वाशिंगटन: सेंट लुइस में वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मेडिसिन के वैज्ञानिकों ने मानव रेटिना से कोशिकाओं के पर शोध किया. इसका उद्देश्य यह पता लगाना था कि यह कोशिकाएं दृश्य संकेतों को कैसे परिवर्तित करती हैं जो तंत्रिका द्वारा मस्तिष्क तक पहुंते हैं, वह इन संकेतों को दृश्य में बदलता है. शोध से यह भी पता चला है कि विशिष्ट रेटिना की नाड़ीग्रन्थि (ganglion) कोशिकाएं जो मानव रेटिना से मस्तिष्क तक बड़ी मात्रा में दृश्य संकेतों को भेजती हैं, वह इस जानकारी को संक्षिप्त बनाती हैं, ताकी उसे आसानी से मस्तिष्क तक पहुंचाया जा सके.
इस शोध से रेटिना से जुड़ी बीमारियों को बेहतर तरीके से समझा जा सकेगा. यह समझने के लिए कि कैसे हम दुनिया को देख पाते हैं और कैसे उम्र से जुड़ी समस्याएं जैसे मांसपेशियों का विकृत हो जाना या मोतियाबिंद लोगों को दृष्टिहीन बनाती हैं, वैज्ञानिकों को यह समझना होगा कि रेटिना मस्तिष्क तक दृष्टि संकेतों को कैसे पहुंचाती है.
इससे पहले वैज्ञानिकों ने जानवरों के रेटिना की कोशिकाओं पर शोध किया है. इस नए शोध से मानव रेटिना की कोशाओं के काम करने के बारे में पता चला है. यह शोध न्यूरॉन नाम के जर्नल में प्रकाशित किया गया है. इसमें बताया गया है कि कैसे रेटिना की नाड़ीग्रन्थि कोशिकाएं बड़ी मात्रा में संकेतों को मस्तिष्क तक पहुंचाती हैं. यही नहीं, वह संकेत जल्द से जल्द मस्तिष्क तक पहुंच सकें इसके लिए वह उन्हें कंप्रेस करती हैं, या संक्षिप्त बनाती हैं.
शोध के दौरान उन्होंने रेटिना के सामने एक फिल्म चालई. इस दौरान जैसे ही दृश्य बदलते रेटिना उन संकेतों को मस्तिष्क तक पहुंचा रही थी.
प्रमुख शोधकर्ता डैनियल, एमडी (Daniel Kerschensteiner, MD) ने कहा कि आंख से जुड़ी बीमारियों का इलाज करने के लिए यह समझना जरूरी है कि रेटिना की नाड़ीग्रन्थि कोशिकाएं कैसे संकेतों को बदलकर मस्तिष्क तक भेजती हैं. उन्होंने बताया कि दृश्य प्रणालियां लाखों वर्षों में विकसित हुई हैं. वह वातावरण के हिसाब से बदलती गईं. मनाव की दृश्य प्रणाली जानवरों से काफी मितली है, लेकिन लोगों की आंखों की रोशनी वापल ले आने के लिए यह समझ अत्यंत आवश्यक है कि मानव रेटिना की नाड़ीग्रन्थि कोशिकाएं दृश्य संकेतों को कैसे एनकोड करती हैं और आगे भेजती हैं.
इस शोध के लिए चार आंखों से कोशिकाएं ली गईं थी. शोधकर्ताओं ने प्रत्येक आंख की नाड़ीग्रन्थि कोशिकाओं की गतिविधि का अध्ययन किया, जिसके बाद वह इस निष्कर्ष पर पहुंचे थे. उन कोशिकाओं के अक्षतंतु (axons) एक साथ जुड़कर ऑप्टिक तंत्रिका बनाते हैं. शोधकर्ताओं का ध्यान दो प्रकार की मुख्य कोशिकाओं पर केंद्रित था. एक जो प्रकाश के बढ़न पर प्रतिक्रिया देती हैं और दूसरी जो प्रकाश के घटना पर प्रतिक्रिया देती हैं.
डैनियल की टीम ने कोशिकाओं की गतिविधि का कंप्यूटर विश्लेषण किया. टीम ने पाया कि हर बार कोशिकाओं ने न्यूनतम मात्रा में ऊर्जा को उपयोग करके अधिकतम दृश्य संकेत मस्तिष्क तक भेजे.
डैनियल ने बताया कि दृश्य प्रणाली में ऑप्टिक तंत्रिका बेहद संकरी होती है. विश्लेषण से यह पता चला है कि समय से साथ कोशिकाएं इस तरह से विकसित हुईं कि वह ऑप्टिक तंत्रिका से बड़ी मात्रा में संकेत आसानी से भेज सकें. आंखों की बीमारियां जैसे ग्लूकोमा के मरीजों को ऐसा करने में कठिनाई होती है. उनको ठीक करने के लिए यह समझना पड़ेगा कि यह कोशिकाएं कैसे काम करती हैं.