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दीपिका की संस्था ने की 'मेंटल है क्या' की आलोचना, कंगना की बहन रंगोली ने किया पलटवार - Deepika Padukone

दीपिका की Live Love Laugh Foundation ने कंगना की फिल्म 'मेंटल है क्या' को लेकर ट्वीट किया था. इसके बाद रंगोली ने शनिवार को ट्वीट्स कर दीपिका पर निशाना साधा. रंगोली ने एक ट्वीट में कहा कि फिल्म देखने के बाद आप दीपिका को हटाकर कंगना को ब्रांड एंबेसडर बना दोगे.

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Published : Apr 21, 2019, 12:55 PM IST

मुंबई: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) और अभिनेत्री दीपिका पादुकोण की संस्था द लिव लव लाफ फाउंडेशन (टीएलएलएलएफ) ने शनिवार को कंगना रनौत और राजकुमार राव अभिनीति फिल्म 'मेंटल है क्या?' के पोस्टर की आलोचना की.

आईएमए के साथ इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी (आईपीएस) ने फिल्म निर्माताओं से अपील की है कि फिल्म के शीर्षक को बदलें.

आईएमए ने कहा कि टाइटल में जो 'मेंटल' नामक शब्द है और जो कहने का अंदाज है, वह मानसिक रोग की परेशानियां झेल रहे लोगों की हंसी उड़ाता है और उनका अपमान करता है.

आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शांतनु सेन का कहना है कि कई शोध बताते हैं कि भारत सहित दुनिया के सारे देश मानसिक रोगों से जुड़े कलंक (स्टिग्मा) से आज भी जूझ रहे हैं. विशेषज्ञ लोगों को लगातार समझा रहे कि दुनिया में कोई मेंटल या पागल नहीं. वे सब किसी न किसी रोग से ग्रस्त हैं और यह न अपराध है न अभिशाप. इन रोगों का इलाज संभव है. कुछ बीमारियां क्रॉनिक होती हैं जो कि नियमित दवाओं और अन्य प्रकार की देखभाल से नियंत्रित रहती हैं.

इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ.मृगेश वैष्णव का कहना है, 'मानव-अधिकारों के प्रति सजगता के इस दौर में मानसिक रूप से परेशान लोगों के अधिकारों की भी रक्षा होनी चाहिए. अब तो हम पूरे व्यक्ति को बीमार बताने वाले टर्म 'मानसिक रोगी' की जगह 'मानसिक रोग से ग्रस्त व्यक्ति' कहने लगे हैं, क्योंकि मनोरोग व्यक्ति को पूरी तरह खारिज नहीं करते. मगर इस फिल्म का टाइटल व्यक्ति को पूरी तरह खारिज करता है- यह अनैतिक और अमानवीय ही नहीं अवैधानिक भी है.'

वैष्णव ने कहा, 'फिल्म निर्माता ने हाल ही में एक पोस्टर रिलीज किया है। उसमें नायक और नायिका आमने-सामने बैठकर अपनी सटी हुई जीभों के ऊपर एक नंगे ब्लेड को संतुलित करते दिखते हैं. कमाल की कल्पना है. मगर क्या यह रचनात्मक भी है? इसकी कौन-सी उपयोगिता है? सच्चाई तो यह है कि यह एक खतरनाक खेल खेलने की प्रवृत्ति का उदाहरण है. आज भारत में उद्दंडता (डिलिंक्वन्सी) और स्वयं को खतरों में नाहक डालने वाले व्यक्तित्व रोगों की वृद्धि हो रही है. नशाखोरी, जानलेवा सेल्फी लेना, तेज ड्राइविंग आदि इसके उदाहरण हैं. ऐसे में कुछ खतरनाक करने को उकसाता यह पोस्टर एक अपराध है. इसे रचनात्मक तो कतई नहीं माना जा सकता.'

इंडियन मेडिकल असोसिएशन तथा इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी ने कहा कि हम सूचना और प्रसारण मंत्रालय से निवेदन करते हैं कि वह इस मामले में हस्तक्षेप करे. हम सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन से आग्रह करते हैं कि इस अपमानजनक टाइटल पर रोक लगाए और अगर इस फिल्म में मानसिक स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से कुछ भी आपत्तिजनक है तो उसे हटाने या परिवर्तित करने का आदेश दे.

वहीं, टीएलएलएफ के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया, 'अब मानसिक बीमारी से परेशान लोगों के लिए उनके खिलाफ रूढ़ियों को मजबूत करने वाले अपमानजनक शब्दों, चित्रों के उपयोग को बंद करने का समय आ गया है.'

  • It is time we put an end to the use of words, imagery and/or the portrayal of persons with mental illness in a way that reinforces stereotypes. (1/2) https://t.co/sZCeIp8eGw

    — TLLLFoundation (@TLLLFoundation) April 20, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">
  • Many millions who suffer with mental illness in India already face tremendous stigma. Therefore,it is extremely important to be responsible and sensitive towards the needs of those suffering. (2/2) https://t.co/sZCeIp8eGw

    — TLLLFoundation (@TLLLFoundation) April 20, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">
फिल्म की अभिनेत्री कंगना रनौत की बहन रंगोली चंदेल ने इसका जवाब देते हुए कहा, 'रनौत को तीन राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं और वो भारत में महिला आन्दोलन को आगे बढ़ाने वाली प्रमुख ताकत है. वे इतनी परिपक्व हैं कि अपनी जिम्मेदारी समझ सके. हम फिल्म की कहानी उजागर नहीं कर सकते, लेकिन हमने फिल्म को प्रदर्शित करने के लिए सभी जरूरी मंजूरियां जुटाई हैं.'
  • Dear @TLLLFoundation Ms Ranaut who is recipient of three national awards and one f the driving forces of feminism movement in India through her films like Queen & Manikarnika is one f the most responsible artists,to jump the gun & assume the worse is nothing bt immature..(contd.) https://t.co/99Brese96M

    — Rangoli Chandel (@Rangoli_A) April 20, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">
  • (contd)...all I can say is that for Manikarnika we held screenings for school children in many states of India after MHK we would like to do the same with you .... 🙂🙏 ...(contd) @TLLLFoundation

    — Rangoli Chandel (@Rangoli_A) April 20, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">
  • (Contd)... Genre of the film is such ( thriller ) that we cant reveal the exact plot or the parts that the characters are playing but of course we will acquire all the certificates we need to in order to show case the film to public.... (contd) @TLLLFoundation

    — Rangoli Chandel (@Rangoli_A) April 20, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">
  • (Contd)....please don’t be Karni Sena, don’t jump the gun, I assure you, you will love the film 🙏 @TLLLFoundation

    — Rangoli Chandel (@Rangoli_A) April 20, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">
  • I have a feeling after MHK you will remove @deepikapadukone & get Kangana on board as your brand ambassador,her sincere effort to bring awareness to the cause and sensitive portrayal of the condition will leave such an impact on you😜😘... @TLLLFoundation (contd.)..

    — Rangoli Chandel (@Rangoli_A) April 20, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">
उन्होंने गुजारिश की कि 'करणी सेना' ना बनें (जिसने दीपिका की फिल्म 'पद्मावत' के खिलाफ प्रदर्शन किया था) और फिल्म को रिलीज होने दें.
  • (contd) ....On a serious note please support us this is an important film🙏 @TLLLFoundation

    — Rangoli Chandel (@Rangoli_A) April 20, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

मुंबई: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) और अभिनेत्री दीपिका पादुकोण की संस्था द लिव लव लाफ फाउंडेशन (टीएलएलएलएफ) ने शनिवार को कंगना रनौत और राजकुमार राव अभिनीति फिल्म 'मेंटल है क्या?' के पोस्टर की आलोचना की.

आईएमए के साथ इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी (आईपीएस) ने फिल्म निर्माताओं से अपील की है कि फिल्म के शीर्षक को बदलें.

आईएमए ने कहा कि टाइटल में जो 'मेंटल' नामक शब्द है और जो कहने का अंदाज है, वह मानसिक रोग की परेशानियां झेल रहे लोगों की हंसी उड़ाता है और उनका अपमान करता है.

आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शांतनु सेन का कहना है कि कई शोध बताते हैं कि भारत सहित दुनिया के सारे देश मानसिक रोगों से जुड़े कलंक (स्टिग्मा) से आज भी जूझ रहे हैं. विशेषज्ञ लोगों को लगातार समझा रहे कि दुनिया में कोई मेंटल या पागल नहीं. वे सब किसी न किसी रोग से ग्रस्त हैं और यह न अपराध है न अभिशाप. इन रोगों का इलाज संभव है. कुछ बीमारियां क्रॉनिक होती हैं जो कि नियमित दवाओं और अन्य प्रकार की देखभाल से नियंत्रित रहती हैं.

इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ.मृगेश वैष्णव का कहना है, 'मानव-अधिकारों के प्रति सजगता के इस दौर में मानसिक रूप से परेशान लोगों के अधिकारों की भी रक्षा होनी चाहिए. अब तो हम पूरे व्यक्ति को बीमार बताने वाले टर्म 'मानसिक रोगी' की जगह 'मानसिक रोग से ग्रस्त व्यक्ति' कहने लगे हैं, क्योंकि मनोरोग व्यक्ति को पूरी तरह खारिज नहीं करते. मगर इस फिल्म का टाइटल व्यक्ति को पूरी तरह खारिज करता है- यह अनैतिक और अमानवीय ही नहीं अवैधानिक भी है.'

वैष्णव ने कहा, 'फिल्म निर्माता ने हाल ही में एक पोस्टर रिलीज किया है। उसमें नायक और नायिका आमने-सामने बैठकर अपनी सटी हुई जीभों के ऊपर एक नंगे ब्लेड को संतुलित करते दिखते हैं. कमाल की कल्पना है. मगर क्या यह रचनात्मक भी है? इसकी कौन-सी उपयोगिता है? सच्चाई तो यह है कि यह एक खतरनाक खेल खेलने की प्रवृत्ति का उदाहरण है. आज भारत में उद्दंडता (डिलिंक्वन्सी) और स्वयं को खतरों में नाहक डालने वाले व्यक्तित्व रोगों की वृद्धि हो रही है. नशाखोरी, जानलेवा सेल्फी लेना, तेज ड्राइविंग आदि इसके उदाहरण हैं. ऐसे में कुछ खतरनाक करने को उकसाता यह पोस्टर एक अपराध है. इसे रचनात्मक तो कतई नहीं माना जा सकता.'

इंडियन मेडिकल असोसिएशन तथा इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी ने कहा कि हम सूचना और प्रसारण मंत्रालय से निवेदन करते हैं कि वह इस मामले में हस्तक्षेप करे. हम सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन से आग्रह करते हैं कि इस अपमानजनक टाइटल पर रोक लगाए और अगर इस फिल्म में मानसिक स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से कुछ भी आपत्तिजनक है तो उसे हटाने या परिवर्तित करने का आदेश दे.

वहीं, टीएलएलएफ के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया, 'अब मानसिक बीमारी से परेशान लोगों के लिए उनके खिलाफ रूढ़ियों को मजबूत करने वाले अपमानजनक शब्दों, चित्रों के उपयोग को बंद करने का समय आ गया है.'

  • It is time we put an end to the use of words, imagery and/or the portrayal of persons with mental illness in a way that reinforces stereotypes. (1/2) https://t.co/sZCeIp8eGw

    — TLLLFoundation (@TLLLFoundation) April 20, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">
  • Many millions who suffer with mental illness in India already face tremendous stigma. Therefore,it is extremely important to be responsible and sensitive towards the needs of those suffering. (2/2) https://t.co/sZCeIp8eGw

    — TLLLFoundation (@TLLLFoundation) April 20, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">
फिल्म की अभिनेत्री कंगना रनौत की बहन रंगोली चंदेल ने इसका जवाब देते हुए कहा, 'रनौत को तीन राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं और वो भारत में महिला आन्दोलन को आगे बढ़ाने वाली प्रमुख ताकत है. वे इतनी परिपक्व हैं कि अपनी जिम्मेदारी समझ सके. हम फिल्म की कहानी उजागर नहीं कर सकते, लेकिन हमने फिल्म को प्रदर्शित करने के लिए सभी जरूरी मंजूरियां जुटाई हैं.'
  • Dear @TLLLFoundation Ms Ranaut who is recipient of three national awards and one f the driving forces of feminism movement in India through her films like Queen & Manikarnika is one f the most responsible artists,to jump the gun & assume the worse is nothing bt immature..(contd.) https://t.co/99Brese96M

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  • (contd)...all I can say is that for Manikarnika we held screenings for school children in many states of India after MHK we would like to do the same with you .... 🙂🙏 ...(contd) @TLLLFoundation

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  • (Contd)... Genre of the film is such ( thriller ) that we cant reveal the exact plot or the parts that the characters are playing but of course we will acquire all the certificates we need to in order to show case the film to public.... (contd) @TLLLFoundation

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  • (Contd)....please don’t be Karni Sena, don’t jump the gun, I assure you, you will love the film 🙏 @TLLLFoundation

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  • I have a feeling after MHK you will remove @deepikapadukone & get Kangana on board as your brand ambassador,her sincere effort to bring awareness to the cause and sensitive portrayal of the condition will leave such an impact on you😜😘... @TLLLFoundation (contd.)..

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उन्होंने गुजारिश की कि 'करणी सेना' ना बनें (जिसने दीपिका की फिल्म 'पद्मावत' के खिलाफ प्रदर्शन किया था) और फिल्म को रिलीज होने दें.
  • (contd) ....On a serious note please support us this is an important film🙏 @TLLLFoundation

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मुंबई: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) और अभिनेत्री दीपिका पादुकोण की संस्था द लिव लव लाफ फाउंडेशन (टीएलएलएलएफ) ने शनिवार को कंगना रनौत और राजकुमार राव अभिनीति फिल्म 'मेंटल है क्या?' के पोस्टर की आलोचना की.

आईएमए के साथ इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी (आईपीएस) ने फिल्म निर्माताओं से अपील की है कि फिल्म के शीर्षक को बदलें.

आईएमए ने कहा कि टाइटल में जो 'मेंटल' नामक शब्द है और जो कहने का अंदाज है, वह मानसिक रोग की परेशानियां झेल रहे लोगों की हंसी उड़ाता है और उनका अपमान करता है.

आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शांतनु सेन का कहना है कि कई शोध बताते हैं कि भारत सहित दुनिया के सारे देश मानसिक रोगों से जुड़े कलंक (स्टिग्मा) से आज भी जूझ रहे हैं. विशेषज्ञ लोगों को लगातार समझा रहे कि दुनिया में कोई मेंटल या पागल नहीं. वे सब किसी न किसी रोग से ग्रस्त हैं और यह न अपराध है न अभिशाप. इन रोगों का इलाज संभव है. कुछ बीमारियां क्रॉनिक होती हैं जो कि नियमित दवाओं और अन्य प्रकार की देखभाल से नियंत्रित रहती हैं.

इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ.मृगेश वैष्णव का कहना है, 'मानव-अधिकारों के प्रति सजगता के इस दौर में मानसिक रूप से परेशान लोगों के अधिकारों की भी रक्षा होनी चाहिए. अब तो हम पूरे व्यक्ति को बीमार बताने वाले टर्म 'मानसिक रोगी' की जगह 'मानसिक रोग से ग्रस्त व्यक्ति' कहने लगे हैं, क्योंकि मनोरोग व्यक्ति को पूरी तरह खारिज नहीं करते. मगर इस फिल्म का टाइटल व्यक्ति को पूरी तरह खारिज करता है- यह अनैतिक और अमानवीय ही नहीं अवैधानिक भी है.'

वैष्णव ने कहा, 'फिल्म निर्माता ने हाल ही में एक पोस्टर रिलीज किया है। उसमें नायक और नायिका आमने-सामने बैठकर अपनी सटी हुई जीभों के ऊपर एक नंगे ब्लेड को संतुलित करते दिखते हैं. कमाल की कल्पना है. मगर क्या यह रचनात्मक भी है? इसकी कौन-सी उपयोगिता है? सच्चाई तो यह है कि यह एक खतरनाक खेल खेलने की प्रवृत्ति का उदाहरण है. आज भारत में उद्दंडता (डिलिंक्वन्सी) और स्वयं को खतरों में नाहक डालने वाले व्यक्तित्व रोगों की वृद्धि हो रही है. नशाखोरी, जानलेवा सेल्फी लेना, तेज ड्राइविंग आदि इसके उदाहरण हैं. ऐसे में कुछ खतरनाक करने को उकसाता यह पोस्टर एक अपराध है. इसे रचनात्मक तो कतई नहीं माना जा सकता.'

इंडियन मेडिकल असोसिएशन तथा इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी ने कहा कि हम सूचना और प्रसारण मंत्रालय से निवेदन करते हैं कि वह इस मामले में हस्तक्षेप करे. हम सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन से आग्रह करते हैं कि इस अपमानजनक टाइटल पर रोक लगाए और अगर इस फिल्म में मानसिक स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से कुछ भी आपत्तिजनक है तो उसे हटाने या परिवर्तित करने का आदेश दे.

वहीं, टीएलएलएफ के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया, 'अब मानसिक बीमारी से परेशान लोगों के लिए उनके खिलाफ रूढ़ियों को मजबूत करने वाले अपमानजनक शब्दों, चित्रों के उपयोग को बंद करने का समय आ गया है.'

फिल्म की अभिनेत्री कंगना रनौत की बहन रंगोली चंदेल ने इसका जवाब देते हुए कहा, 'रनौत को तीन राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं और वो भारत में महिला आन्दोलन को आगे बढ़ाने वाली प्रमुख ताकत है. वे इतनी परिपक्व हैं कि अपनी जिम्मेदारी समझ सके. हम फिल्म की कहानी उजागर नहीं कर सकते, लेकिन हमने फिल्म को प्रदर्शित करने के लिए सभी जरूरी मंजूरियां जुटाई हैं.'

उन्होंने गुजारिश की कि 'करणी सेना' ना बनें (जिसने दीपिका की फिल्म 'पद्मावत' के खिलाफ प्रदर्शन किया था) और फिल्म को रिलीज होने दें.

 


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