मुंबई : बंगाली अभिनेता और थिएटर पर्सनालिटी कौशिक सेन, जिन्होंने कॉप ड्रामा 'लालबाजार' में अहम किरदार निभाया है, उन्होंने कहा कि इस मुश्किल समय में जब समाज पहले से ज्यादा सुन्न पड़ गया है, कलाकारों का रोल निष्पक्ष रहना, राजनीतिक शक्ति तंत्र से दूर रहना है.
कौशिक ने बताया, 'सभी कलाकारों में सभी तरह की सत्ता को न कहने की हिम्मत होनी चाहिए. खासकर, पश्चिम बंगाल में, हर आर्ट फॉर्म को राजनीतिक नजर से देखा जाता है. एक तरफ, यह बहुत अच्छी बात है कि पश्चिम बंगाल राजनीतिक तौर पर जागरूक है. हमारे वोटरों का प्रतिशत सराहनीय है. उसी समय, पिछले 10 सालों से राजनीतिक चेतना दूसरी दिशा में जा रही है. यह देखना भायनक है कि कैसे, हम कलाकार या तो सत्ता के साथ या सत्ता के खिलाफ नजर आते हैं, और ऐसा समझा जाता है. यह राजनीतिक रंगों के कारण समझा जाता है. इसलिए किसी एक की आवाज को ढूंढना और उसे महत्व देना बहुत मुश्किल हो जाता है.'
फिल्मों और टेलीविजन शो में नजर आने के साथ-साथ कौशिक बंगाली थिएटर समुदाय की भी अहम आवाज भी हैं, 'स्वप्न धानी थिएटर ग्रुप' के डायरेक्टर भी हैं.
कौशिक ने आगे कहा, 'सत्ता कलाकारों की आवाज और कला को अपनी राजनीति के हिसाब से आंकती है, इस बात को नकारते हुए कि सब कुछ काला या सफेद नहीं हो सकता, और उसके बीच में कुछ लोगों का अस्तित्व होता है. यह मान्यता और ज्यादा मजबूत बन गई है क्योंकि हमारी फ्रेटर्निटी से कुछ लोग राजनीति का ज्ञान रखते हैं और उसमें जुड़े हुए हैं. ये कलाकार सत्ता को न कहना भूल गए हैं.'
कौशिक ने अपनी बात खत्म करते हुए कहा, 'इस मुश्किल समय में आर्टिस्टों को यह अहसास करना होगा कि हमारे पास कोई भी राजनीतिक पार्टी न चुनने का अधिकार है. इस समय पश्चिम बंगाल में, दो राजनीतिक पार्टियां एक दूसरे से लड़ रही हैं, और मेरे हिसाब से, दोनों बेकार हैं.'
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सायनतन घोषाल (Sayantan Ghosal) द्वारा निर्देशित 'लालबाजार' में सब्यसाची चक्रवर्ती, दिब्येंदु भट्टाचार्य, ऋषिता भट्ट और सुब्रत दत्ता भी अहम रोल्स में नजर आए हैं. यह शो जी5 पर स्ट्रीम हो रहा है, जिसके हिंदी वर्जन को अजय देवगन ने प्रेजेंट किया है.
(इनपुट्स- आईएएनएस)