मुंबई:जम्मू एवं कश्मीर से प्रताड़ित करके 30 साल पहले कश्मीरी पंडितों को घाटी से भगा दिया गया था.
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19 जनवरी, 1990 को हुई इस घटना के मौके पर रविवार के दिन फिल्म निर्माता विधु विनोद चोपड़ा ने इस कृत्य पर बनी फिल्म 'शिकारा' की स्पेशल स्क्रीनिंग कश्मीरी पंडितों के लिए रखी.
लगभग 30 मिनट की विशेष स्क्रीनिंग में जम्मू में जगती के प्रवासी शिविर के 30 से अधिक कश्मीरी पंडित शरणार्थियों ने भाग लिया. इनमें से कुछ ने फिल्म पर काम भी किया है. वास्तव में खुद पहली बार विधु विनोद ने इसे बड़े पर्दे पर देखा.
उन्होंने कहा, 'मैं एक फिल्म निर्माता हूं. मैं बात करने में अधिक सक्षम नहीं हूं. इसलिए मैंने सोचा की मैं इसे आपको दिखाऊं. आप यहां इसे देखने के लिए जम्मू से आए इसके लिए मैं शुक्रगुजार हूं. यह फिल्म आपके और सिर्फ आपके बारे में है.'
फिल्म के लिए विधु ने रिफ्यूजी कैम्पों में जाकर शूटिंग की. उन्हें धन्यवाद देते हुए विधु ने 'शिकारा डायरीज : ग्रेटीट्यूड. बिहाइंड द सीन्स' शेयर किया.
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विधु ने शूटिंग के किस्से को साझा करते हुए बताया कि फिल्म के एक सीन में रिफ्यूजी रजिस्ट्रेशन के दौरान एक महिला रोती दिखाई है. शॉट पूरा होने के बाद रीटेक के लिए कहा गया तो वह बोली दो बार कर चुकी हूं, तीसरी बार नहीं हो पाएगा.
जब विधु ने उनसे कहा यह दूसरा ही टेक है तो वह बोलीं कि पहली बार 30 साल पहले भी कर चुकी हूं. 'शिकारा' की शूटिंग में कैंसर पीड़ित कश्मीरी पंडित बंशीलाल भी था.
लेकिन उन्होंने कैंसर होने की बात नहीं बताई थी. अब बंशीलाल जीवित नहीं हैं, लेकिन शूटिंग पर जब उन्हें खाने के लिए पूछा जाता था तो वे भूख नहीं है कहकर मना कर देते थे.
जबकि हकीकत ये थी के वे खाना खा ही नहीं सकते थे, लेकिन बावजूद इसके वे काम करते रहे. उनकी इच्छा थी कि फिल्म में कश्मीरी पंडितों पर गुजरी हर बात सामने आ सके.
'शिकारा' 7 फरवरी को सिनमाघरों में रिलीज होने के लिए पूरी तरह से तैयार है.
इनपुट-आईएएनएस