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सावधान ! कहीं आप दूषित पानी ताे नहीं पी रहे...

देशभर में पेयजल के 13 लाख से अधिक नमूनों की जांच की गई जिसमें एक लाख से अधिक नमूने अशुद्ध पाए जाने की खबर है.

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Published : Oct 16, 2021, 3:30 PM IST

नई दिल्ली : कहते हैं जल ही जीवन है अर्थात जल पर ही हमारा जीवन आधारित है. इसी बात से मानव जीवन में जल की उपयाेगिता काे समझा जा सकता है लेकिन हाल में जल के नमूनाें की जांच में कुछ ऐसे तथ्य सामने आये हैं जिनसे आप हैरान रह जाएंगे.

दरअसल, देशभर में सरकारी कार्यक्रम के तहत पेयजल के 13 लाख से अधिक नमूनों की जांच में 1.11 लाख से अधिक नमूने अशुद्ध पाए गए. आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी दी गई.

ये नमूने सरकार के पेयजल जांच और निगरानी कार्यक्रम के तहत लिए गए थे. जल शक्ति मंत्रालय के कार्यक्रम के तहत जुटाए गए आंकडों से पता चला कि पेयजल में अशुद्धियां पृथ्वी की सतह पर प्राकृतिक तौर पर मौजूद रसायन तथा मिनरल जैसे ऑर्सेनिक, फ्लोराइड, आयरन और यूरेनियम आदि की थी.

इसमें यह भी कहा गया कि जल स्रोतों के निकट भारी धातु की उत्पादन इकाइयों के कारण भी जल में अशुद्धियां हो सकती हैं. मंत्रालय ने कहा कि इसके अलावा जलशोधन संयंत्रों के सही से काम नहीं करके के कारण अथवा जलापूर्ती तंत्र सही नहीं होने से भी पानी में अशुद्धियां हो सकती हैं.

आंकडों के अनुसार प्रयोगशालाओं में 13,17,028 नमूनों की जांच की गई जिनमें से 1,11,474 नमूनों में अशुद्धियां पायी गईं. एक अधिकारी ने बताया कि अगर पानी का नमूना गुणवत्ता जांच में खरा नहीं उतरता है तो अधिकारियों को ऑनलाइन इसके बारे में जानकारी दी जा सकती है. मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार अब तक 2,05,941 गांवों के पानी के नमूनों 2,011 प्रयोगशालाओं में जांचे गए हैं.

इसे भी पढ़ें : यूपी की स्मार्ट सिटी का हाल, 15 लाख की आबादी पीने के पानी के लिए तरस रही

गौरतलब है कि जल के नमूनों की जांच का कार्यक्रम जल जीवन मिशन के तहत शुरू किया गया है जिसका मकसद नलों के जरिए घरों तक सुरक्षित और पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराना है.
(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : कहते हैं जल ही जीवन है अर्थात जल पर ही हमारा जीवन आधारित है. इसी बात से मानव जीवन में जल की उपयाेगिता काे समझा जा सकता है लेकिन हाल में जल के नमूनाें की जांच में कुछ ऐसे तथ्य सामने आये हैं जिनसे आप हैरान रह जाएंगे.

दरअसल, देशभर में सरकारी कार्यक्रम के तहत पेयजल के 13 लाख से अधिक नमूनों की जांच में 1.11 लाख से अधिक नमूने अशुद्ध पाए गए. आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी दी गई.

ये नमूने सरकार के पेयजल जांच और निगरानी कार्यक्रम के तहत लिए गए थे. जल शक्ति मंत्रालय के कार्यक्रम के तहत जुटाए गए आंकडों से पता चला कि पेयजल में अशुद्धियां पृथ्वी की सतह पर प्राकृतिक तौर पर मौजूद रसायन तथा मिनरल जैसे ऑर्सेनिक, फ्लोराइड, आयरन और यूरेनियम आदि की थी.

इसमें यह भी कहा गया कि जल स्रोतों के निकट भारी धातु की उत्पादन इकाइयों के कारण भी जल में अशुद्धियां हो सकती हैं. मंत्रालय ने कहा कि इसके अलावा जलशोधन संयंत्रों के सही से काम नहीं करके के कारण अथवा जलापूर्ती तंत्र सही नहीं होने से भी पानी में अशुद्धियां हो सकती हैं.

आंकडों के अनुसार प्रयोगशालाओं में 13,17,028 नमूनों की जांच की गई जिनमें से 1,11,474 नमूनों में अशुद्धियां पायी गईं. एक अधिकारी ने बताया कि अगर पानी का नमूना गुणवत्ता जांच में खरा नहीं उतरता है तो अधिकारियों को ऑनलाइन इसके बारे में जानकारी दी जा सकती है. मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार अब तक 2,05,941 गांवों के पानी के नमूनों 2,011 प्रयोगशालाओं में जांचे गए हैं.

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गौरतलब है कि जल के नमूनों की जांच का कार्यक्रम जल जीवन मिशन के तहत शुरू किया गया है जिसका मकसद नलों के जरिए घरों तक सुरक्षित और पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराना है.
(पीटीआई-भाषा)

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