मुंबई : जब हम इस दिन के बारे में सोचते हैं तो सबसे पहले हमारे दिमाग में हमारी मां आती है, जिनका हमेशा हमारे दिलों में एक विशेष स्थान होता है. लेकिन हमें उन लोगों को इस खास दिन से बिल्कुल अलग नही रखना चाहिए जो इस दिन को अपने पिता, अपनी सिंगल मां के साथ या समलैंगिक माताओं के साथ मनाना चाहते हैं. क्योंकि हर रिश्ता खास होता है. दो कहानियां समान नही होती.
ताहिरा के लिए यह एक ऐसा दिन है जहां आपको उस शख्स के प्रति अपना प्यार और आभार व्यक्त करना है जिसने आपको बड़ा किया और आपकी ज़िंदगी को एक आकार दिया है. आपका यह सोचना कि इस आईडिया को पूरा बनाना है, मतलब वह चीज़ कही न कही अधूरी है.
इस खास दिन पर अपने दोषों और अधूरे रिश्तों का जश्न मनाते हुए, ताहिरा कश्यप खुराना अपनी प्यारी, टूटी हुई, खुशियों और खामियों से भरी हुई लॉकडाउन कहानियों में से एक और कहानी दर्शकों के साथ साझा कर रही हैं. उनकी यह कहानियां लोगों को खुद से जोड़ती हैं और साथ ही दर्शकों का मनोरंजन भी करती हैं, लेकिन इसी के साथ यह कहानी कुछ लोगों के चेहरे पर मुस्कान और कुछ की आंखे नम कर देती है.
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