर हम अपनी सारी इच्छाओं को खो देते हैं, तो जिंदगी का कोई मकसद नहीं रहता है."
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उन्होंने आगे बताया, "अवसाद और बायपोलर मानसिक परिस्थितियां हैं, जिसमें आशाओं व इच्छाओं को खो देने की प्रवृत्ति रहती है और यह किसी इंसान की जिंदगी में आने वाला सबसे मुश्किल वक्त है. मुझे नहीं लगता है कि इससे अधिक दुखद और कुछ हो सकता है. यह एक सबसे बुरा पल है, जिसमें से इंसान होकर गुजरता है और अगर आप इससे उबर जाते हैं, तो आप किसी भी चीज से उबर सकते हैं."
इनपुट-आईएएनएस