मुंबई : रिलायंस जियो ने गुरुवार को पहली आभासी वार्षिक आम बैठक में 'मेक इन इंडिया' टेक इनोवेशन जैसे 5जी सॉल्यूशन, इंटरेक्टिव Jio TV+, मिक्स्ड रियलिटी (MR) आई-वियरेबल JioGlass और JioFiber में अपडेट और वीडियो मीट ऐप JioMeet की घोषणा की.
वार्षिक आम बैठक (AGM) में बोलते हुए रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी ने कहा कि ऑप्टिकल फाइबर आधारित गीगाबाइट-स्पीड होम ब्रॉडबैंड सेवा जियोफाइबर एक मिलियन से अधिक घरों से जुड़ा हुआ है.
अंबानी ने कहा, 'कोरोना के बाद आने वाले महीनों में जैसे-जैसे हम अधिक लोगों से जुड़ते जाएंगे हमारी वृद्धि में तेजी आएगी. जियो की एंटरप्राइज-ग्रेड वॉइस व डेटा सर्विसेज और क्लाउड-आधारित सॉल्यूशन भारतीय एसएमई को शून्य कनेक्टिविटी और शून्य प्रौद्योगिकी से बाहर ला रहे हैं, जो बड़े उद्यमों के समान दक्षता के साथ काम कर रहे हैं.'
बैठक में 20 स्टार्टअप के साथ यात्रा पर भी चर्चा की गई और इन स्टार्टअप के साथ इनोवेशन से कैसे विभिन्न क्षेत्रों जैसे स्वास्थ्य, मीडिया आदि को फिर से परिभाषित किया जाएगा.
जियो के साइबरमीडिया रिसर्च के इंडस्ट्री इंटेलिजेंस ग्रुप के प्रमुख प्रभु राम के अनुसार, जियो ने भारत के डिजिटल समावेशन और डिजिटल परिवर्तन के लिए अपनी तकनीकी दृष्टि की अभूतपूर्व गहराई को प्रदर्शित किया है.
उन्होंने कहा कि जियो भारत के साथ दुनिया के लिए समाधान निकाल रहा है. जियो का मुख्य उद्देश्य एंड-टू-एंड और स्वदेशी 5G नेटवर्क तैयार करना है, जिसे भारत में संचालित किया जा सकता है, और दुनिया में बढ़ाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि इस समय जियो के पास विश्व स्तर पर 5G तकनीक की पहुंचाने का अवसर है.
प्रभु राम ने कहा कि जियो की टेक्नोलॉजी जैसे- JioGlass और JioMeet का उद्देश्य शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा को सक्षम बनाना है. ऐसा करने के लिए, वे Jio के शुरुआती तकनीकी अधिग्रहणों की ताकत का लाभ उठा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि जियो का नैरोबैंड इंटरनेट-ऑफ-थिंग्स (NBIoT) सेवा अरबों स्मार्ट सेंसर को उच्चतम विश्वसनीयता और सबसे कम लागत के साथ जोड़ रही है.
काउंटरपॉइंट (Counterpoint) में रिसर्च हेड नील शाह के अनुसार Microsoft Azure क्लाउड प्लेटफॉर्म Jio क्लाउड को पावर दे सकता है.
उन्होंने कहा कि इन-हाउस 5G नेटवर्क स्टैक, किफायती एंड्रॉयड के लिए गूगल साझेदारी और JioTV+ प्रमुख घोषणाएं हैं. JioGlass एक शानदार घोषणा है, लेकिन व्यावसायीकरण, रोलआउट और एकीकरण में समय लगेगा और यह फाइबर या 5G नेटवर्क पर बेहतर चलेगा.