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सुशांत के निधन के बाद नेपोटिज्म पर बोलीं ऋचा, कहा-'मैं स्टारकिड्स से नफरत नहीं करती'

ऋचा चड्ढा बॉलीवुड की मुखर अभिनेत्रियों में से एक हैं. हर मुद्दे पर अभिनेत्री बेबाकी से अपनी बात रखती हैं. अब जब सुशांत के निधन के बाद बॉलीवुड में नेपोटिज्म को लेकर बहस छिड़ी हुई है तो ऋचा ने अपने ब्लॉग में इसका भी जिक्र किया है.

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सुशांत के निधन के बाद नेपोटिज्म पर बोलीं ऋचा, कहा-'मैं स्टारकिड्स से नफरत नहीं करती'
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Published : Jul 17, 2020, 9:19 AM IST

मुंबई : बॉलीवुड अभिनेत्री ऋचा चड्ढा ने सुशांत सिंह राजपूत और इन दिनों चल रहे नेपोटिज्म को लेकर एक लंबा ब्लॉग लिखा.

जिसकी शुरुआत एक्ट्रेस ने कुछ खास पंक्तियों के साथ की है.

यहां इक खिलौना है

इन्सां की हस्ती

ये बस्ती है मुर्दा-परस्तों की बस्ती

यहाँ पर तो जीवन से है मौत सस्ती

ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है

ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है

इन पंक्तियों के साथ ऋचा ने अपने लेख की शुरुआत की. इसके जरिए उन्होंने बॉलीवुड के तमाम मुद्दों पर अपनी बात रखी.

ऋचा लिखती हैं, साहिर लुधियानवी के शब्द इन दिनों मेरे कानों में गूंज रहे हैं. मेरे दोस्त सुशांत के जाने के बाद लगातार नेपोटिज्म की बहस जारी है. लेकिन यह बहस कितनी भी की जाए कम ही है. ये माहौल किसी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य के लिए कुछ ठीक नहीं.

ऐसा कहा जा रहा है कि इंडस्ट्री दो भागों में बंट गई है, इनसाइडर और आउटसाइडर. मेरा मानना है कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री और पूरा इको-सिस्टम ही अच्छे और बुरे व्यवहार पर आधारित है. मैंने भी यहां काफी समय गुजारा है. मेरे मानना है कि इंडस्ट्री एक फूड चेन की तरह है. लोग भी कम बदमाश नहीं, जब उन्हें लगता है कि वह अब खुद इस राह में चल सकते हैं तो वह अपनों का साथ छोड़ देते हैं.

ऋचा ने बुलिंग को लेकर लिखा कि जब आपके साथ कोई बुलिंग करता है तो आपको गुस्सा आ जाता है लेकिन जब आपके अधीन काम करता है और आप उसे बुली करते हैं तो वह आपको अधिकार लगने लगता है.

"ये एक ऐसी जगह है जहां सक्सेस और फेलियर खुले तौर पर नजर आती है. जहां आपका व्यक्तिगत जीवन भी प्रभावित होता है. कभी कभी तो एक झूठे कारण की वजह से एक एक्टर सुर्खियों में आ जाता है."

ऋचा आगे लिखती हैं, इनसाइडर भी दयालु और उदार हो सकते हैं और आउटसाइडर भी घमंडी. जब मैं खुद इस फिल्ड में नई थी तो एक आउटसाइडर के द्वारा ऐसा महसूस करवाया गया था कि मैं कोई महत्वपूर्ण शख्स नहीं हूं. ऐसा फेस करनी वाली मैं ही अकेली नहीं बल्कि कई लोग हैं जिन्होंने ये अनुभव किया होगा.

ये विषय सुन मुझे हंसी आती है. मैं किसी स्टार किड से नफरत नहीं करती. क्यों हमसे ऐसी उम्मीद की जाती है. अगर किसी के पिता स्टार हैं तो क्या..वह भी पैदा हुए हैं जैसे हमारा जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ. क्या हमें अपने माता पिता पर शर्म आती है, क्या हमें जो विरासत में मिला उससे शर्म आती है? फिर ऐसे स्टारकिड से क्यों ये सब कहा जाए. क्या मेरे बच्चे मेरे करियर को लेकर शर्मिंदा होंगे.

मैंने और सुशांत ने एक ही थिएटर ग्रूप से शुरूआत की थी. उस दौरान मैं अंधेरी वेस्ट में दिल्ली से आए दोस्त के साथ 700वर्ग फुट के अपार्टमेंट को शेयर करके रहा करती थी. सुशांत मुझे लेने आते थे और बाइक से लिफ्ट देते थे. जिसके लिए मैं बहुत अभारी हूं.

बता दें, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ऋचा चड्ढा सामाजिक, राजनीतिक मुद्दों पर अक्सर अपनी राय रखती नजर आती हैं.

मुंबई : बॉलीवुड अभिनेत्री ऋचा चड्ढा ने सुशांत सिंह राजपूत और इन दिनों चल रहे नेपोटिज्म को लेकर एक लंबा ब्लॉग लिखा.

जिसकी शुरुआत एक्ट्रेस ने कुछ खास पंक्तियों के साथ की है.

यहां इक खिलौना है

इन्सां की हस्ती

ये बस्ती है मुर्दा-परस्तों की बस्ती

यहाँ पर तो जीवन से है मौत सस्ती

ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है

ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है

इन पंक्तियों के साथ ऋचा ने अपने लेख की शुरुआत की. इसके जरिए उन्होंने बॉलीवुड के तमाम मुद्दों पर अपनी बात रखी.

ऋचा लिखती हैं, साहिर लुधियानवी के शब्द इन दिनों मेरे कानों में गूंज रहे हैं. मेरे दोस्त सुशांत के जाने के बाद लगातार नेपोटिज्म की बहस जारी है. लेकिन यह बहस कितनी भी की जाए कम ही है. ये माहौल किसी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य के लिए कुछ ठीक नहीं.

ऐसा कहा जा रहा है कि इंडस्ट्री दो भागों में बंट गई है, इनसाइडर और आउटसाइडर. मेरा मानना है कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री और पूरा इको-सिस्टम ही अच्छे और बुरे व्यवहार पर आधारित है. मैंने भी यहां काफी समय गुजारा है. मेरे मानना है कि इंडस्ट्री एक फूड चेन की तरह है. लोग भी कम बदमाश नहीं, जब उन्हें लगता है कि वह अब खुद इस राह में चल सकते हैं तो वह अपनों का साथ छोड़ देते हैं.

ऋचा ने बुलिंग को लेकर लिखा कि जब आपके साथ कोई बुलिंग करता है तो आपको गुस्सा आ जाता है लेकिन जब आपके अधीन काम करता है और आप उसे बुली करते हैं तो वह आपको अधिकार लगने लगता है.

"ये एक ऐसी जगह है जहां सक्सेस और फेलियर खुले तौर पर नजर आती है. जहां आपका व्यक्तिगत जीवन भी प्रभावित होता है. कभी कभी तो एक झूठे कारण की वजह से एक एक्टर सुर्खियों में आ जाता है."

ऋचा आगे लिखती हैं, इनसाइडर भी दयालु और उदार हो सकते हैं और आउटसाइडर भी घमंडी. जब मैं खुद इस फिल्ड में नई थी तो एक आउटसाइडर के द्वारा ऐसा महसूस करवाया गया था कि मैं कोई महत्वपूर्ण शख्स नहीं हूं. ऐसा फेस करनी वाली मैं ही अकेली नहीं बल्कि कई लोग हैं जिन्होंने ये अनुभव किया होगा.

ये विषय सुन मुझे हंसी आती है. मैं किसी स्टार किड से नफरत नहीं करती. क्यों हमसे ऐसी उम्मीद की जाती है. अगर किसी के पिता स्टार हैं तो क्या..वह भी पैदा हुए हैं जैसे हमारा जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ. क्या हमें अपने माता पिता पर शर्म आती है, क्या हमें जो विरासत में मिला उससे शर्म आती है? फिर ऐसे स्टारकिड से क्यों ये सब कहा जाए. क्या मेरे बच्चे मेरे करियर को लेकर शर्मिंदा होंगे.

मैंने और सुशांत ने एक ही थिएटर ग्रूप से शुरूआत की थी. उस दौरान मैं अंधेरी वेस्ट में दिल्ली से आए दोस्त के साथ 700वर्ग फुट के अपार्टमेंट को शेयर करके रहा करती थी. सुशांत मुझे लेने आते थे और बाइक से लिफ्ट देते थे. जिसके लिए मैं बहुत अभारी हूं.

बता दें, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ऋचा चड्ढा सामाजिक, राजनीतिक मुद्दों पर अक्सर अपनी राय रखती नजर आती हैं.

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