मुंबई: गूगल ने मशहूर शायर कैफ़ी आज़मी की 101 वीं जयंती डूडल बनाकर मनाई. प्रेम की कविताओं से लेकर बॉलीवुड गीतों, पटकथाओं तक लिखने में माहिर कैफ़ी आज़मी 20वीं सदी के सबसे प्रसिद्ध कवियों में से एक थे.
उत्तरप्रदेश के आजमगढ़ में पैदा हुए सैयद अतहर हुसैन रिजवी यानी कैफ़ी आज़मी ने अपनी पहली कविता 11 साल की उम्र में लिखी थी. कैफ़ी आज़मी उस वक्त 1942 में हुए महात्मा गांधी के भारत छोड़ा आंदोलन से प्रेरित थे.
बाद में कैफ़ी आज़मी एक उर्दू अखबार में लिखने के लिए मुंबई चले गए थे. कैफ़ी आज़मी का पहला कविता संग्रह 'झंकार' 1943 में प्रकाशित हुआ था. बाद में वह प्रगतिशील लेखक संघ के सदस्य बने जिन्होंने लेखन का उपयोग सामाजिक आर्थिक सुधार करने के लिए किया.
कैफ़ी आज़मी की 101वीं जयंती पर गूगल ने डूडल बनाकर दी महान शायर को श्रद्धांजलि
मशहूर शायर कैफ़ी आज़मी की 101वीं जयंती पर गूगल ने डूडल बनाकर महान शायर को श्रद्धांजलि दी. कैफ़ी आज़मी उर्दू के एक अज़ीम शायर थे. उन्होंने हिन्दी फिल्मों के लिए कई प्रसिद्ध गीत व ग़ज़लें भी लिखीं.
मुंबई: गूगल ने मशहूर शायर कैफ़ी आज़मी की 101 वीं जयंती डूडल बनाकर मनाई. प्रेम की कविताओं से लेकर बॉलीवुड गीतों, पटकथाओं तक लिखने में माहिर कैफ़ी आज़मी 20वीं सदी के सबसे प्रसिद्ध कवियों में से एक थे.
उत्तरप्रदेश के आजमगढ़ में पैदा हुए सैयद अतहर हुसैन रिजवी यानी कैफ़ी आज़मी ने अपनी पहली कविता 11 साल की उम्र में लिखी थी. कैफ़ी आज़मी उस वक्त 1942 में हुए महात्मा गांधी के भारत छोड़ा आंदोलन से प्रेरित थे.
बाद में कैफ़ी आज़मी एक उर्दू अखबार में लिखने के लिए मुंबई चले गए थे. कैफ़ी आज़मी का पहला कविता संग्रह 'झंकार' 1943 में प्रकाशित हुआ था. बाद में वह प्रगतिशील लेखक संघ के सदस्य बने जिन्होंने लेखन का उपयोग सामाजिक आर्थिक सुधार करने के लिए किया.
मुंबई: गूगल ने मशहूर शायर कैफ़ी आज़मी की 101 वीं जयंती डूडल बनाकर मनाई. प्रेम की कविताओं से लेकर बॉलीवुड गीतों, पटकथाओं तक लिखने में माहिर कैफ़ी आज़मी 20वीं सदी के सबसे प्रसिद्ध कवियों में से एक थे.
उत्तरप्रदेश के आजमगढ़ में पैदा हुए सैयद अतहर हुसैन रिजवी यानी कैफ़ी आज़मी ने अपनी पहली कविता 11 साल की उम्र में लिखी थी. कैफ़ी आज़मी उस वक्त 1942 में हुए महात्मा गांधी के भारत छोड़ा आंदोलन से प्रेरित थे.
बाद में कैफ़ी आज़मी एक उर्दू अखबार में लिखने के लिए मुंबई चले गए थे. कैफ़ी आज़मी का पहला कविता संग्रह 'झंकार' 1943 में प्रकाशित हुआ था. बाद में वह प्रगतिशील लेखक संघ के सदस्य बने जिन्होंने लेखन का उपयोग सामाजिक आर्थिक सुधार करने के लिए किया.
अपने बेहतरीन लेखन के लिए कैफ़ी आज़मी को कई अवार्ड्स से नवाजा गया. जिनमें 3 फिल्मफेयर अवार्ड, साहित्य और शिक्षा के लिए प्रतिष्ठित पद्म श्री पुरस्कार शामिल है. उन्हें साहित्य अकादमी फैलोशिप भी मिली.
अपनी सबसे प्रसिद्ध कविताओं में से एक 'औरत' में कैफ़ी आज़मी ने महिलाओं की समानता की बात कही. इस कविता को लेकर समाज में उन्हें बहुत प्रसिद्धी मिली. उन्होंने ग्रामीण महिलाओं और परिवारों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए विभिन्न शैक्षिक संस्थाओं का समर्थन करने के लिए एक एनजीओ की भी स्थापना की.
बता दें, कैफ़ी आज़मी बॉलीवुड की बेहतरीन एक्ट्रेस शबाना आजमी के पिता हैं. उन्होंने हिन्दी फिल्मों के लिए कई प्रसिद्ध गीत व ग़ज़लें भी लिखीं. जिनमें देशभक्ति का अमर गीत -"कर चले हम फिदा, जान-ओ-तन साथियों" भी शामिल है.
उन्होंने 'ये दुनिया ये महफिल मेरे काम की नहीं' और 'झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहीं' जैसे खूबसूरत गाने दिए.
Conclusion: