मुंबई: भारत में 74वें स्वतंत्रता दिवस का जश्न मनाया जा रहा है. साल1947 में भारत को अंग्रेजों के शासन से आजादी मिली थी. आजादी बॉलीवुड का ऐसा टॉपिक है, जिसे लेकर ढेरों फिल्में बनीं और गाने भी रचे गए. आज स्वतंत्रता दिवस पर बात करते हैं कुछ ऐसे गानों की जो दशकों से हमारे अंदर देशभक्ति की लौ जलाते आ रहे हैं.
साल 1943 की फिल्म 'क़िस्मत' का 'दूर हटो ऐ दुनिया वालों हिन्दुस्तान हमारा है'
पहला ऐसा सार्वजनिक क्रान्तिकारी गीत, जिसने ब्रिटिश हुकूमत की नींदें हराम कर दी थीं. आज़ादी के ठीक 5 बरस पहले प्रदर्शित हुए इस गीत ने व्यापक जन-समुदाय को अपनी गिरफ्त में ले लिया था. फिल्मों के लिए पहले भी कुछ ओजपूर्ण और सांकेतिक गीत बनते रहे थे, मगर 'क़िस्मत' का यह गीत, जैसे आज़ादी के आह्वान का एक धारदार सन्देश लेकर आया.
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साल 1954 में आई फिल्म 'जागृति' का 'दे दी हमें आजादी बिना खड़ग बिना ढाल'
हेमन्त कुमार की बेहद सौम्य ढंग की संगीतकार छवि वाला यह गीत, राष्ट्रप्रेम का एक आदर्श गीत है. पूरी तरह गांधीवादी विचारधारा के तहत विकसित किए गए इस गीत की एक विशिष्टता यह भी है कि इसके माध्यम से महात्मा गांधी के प्रयासों को स्वतंत्रता संघर्ष के सन्दर्भ में विश्लेषित करने का प्रयास किया गया है.
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साल 1964 की फिल्म 'हकीकत' का 'कर चले हम फिदा जान-ओ-तन साथियों'
भारत-चीन के युद्ध की विभीषिका से उपजे त्रासदी और हतोत्साह से जब पूरा देश दुःखी था, ऐसे में इस फिल्म के माध्यम से प्रगतिशील शायर कैफी आजमी साहब ने कमाल का गीत रचा. यह गीत दरअसल भारतीयों में अपनी सेना के प्रति आदर और प्रेम भरने के सन्देशपरक गीत के रूप में भी देखा जा सकता है.
साल 1965 की फिल्म 'शहीद' का 'मेरा रंग दे बसन्ती चोला'
पूरी तरह राष्ट्रीयता के सन्देश से पगी हुई ऐतिहासिक फ़िल्म 'शहीद' में भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के क्रान्तिकारी बलिदान को आधार बनाकर रचे गये इस बेहद भावुक और हृदय विदारक गीत में इन तीनों की आवाज़ के लिए मुकेश, महेन्द्र और राजेन्द्र मेहता ने पार्श्वगायन किया था.
आज भी यह गीत सुनकर रूलाई आती है और देशभक्ति के अनूठे जज़्बे से भीतर तक भिगो डालती है. यह कहा जा सकता है कि यह गीत राष्ट्रभक्ति के गीतों में एक महान गीत का दर्जा रखता है.
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इसी के साथ देशभक्ति के गानों में एक गीत जो हमेशा हर किसी के भी जेहन में आता है वह गाना है...
ऐ मेरे वतन के लोगों, जरा आंख में भर लो पानी,
जो शहीद हुए हैं उनकी, जरा याद करो कुर्बानी -2'
कवि प्रदीप के लिखे इस गीत को सी. रामचंद्र ने कंपोज किया और स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने अपनी आवाज दी. इस गाने को 27 जनवरी 1963 को भारत-चीन युद्ध खत्म होने के लगभग दो महीने बाद ही नेशनल स्टेडियम में लाइव परफॉर्म किया गया. कहा जाता है कि इस गाने को सुनकर प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की आंखों में आंसू आ गए थे.
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इसके अलावा और भी कई गाने हैं जिन्हें सुनकर मन देशभक्ति से ओत-प्रोत हो जाता है. जैसे...
'शहीद' फिल्म के गीत 'ऐ वतन, ऐ वतन, हमको तेरी कसम, तेरी राहों में जान तक लुटा जाएंगे' देशभक्ति का प्रमुख गाना है. मुकेश की आवाज में यह गाना आज भी जहां कहीं सुनाई देता है... देश से प्यार करने वालों के रोंगटे खड़े कर देता है.
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फिल्म पूरब-पश्चिम में मनोज कुमार के होंठों से निकलता गीत 'है प्रीत जहां की रीत सदा, मैं गीत वहां के गाता हूं, भारत का रहने वाला हूं, भारत की बात सुनाता हूं' को सुनकर दिल के एक सिरे से लहर उठती है और पूरे तन-बदन में बिजली सी कौंध जाती है. इस गीत में भी भारत की तारीफ में जबरदस्त बोल लिखे गए हैं.
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फिल्म 'उपकार' में जब मनोज कुमार 'मेरे देश की धरती, सोना उगले, उगले हीरे-मोती' गाते दिखते हैं तो दिल में यकीन होने लगता है कि सच में देश की धरती से सोना-चांदी और हीरे-मोती निकलते हैं. देश की मिट्टी और किसानों की मेहनत को सलाम करता यह गीत आज भी बच्चे-बच्चे की जुबान पर चढ़ा रहता है.
साल 1997 में आई फिल्म बॉर्डर का गाना संदेशे आते हैं आज भी 15 अगस्त के दिन खूब सुनाई देता है. जेपी दत्ता की मशहूर फिल्म बॉर्डर 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध पर आधारित थी. जिसे सही मायनों में भारत की सबसे बड़ी वॉर फिल्म कहा जा सकता है.
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सामान्य परिवार की एक साधारण सी लड़की का अदम्य साहस और असाधारण देशभक्ति को लेकर सच्ची कहानी पर फिल्माई गई फिल्म 'राजी' का गीत 'ए वतन, वतन मेरे आबाद रहे तू…मैं जहां रहूं, जहां में याद रहे तू…..'लोगों के जेहनों में जगह बनाने में कामयाब रहा.
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