नई दिल्ली: अभिनेता सैफ अली खान का मानना है कि करियर की खराब शुरुआत होने के बावजूद उन्होंने एक 'रचनात्मक जीवन' जीया है, जिसमें उन्होंने समय के साथ बहुत कुछ सीखने के अलावा खुद को निखारा भी है.
सैफ ने पिछले दो दशकों के दौरान विभिन्न प्रकार की फिल्मों में अभिनय किया है. सैफ ने जहां एक ओर से 'रेस', 'लव आज कल', 'कॉकटेल', 'जवानी जानेमन' और 'भूत पुलिस' जैसी व्यावसायिक रूप से हिट रही फिल्मों में काम किया है. वहीं दूसरी ओर 'एक हसीना थी', 'बीइंग साइरस', 'ओंकारा' और 'तान्हाजी' जैसी फिल्मों में अपने दमदार अभिनय के जरिए आलोचकों की भी सराहना हासिल की है.
सैफ (51) ने कहा कि 1993 में फिल्म 'परंपरा' से जब उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की थी, उस समय वह पूरी तरह से संशय और दुविधा की स्थिति में रहते थे. लेकिन आज वह मानते हैं कि उस दौर की तुलना में अब वह एक अधिक जागरूक व्यक्ति हैं.
सैफ अली खान ने पीटीआई-भाषा को दिए विशेष साक्षात्कार में कहा, 'करियर के उस दौर में मैं पूरी तरह से संशय और दुविधा की स्थिति में रहता था. लेकिन समय के साथ-साथ मेरा आत्मविश्वास बढ़ा है. मेरा मानना है कि समय के साथ आप खुद को निखारते हैं और जिंदगी आपको बहुत कुछ सिखाती है. यदि आप लगातार एक ही तरह की चीजें करेंगे और समय के साथ खुद में बदलाव नहीं लाएंगे तो आप पिछड़ जाएंगे. लेकिन, यदि आप निरंतर कुछ नया और अलग करते हैं, तो उसके साथ आप लगातार बहुत कुछ सीख रहे होते हैं और खुद में निखार लाते हैं. ऐसी स्थिति में 50 साल का होने के बावजूद आप बेहतर किरदार निभा कर लोगों का मनोरंजन कर सकते हैं. आपके पास लंबा अनुभव भी है.'
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दिग्गज अभिनेत्री शर्मिला टैगोर और दिवंगत क्रिकेटर मंसूर अली खान पटौदी के बेटे सैफ ने कहा कि उनके माता-पिता ने उन्हें कई तरह से प्रभावित किया है. सैफ के पिता ब्रिटिश शासन के दौरान पटौदी रियासत के अंतिम शासक इफ्तिखार अली खान पटौदी के पुत्र थे.
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(इनपुट-भाषा)