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कंगना ने 'पाकिस्तान का विनाश' वाले अपने बयान का बचाव किया

नई दिल्ली: अभिनेत्री कंगना रनौत ने 'पाकिस्तान का विनाश' कर देने वाले अपने बयान का बचाव किया है. उन्होंने कहा कि पुलवामा आतंकी हमले के बारे में सुनने के बाद गुस्से में उनकी ओर से यह टिप्पणी स्वभाविक रूप से आई.

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Published : Mar 3, 2019, 3:38 PM IST

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फिल्म 'मणिकर्णिका : द क्वीन ऑफ झांसी' की अभिनेत्री ने शनिवार को यहां इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में पाकिस्तान के खिलाफ अपने विवादित बयान का बचाव करते हुए कहा कि यह एक 'सहज भावना' थी.

गौरतलब है कि 14 फरवरी को जम्मू -कश्मीर के पुलवामा में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के काफिले पर हुए आत्मघाती हमले में 40 जवान शहीद हो गए. पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने हमले की जिम्मेदारी ली.

हमले के बाद कंगना ने कथित तौर पर कहा था, 'पाकिस्तान पर प्रतिबंध समाधान नहीं है, बल्कि पाकिस्तान का विनाश ही समाधान है.'

कंगना से जब कॉन्क्लेव में उनके बयान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि यह बहुत सहज भावना थी, जो हम सभी को उस समय महसूस हुई थी जब हमने इस हैरान कर देने वाली घटना के बारे में सुना. यह संभवत: सबसे बर्बर और सबसे अमानवीय था. यह घटना हमारी अंतरात्मा में हमेशा एक गहरे जख्म, घाव की तरह बना रहेगी.'

उन्होंने कहा, 'आप अपने मन के इतने गुलाम नहीं हो सकते कि उस क्षण भी आप अपनी सोच को काम करने दें और सोचें कि 'इसका सबसे अच्छा जवाब क्या हो सकता है? मुझे इस बारे में सोचना चाहिए.'

कंगना के अनुसार, वह इस बर्बर और क्रूर घटना के बाद बेहद आहत हुई थीं.

कंगना ने कहा कि 'यहां तक कि उनका मन हुआ कि वह सीमा पर जाएं और किसी की बंदूक छीनकर इस काम को अंजाम दें.'

कॉन्क्लेव में वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिलीं.

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फिल्म 'मणिकर्णिका : द क्वीन ऑफ झांसी' की अभिनेत्री ने शनिवार को यहां इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में पाकिस्तान के खिलाफ अपने विवादित बयान का बचाव करते हुए कहा कि यह एक 'सहज भावना' थी.

गौरतलब है कि 14 फरवरी को जम्मू -कश्मीर के पुलवामा में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के काफिले पर हुए आत्मघाती हमले में 40 जवान शहीद हो गए. पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने हमले की जिम्मेदारी ली.

हमले के बाद कंगना ने कथित तौर पर कहा था, 'पाकिस्तान पर प्रतिबंध समाधान नहीं है, बल्कि पाकिस्तान का विनाश ही समाधान है.'

कंगना से जब कॉन्क्लेव में उनके बयान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि यह बहुत सहज भावना थी, जो हम सभी को उस समय महसूस हुई थी जब हमने इस हैरान कर देने वाली घटना के बारे में सुना. यह संभवत: सबसे बर्बर और सबसे अमानवीय था. यह घटना हमारी अंतरात्मा में हमेशा एक गहरे जख्म, घाव की तरह बना रहेगी.'

उन्होंने कहा, 'आप अपने मन के इतने गुलाम नहीं हो सकते कि उस क्षण भी आप अपनी सोच को काम करने दें और सोचें कि 'इसका सबसे अच्छा जवाब क्या हो सकता है? मुझे इस बारे में सोचना चाहिए.'

कंगना के अनुसार, वह इस बर्बर और क्रूर घटना के बाद बेहद आहत हुई थीं.

कंगना ने कहा कि 'यहां तक कि उनका मन हुआ कि वह सीमा पर जाएं और किसी की बंदूक छीनकर इस काम को अंजाम दें.'

कॉन्क्लेव में वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिलीं.

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नई दिल्ली: अभिनेत्री कंगना रनौत ने 'पाकिस्तान का विनाश' कर देने वाले अपने बयान का बचाव किया है. उन्होंने कहा कि पुलवामा आतंकी हमले के बारे में सुनने के बाद गुस्से में उनकी ओर से यह टिप्पणी स्वभाविक रूप से आई.

फिल्म 'मणिकर्णिका : द क्वीन ऑफ झांसी' की अभिनेत्री ने शनिवार को यहां इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में पाकिस्तान के खिलाफ अपने विवादित बयान का बचाव करते हुए कहा कि यह एक 'सहज भावना' थी.

गौरतलब है कि 14 फरवरी को जम्मू -कश्मीर के पुलवामा में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के काफिले पर हुए आत्मघाती हमले में 40 जवान शहीद हो गए. पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने हमले की जिम्मेदारी ली.

हमले के बाद कंगना ने कथित तौर पर कहा था, 'पाकिस्तान पर प्रतिबंध समाधान नहीं है, बल्कि पाकिस्तान का विनाश ही समाधान है.'

कंगना से जब कॉन्क्लेव में उनके बयान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि यह बहुत सहज भावना थी, जो हम सभी को उस समय महसूस हुई थी जब हमने इस हैरान कर देने वाली घटना के बारे में सुना. यह संभवत: सबसे बर्बर और सबसे अमानवीय था. यह घटना हमारी अंतरात्मा में हमेशा एक गहरे जख्म, घाव की तरह बना रहेगी.'

उन्होंने कहा, 'आप अपने मन के इतने गुलाम नहीं हो सकते कि उस क्षण भी आप अपनी सोच को काम करने दें और सोचें कि 'इसका सबसे अच्छा जवाब क्या हो सकता है? मुझे इस बारे में सोचना चाहिए.'

कंगना के अनुसार, वह इस बर्बर और क्रूर घटना के बाद बेहद आहत हुई थीं.

कंगना ने कहा कि 'यहां तक कि उनका मन हुआ कि वह सीमा पर जाएं और किसी की बंदूक छीनकर इस काम को अंजाम दें.'

कॉन्क्लेव में वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिलीं.

 


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