हैदराबाद : बॉलीवुड एक्ट्रेस स्वरा भास्कर किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं. अभिनेत्री वैसे भी समसामयिक मुद्दों पर अपनी मुखर राय पेश करने के लिए जानी जाती हैं. हालांकि सोशल मीडिया पर कई बार ट्रोल्स उनकी क्लास लगाने की कोशिश करते हैं, लेकिन स्वरा भास्कर हर बार उन्हें मुंहतोड़ जवाब देकर बोलती बंद कर देती हैं.
हाल ही में अभिनेत्री ने अपने ट्विटर पर एक फोटो पोस्ट किया. इस फोटो में स्वरा भास्कर कैजुअल लुक में खुले बिखरे बालों में दिखाई दे रही हैं. क्लोजअप तस्वीर में स्वरा की आउटफिट तो नहीं दिख रही, लेकिन उनके कंधे के नीचे बना टैटू साफ दिखाई दे रहा है. उन्होंने लाइट मेकअप भी किया हुआ है.
अभिनेत्री ने फोटो पोस्ट कर कैप्शन में लिखा- 'ओह हैप्पी डे'. स्वरा के इस पोस्ट पर लोग तमाम तरीके से प्रतिक्रिया दे रहे है. कई लोग अभिनेत्री को सपोर्ट कर रहे हैं तो कई यूजर स्वरा को नसीहत देते दिखाई दे रहे हैं.
एक यूजर ने तो लिख दिया कि बदन पर टैटू चिपकाने से ज्यादा फिल्में नहीं मिलती हैं. इसके लिए अच्छी परफॉर्मेंस देनी पड़ती है. वैसे भी सीपीआई में भी कुछ खास तरक्की हो नहीं रही है. कन्हैया की तरह कांग्रेस ज्वाइन करने के बारे में सोच रही हैं.
पंकज कुमार नाम के एक यूजर ने तो उनके कपड़ों पर कमेंट कर दिया. उसने लिखा कि आप कपड़े सही पहना करो, बाकी आपके बात करने का तरीका और भक्तों को खरी-खरी सुनाने का अंदाज बहुत बढ़िया है.
एक यूजर ने उनके कैप्शन में लिखे 'हैप्पी डे' को लेकर कहा कि खुश क्यों नहीं होगी, इतने लंबे समय के बाद कृषि कानून जो वापस हो गए हैं. एक यूजर ने लिखा- लोग सुबह सुबह गुड मॉर्निंग कहने के लिए सुंदर और कल्चरल फोटो लगाते हैं और आप ने ये क्या पोस्ट कर दिया? हमारा दिन बिगाड़ने का आप का कोई हक नही!!!!
मुकुल नाम के एक यूजर ने लिखा- अब हमकों लगता है इस देश में हम सवर्ण ही बेवकूफ हैं. इन्होंने सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट दिया SC-ST एक्ट का हमने कुछ ना किया. हम भी धरना देते संगठित होकर तो काले कानून से बच पाते. एक यूजर ने लिखा- कृषि कानून वापसी पर वो भी नाच रहे है जिनकी जमीन के नाम पर रोड किनारे पंक्चर की दुकान है.
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बता दें कि गुरुपर्व के मौके पर देश को संबोधित कर रहे पीएम ने कृषि कानूनों को वापस लिए जाने का फैसला सुनाया. यह घोषणा तब आई है, जब इन कानूनों के खिलाफ देश के किसानों का एक समूह पिछले एक साल से आंदोलन कर रहा है. दिल्ली के बॉर्डर से लेकर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में पिछले एक सालों में कई स्तर और चरणों में किसानों का आंदोलन देखा गया है.
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