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2050 तक 340 करोड़ टन कचरे का होगा उत्पादन, विश्व बैंक की रिपोर्ट से खुलासा - Waste to be 340 million tonnes by 2050

पृथ्वी पर जलवायु प्रदूषण एक बड़ा मुद्दा है इसी को लेकर विश्व बैंक ने एक रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट में 2050 तक कचरे का उत्पादन सालाना बढ़ कर 340 करोड़ (3.4 बिलियन) टन होने का दावा किया गया है.

waste generation
कचरे का उत्पादन
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Published : May 10, 2021, 5:43 PM IST

हैदराबाद : पृथ्वी पर जलवायु प्रदूषण एक बड़ा मुद्दा है और इस जलवायु प्रदूषण में हम सब की भागीदारी हैं, लेकिन अब इस विपदा से कैसे निपटा जाए, ये हम सभी लोगों के लिए एक चिंता का विषय होना चाहिए. और हो भी क्यों ना. हाल में विश्व बैंक की एक रिपोर्ट सामने आई है, जो हमारी इस चिंता को ओर बढ़ा देगी.

इस रिपोर्ट में 2050 तक सालाना कचरे का उत्पादन 2 बिलियन टन से बढ़कर 340 करोड़ (3.4 बिलियन) टन होने का दावा किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक शहरीकरण, जनसंख्या वृद्धि और विकासशील शहरों में कचरे के प्रबंधन का खर्च वृद्धि को बढ़ा रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कम आय वाले देशों में 90% से अधिक अवांछित सामग्री को खुले में जलाया या जलाया जाता है.

वहीं दूसरी ओर भारत की कुछ कंपनिंयां ऐसी भी हैं, जो डिजीटल तकनीक की मदद से कचरे के मैनेजमेंट पर काम कर रही हैं.

क्या है विश्व बैंक की रिपोर्ट

इस रिपोर्ट में, विश्व बैंक ने अंदाजा लगाया है कि 2050 तक कचरे का उत्पादन सालाना बढ़ कर 340 करोड़ (3.4 बिलियन) टन हो जाएगा, जो की आज सिर्फ 200 करोड़ (2 बिलियन) टन है. शहरीकरण जनसंख्या वृद्धि और विकासशील शहरों में कचरे के मैनेजमेंट का खर्च इस कचरे के बढ़ने की वजह हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि कम आय वाले देशों में 90% से अधिक अवांछित सामग्री (unwanted waste) को खुले में फेंक या जला दिया जाता है.यह गरीब लोग कचरे के ढेर साफ कर जीवनयापन करने की कोशिश करते हैं. जिससे गरीब लोगों के लिए गंदे पानी, वायु प्रदूषण, और बीमारियों को बढ़ावा मिलता है.

अनुमानित वैश्विक कचरे का उत्पादन

साल

अरबों टन

(Billions of tonnes)

2016
  • 2.01
2030
  • 2.59
2050
  • 3.4
  • दुनियाभर के हर समुदाय के लिए कचरे को फैंकने की जिम्मेदारी एक सिरदर्द बनी हुई है, लेकिन भारतीय कंपनी दिखा रही हैं कि कैसे वेब और मोबाइल तकनीक कचरे की बढ़ती मात्रा का सामाना कर रहे देशों की मदद कर सकती हैं.
  • दक्षिणी भारत के हैदराबाद में स्थित एक सोशल एंटरप्राइज Recykal, क्लाउड बैसड डिजीटल एप (cloud-based digital apps) का इस्तेमाल कर, देश के दूसरे सबसे ज्यादा आबादी वाले देश में non-biodegradable (प्राकृतिक तरीके से नहीं सड़ने वाले) कचरे को इकट्ठा करने और उसे पुनरावृत्ति (recycle) करने में कारगर है. यह तकनीक कचरे को घरों, व्यवसायों और नगरपालिका अधिकारियों के कचरे के डिब्बों से लेकर प्रोससिंग, रिसाईकलिंग और रियूज (processing, recycling and reuse) तक ट्रेक करने के लिए डिजाइन की गई है.
  • यह पहल साउथ एशिया के कचरे के मैनेंजमेंट ढाचें में मदद कर रही है. विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार दो बिलियन लोगों के क्षेत्र में कचरा प्रबंधन और पर्यावरणीय रूप से हानिकारक तरीकों से खुले डंपिंग को रोकने के लिए प्रवर्तन का अभाव है.

पुनरावृत्ति (Recycling) दरों में बढ़ोतरी

  • Recykal का उद्देश्य उत्पादकों को उनके द्वारा किए गए कचरे के निपटान और पुन: उपयोग के लिए अधिक जिम्मेदारी लेने के लिए प्रोत्साहित करना है, जिसे वे डब्ल्यू-कॉमर्स कहते हैं यानि कि कचरे की अर्थव्यवस्था का डिजिटल मैनेजमेंट.
  • यह एक ऑनलाइन मार्केटप्लेस एप है, जो रिसाइकिलर को संग्रह सेवाओं (collection services), से जोड़ती हैं. समुदायों, सड़कों, व्यवसायों और नगरपालिका दुकानों से कचरा इकट्ठा करने को सरल बनाती है. इसका स्मार्ट सेंटर सोलयूशन कचरे के संचालकों (waste operators) को रिकॉर्ड, सेटलमेंट और लेन-देन को डीजिटाइज करने में सक्षम बनाता हैं.
  • उपभोक्ता भी इसमें अपनी भूमिका निभा सकते हैं. Recykal का प्लास्टिक टेकबैक प्रोग्राम लोगों को अनचाहे सामान फेंकने की संस्कृति को समाप्त करने के लिए प्रोत्साहित करता है, जिसके परिणामस्वरूप सभी रिसाइकल योगय प्लास्टिक का कचरा का 40% लैंडफिल (कचरे को जमीन खोद दफनाने की प्रणाली) में डाल दिया गया है.

दक्षिण एशिया का अनुभव

दक्षिण एशिया में कचरे के उत्पादन में सबसे तेजी से विकास होगा. विश्व बैंक ने पाया कि क्षेत्र में 75% कचरे को खुलेआम डंप किया जाता है, जबकि लगभग 45% डोर-टू-डोर कार्यक्रमों के माध्यम से एकत्र किया जाता है.

भारत सरकार ने सात साल पहले अपनी कचरे के निपटान सुविधाओं में सुधार के लिए कदम उठाना शुरू किया था.

Recykal का अनुमान है कि देश के व्यवसाय प्रति वर्ष अपने कचरे से छुटकारा पाने के लिए 13.4 बिलियन डॉलर खर्च करते हैं. लेकिन इस क्षेत्र को सुव्यवस्थित करना कठिन साबित हुआ है क्योंकि यह नियम एक राज्य से दूसरे राज्य में भिन्न हो सकते हैं और कई अधिकारियों द्वारा देखें भी जाते हैं.

इससे कचरे को सुरक्षित तरीके से निपटाना, पहल को एकीकृत, मानकों का पालन और पुनर्नवीनीकरण के लिए सामग्री के पूर्वानुमानित प्रवाह की पेशकश करना कठिन हो जाता है.

हैदराबाद : पृथ्वी पर जलवायु प्रदूषण एक बड़ा मुद्दा है और इस जलवायु प्रदूषण में हम सब की भागीदारी हैं, लेकिन अब इस विपदा से कैसे निपटा जाए, ये हम सभी लोगों के लिए एक चिंता का विषय होना चाहिए. और हो भी क्यों ना. हाल में विश्व बैंक की एक रिपोर्ट सामने आई है, जो हमारी इस चिंता को ओर बढ़ा देगी.

इस रिपोर्ट में 2050 तक सालाना कचरे का उत्पादन 2 बिलियन टन से बढ़कर 340 करोड़ (3.4 बिलियन) टन होने का दावा किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक शहरीकरण, जनसंख्या वृद्धि और विकासशील शहरों में कचरे के प्रबंधन का खर्च वृद्धि को बढ़ा रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कम आय वाले देशों में 90% से अधिक अवांछित सामग्री को खुले में जलाया या जलाया जाता है.

वहीं दूसरी ओर भारत की कुछ कंपनिंयां ऐसी भी हैं, जो डिजीटल तकनीक की मदद से कचरे के मैनेजमेंट पर काम कर रही हैं.

क्या है विश्व बैंक की रिपोर्ट

इस रिपोर्ट में, विश्व बैंक ने अंदाजा लगाया है कि 2050 तक कचरे का उत्पादन सालाना बढ़ कर 340 करोड़ (3.4 बिलियन) टन हो जाएगा, जो की आज सिर्फ 200 करोड़ (2 बिलियन) टन है. शहरीकरण जनसंख्या वृद्धि और विकासशील शहरों में कचरे के मैनेजमेंट का खर्च इस कचरे के बढ़ने की वजह हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि कम आय वाले देशों में 90% से अधिक अवांछित सामग्री (unwanted waste) को खुले में फेंक या जला दिया जाता है.यह गरीब लोग कचरे के ढेर साफ कर जीवनयापन करने की कोशिश करते हैं. जिससे गरीब लोगों के लिए गंदे पानी, वायु प्रदूषण, और बीमारियों को बढ़ावा मिलता है.

अनुमानित वैश्विक कचरे का उत्पादन

साल

अरबों टन

(Billions of tonnes)

2016
  • 2.01
2030
  • 2.59
2050
  • 3.4
  • दुनियाभर के हर समुदाय के लिए कचरे को फैंकने की जिम्मेदारी एक सिरदर्द बनी हुई है, लेकिन भारतीय कंपनी दिखा रही हैं कि कैसे वेब और मोबाइल तकनीक कचरे की बढ़ती मात्रा का सामाना कर रहे देशों की मदद कर सकती हैं.
  • दक्षिणी भारत के हैदराबाद में स्थित एक सोशल एंटरप्राइज Recykal, क्लाउड बैसड डिजीटल एप (cloud-based digital apps) का इस्तेमाल कर, देश के दूसरे सबसे ज्यादा आबादी वाले देश में non-biodegradable (प्राकृतिक तरीके से नहीं सड़ने वाले) कचरे को इकट्ठा करने और उसे पुनरावृत्ति (recycle) करने में कारगर है. यह तकनीक कचरे को घरों, व्यवसायों और नगरपालिका अधिकारियों के कचरे के डिब्बों से लेकर प्रोससिंग, रिसाईकलिंग और रियूज (processing, recycling and reuse) तक ट्रेक करने के लिए डिजाइन की गई है.
  • यह पहल साउथ एशिया के कचरे के मैनेंजमेंट ढाचें में मदद कर रही है. विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार दो बिलियन लोगों के क्षेत्र में कचरा प्रबंधन और पर्यावरणीय रूप से हानिकारक तरीकों से खुले डंपिंग को रोकने के लिए प्रवर्तन का अभाव है.

पुनरावृत्ति (Recycling) दरों में बढ़ोतरी

  • Recykal का उद्देश्य उत्पादकों को उनके द्वारा किए गए कचरे के निपटान और पुन: उपयोग के लिए अधिक जिम्मेदारी लेने के लिए प्रोत्साहित करना है, जिसे वे डब्ल्यू-कॉमर्स कहते हैं यानि कि कचरे की अर्थव्यवस्था का डिजिटल मैनेजमेंट.
  • यह एक ऑनलाइन मार्केटप्लेस एप है, जो रिसाइकिलर को संग्रह सेवाओं (collection services), से जोड़ती हैं. समुदायों, सड़कों, व्यवसायों और नगरपालिका दुकानों से कचरा इकट्ठा करने को सरल बनाती है. इसका स्मार्ट सेंटर सोलयूशन कचरे के संचालकों (waste operators) को रिकॉर्ड, सेटलमेंट और लेन-देन को डीजिटाइज करने में सक्षम बनाता हैं.
  • उपभोक्ता भी इसमें अपनी भूमिका निभा सकते हैं. Recykal का प्लास्टिक टेकबैक प्रोग्राम लोगों को अनचाहे सामान फेंकने की संस्कृति को समाप्त करने के लिए प्रोत्साहित करता है, जिसके परिणामस्वरूप सभी रिसाइकल योगय प्लास्टिक का कचरा का 40% लैंडफिल (कचरे को जमीन खोद दफनाने की प्रणाली) में डाल दिया गया है.

दक्षिण एशिया का अनुभव

दक्षिण एशिया में कचरे के उत्पादन में सबसे तेजी से विकास होगा. विश्व बैंक ने पाया कि क्षेत्र में 75% कचरे को खुलेआम डंप किया जाता है, जबकि लगभग 45% डोर-टू-डोर कार्यक्रमों के माध्यम से एकत्र किया जाता है.

भारत सरकार ने सात साल पहले अपनी कचरे के निपटान सुविधाओं में सुधार के लिए कदम उठाना शुरू किया था.

Recykal का अनुमान है कि देश के व्यवसाय प्रति वर्ष अपने कचरे से छुटकारा पाने के लिए 13.4 बिलियन डॉलर खर्च करते हैं. लेकिन इस क्षेत्र को सुव्यवस्थित करना कठिन साबित हुआ है क्योंकि यह नियम एक राज्य से दूसरे राज्य में भिन्न हो सकते हैं और कई अधिकारियों द्वारा देखें भी जाते हैं.

इससे कचरे को सुरक्षित तरीके से निपटाना, पहल को एकीकृत, मानकों का पालन और पुनर्नवीनीकरण के लिए सामग्री के पूर्वानुमानित प्रवाह की पेशकश करना कठिन हो जाता है.

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