लंदन : डायमंड यानि हीरे आपकी धन संपति का एक हिस्सा माना जाता है. प्राकृतिक रुप से हीरों को बनने में हजारों वर्षों का समय लगता है. मगर आपको पता है. अब हीरों को मशीनों के माध्यम से बनाया जा सकता है, जो वातावरण के लिए भी हानिकारक नहीं है.
यूके की एक कंपनी का कहना है कि इनकी तकनीक से इको फ्रेंडली हीरे जल्दी बन सकते हैं, बिना अधिक मेहनत के.
इस इको फ्रेंडली हीरे को बनाने वाली कंपनी, स्काई डायमंड्स के डेल विन्स(पर्यावरण विशेषज्ञ) ने इसकी प्रकिया को भी समझाया. इसके लिए वह वायुमंडल में मिलने वाली कार्बन डाइऑक्साइड और बारिश के पानी से हाइड्रोजन को अलग करते है. इसके बाद, दोनों को मिलाकर मिथेन गैस बनाई जाती है. इस मिथेन को 8000 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर प्लाज्मा की बॉल पर डाला जाता है. इस प्रक्रिया से हीरे बनने में लगभग दो हफ्ते का समय लगता है. और तो और यह इको फ्रेंडली हीरे, बिल्कुल असली होते हैं.
डेल विन्स का कहना है कि शायद आपको यह एक कहानी की तरह लगता है.पर यह ऐसा नहीं है. सात साल के बाद, हम दुनिया के पहले जीरो इंपेक्ट डायमंड्स को बना पाए हैं. जिसका वातावरण पर कोई दुष्पप्रभाव नहीं पड़ेगा.
- पूरी प्रक्रिया हवा, सूरज और बारिश के पानी पर निर्भर करती है.
- कारखाने के अंदर की मशीनें, इस समय 61 कैरेट हीरे बना रही हैं. लेकिन यहीं मशीनें, महीने में 200 कैरेट हीरे बनाने की क्षमता रखती हैं.
- क्या आपको पता है, अफ्रीका के हीरे की खदानों से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान से कई विवाद उभरे. यह इको फ्रेंडली हीरों से इस तरह के पर्यावरणीय नुकसान से कोंसो दूर हैं.
वैसे भी, हीरों के बाजार के बड़े खिलाड़ियों के व्यापार करने के तरीको में बदलाव आ रहे हैं. इसके तहत, अमेरिकी राज्य ओरेगन में लैब विकसित हीरे बनाने के लिए, डी बीयर्स ने सत्तर मिलियन पाउंड का कारखाना खोला है.
लेविन सोर्सेज के खनिज और खनन कंसल्टेंसी की सीईओ और संस्थापक, एस्टेल लेविन-नैली का कहना है कि सिंथेटिक हीरों का व्यापार करने वाली कंपनी के लिए, इन इको फ्रेंडली हीरे का व्यवसाय करने के लिए, यह एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है.
यह इको फ्रेंडली हीरे, अगले साल बिक्री के लिए जाएगें. अगर यह इको फ्रेंडली हीरे, भविष्य में लोकप्रिय हो गए, तो संभवतः हीरो का व्यापार, नयी उचांईयों को छू सकता है.
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(एपी)