मुंबई : सुरों के सरताज और हिंदी सिनेमा के जान-माने प्लेबैक सिंगर मन्ना डे ने हिंदी गानों को अलग पहचान दी थी. उनका जन्म 1 मई 1919 को कोलकाता में हुआ था. मन्ना डे ने केवल हिंदी से ही नहीं बल्कि कई भारतीय भाषाओं में अपने गानों से सभी का दिल जीता.
फिल्म 'काबुलीवाले', वक्त', और 'पड़ोसन' से लेकर 'आनंद' तक. मन्ना डे ने कई हिंदी फिल्मों में अपने गानों से अलग पहचान बनाई थी. हिंदी और अन्य भाषा मिलाकर मन्ना डे ने करीब 4000 से ज्यादा गाना गाए हैं. उनके सभी गाने सुपरहिट रहे हैं. आइए जानते हैं मन्ना डे के वह बेहतरीन नगमें जिसे आज भी उनके फैंस सुनना पसंद करते हैं.
भारतीय संगीत की बात की जाए तो मन्ना डे का नाम खुद-ब-खुद नजरों के सामने तैरने लगता है. ये वो नाम है जिसके बिना आधुनिक भारतीय संगीत की परिकल्पना मुश्किल है. मन्ना का वास्तविक नाम 'प्रबोध चंद्र डे' था. इनके पिता का नाम पूर्ण चंद्र डे और मां का नाम महामाया था. इन्होंने प्रारंभिक संगीत शिक्षा अपने मामा संगीताचार्य कृष्ण चंद्र और उस्ताद कबीर खान से प्राप्त की.
बतौर पार्श्व गायक मन्ना डे अपने करियर की शुरुआत 1943 में आई फिल्म "तमन्ना" से की थी. इसमें संगीत दिया था कृष्ण चंद्र डे ने. सुरैया के साथ गाया गया मन्ना डे का गीत जबरदस्त हिट रहा. इन्हें पहला एकल गाना रिकॉर्ड करने का मौका मिला 1950 में बनी फिल्म मशाल में. संगीतकार सचिन देव बर्मन के संगीत से सजे 'ऊपर गगन विशाल' गाने से मन्ना का नाम पूरे हिंदी सिनेमा में छा गया. पचास और साठ के दशक में अगर हिंदी फिल्मों में राग पर आधारित कोई गाना होता तो उसके लिए संगीतकारों की पहली पसंद मन्ना डे ही होते थे.
मन्ना डे की संगीत की प्राथमिक भाषा हिंदी और बांग्ला थी. इसके अलावा उन्होंने भोजपुरी, मगधी, मैथिली, पंजाबी, असमी, उड़िया, कोंकणी, मराठी, गुजराती, सिंधी, मलयालम, कन्नड़ और नेपाली जैसी तमाम क्षेत्रीय भाषाओं में भी अपनी आवाज का जादू बिखेरा है.मन्ना डे ने खुद को किसी एक शैली के संगीत से बांधकर नहीं रखा. उन्होंने लोकगीत से लेकर पॉप संगीत तक सभी प्रकार में प्रयोग किया. इस प्रयोग से वे सिर्फ भारत में ही नही अपितु विदेशों में भी अपनी छाप छोड़ने में सफल रहे.
मन्ना डे ने गंभीर गानों पर अपनी आवाज का जादू बिखेरने के साथ-साथ 'दिल का हाल सुने दिल वाला', 'ना मांगू सोना चांदी' और 'एक चतुर नार' जैसे हल्के-फुल्के गीत भी गाए हैं. उनकी आवाज की उदासी और भारीपन गानों को अमरत्व प्रदान करने के लिए काफी था. काबुलीवाला का 'ए मेरे प्यारे वतन' और आनंद फिल्म का 'जिंदगी कैसी है पहेली' इसकी मिसाल हैं.मन्ना डे ने कवि हरिवंश राय बच्चन की रचना 'मधुशाला' को भी अपनी आवाज दी है. मन्ना डे ने 1953 में केरल की सुलोचना कुमारन से शादी की. मन्ना दा की शुरोमा और सुमिता नाम की दो बेटियां हुईं. जनवरी 2012 में लंबे समय तक कैंसर से जूझने के बाद इनकी पत्नी सुलोचना की मृत्यु हो गई.
मन्ना डे को संगीत के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है. उन्हें 1971 में पद्मश्री और 2005 में पद्म विभूषण से नवाजा गया था. साल 2007 में उन्हें संगीत के क्षेत्र में बेहतरीन योगदान के लिए भारतीय फिल्म जगत का सबसे प्रतिष्ठित पुरष्कार 'दादा साहब फाल्के अवार्ड' से सम्मानित किया गया.आजीवन संगीत सेवा में रहकर मन्ना डे ने लगभग 4000 गाने रिकॉर्ड किए. तबियत खराब होने के कारण अक्टूबर 2013 के प्रथम सप्ताह में उन्हें बैंगलोर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन उनकी सांसों की डोरी ज्यादा दिन न चल सकी और 24 अक्टूबर 2013 को उनकी मृत्यु हो गई. वे इस दुनिया को अपने सदाबहार नगमे सुपुर्द कर खुद पंचतत्व में विलीन हो गए.
मन्ना दा के गाए कुछ खास गाने जो आज और कल हमेशा लोगो की जुबां पर आते रहेंगे-1. जिंदगी कैसी है पहेली (आनंद)2. एक चतुर नार करके श्रृंगार (पड़ोसन)3. लागा चुनरी में दाग (दिल ही तो है)4. कसमें वादे प्यार वफा (उपकार)5. तू प्यार का सागर है (सीमा)6. तुझे सूरज कहूं या चंदा (एक फूल दो माली)7. यारी है ईमान मेरा यार मेरी जिंदगी (जंजीर)8. ये रात भीगी भीगी (चोरी चोरी)9. ऐ मेरी जोहरा जबीं (वक्त)10. प्यार हुआ इकरार हुआ है (श्री 420)