मुंबईः इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी(आईआईटी) कानपुर द्वारा मशहूर शायर फैज अहमद फैज की वर्ल्ड फेमस नज्म हम देखेंगे पर एक कमेटी का गठन किया है, जो यह फैसला करेगी कि यह नज्म हिंदू विरोधी है या नहीं, उसके बाद फिल्म निर्माता शूजित सरकार इस ज्वलंत मुद्दे पर तंज करते हुए अपनी राय रखी.
फिल्म निर्माता ने अपने ट्विटर पर पोस्ट किया, 'अमीर और छोटे बिजनेसेस के लिए पैसे कमाने का बहुत अच्छा मौका है क्योंकि जनसंख्या क्रांतिकारी शायर जिसका नाम फैज है उसमें लगी हुई है.'
आइकॉनिक शायर द्वारा 1979 में लिखी गई नज्म पर कंट्रोवर्सी तब शुरू हुई जब हाल ही में आईआईटी कानपुर में सीएए और एनआरसी के खिलाफ हो रहे आंदोलन के दौरान इस नज्म को पढ़ा गया.
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आईआईटी कानपुर ने गुरूवार को इस पूरे मामले पर एक कमेटी बनाई थी.
यह सब तब शुरू हुआ जब कैंपस में स्टूडेंट्स 17 दिसंबर को सीएए के खिलाफ और जामिया मिल्लिया इस्लामिया के स्टूडेंट्स के समर्थन में प्रोटेस्ट किया और प्रोटेस्ट के दौरान इस नज्म को गाया, जो बाकी समुदाय की भावनाओं को आहत करता है.
सीएए के जरिए भारत के तीन पड़ोसी देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक उत्पीड़न के चलते 31 दिंसबर, 2014 से पहले इंडिया में आए हिदुओं, सिखों, जैनियों, पारसियों, बौद्ध और क्रिश्चियन्स को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है.
इनपुट्स- एएनआई