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इसरो सात नवंबर को नौ विदेशी सैटेलाइट लॉन्च करने के लिए तैयार - इसरो

अपने 51वें मिशन (PSLV-C49) में भारत का पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल, सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC) SHAR, श्रीहरिकोटा पोर्ट से नौ अंतरराष्ट्रीय कस्टमर सैटेलाइट के साथ प्राथमिक सैटेलाइट के रूप में EOS-01 लॉन्च करेगा. यह लॉन्च सात नवंबर को दोपहर 3:02 बजे अस्थायी रूप से निर्धारित है.

Isro, 328 foreign satellite
328 विदेशी सैटेलाइट लॉन्च करने के लिए तैयार है भारत
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Published : Nov 6, 2020, 5:23 PM IST

Updated : Feb 16, 2021, 7:52 PM IST

चेन्नई: भारत का पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (पीएसएलवी), सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से नौ अंतरराष्ट्रीय कस्टमर सैटेलाइट के साथ प्राथमिक सैटेलाइट के रूप में EOS-01 लॉन्च करेगा. यदि पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV-C49) की शनिवार शाम की रॉकेटिंग के साथ सब कुछ ठीक हो जाता है, तो भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो कुल 328 विदेशी सैटेलाइट को लॉन्च करेगी.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि लॉन्च पैड से शनिवार के पहले रॉकेट लॉन्च के लिए 26 घंटे की उलटी गिनती शुक्रवार दोपहर से शुरू होगी. 10 सैटेलाइट वाले रॉकेट को श्रीहरिकोटा रॉकेट पोर्ट से सात नवंबर को दोपहर 3.02 बजे लॉन्च किए जाने की उम्मीद है.

नौ विदेशी सैटेलाइट में लिथुआनिया (1-प्रौद्योगिकी प्रदर्शनकर्ता), लक्समबर्ग (क्लेओस स्पेस द्वारा 4 मैरीटाइम एप्लिकेशन उपग्रह), और यूएस (4-लेमुर मल्टी मिशन रिमोट सेंसिंग उपग्रह) के शामिल हैं.

  • रॉकेट का प्राथमिक पेलोड भारत का रडार इमेजिंग सैटेलाइट EOS-01 है. इसके पहले यह RISAT-2BR2 सिंथेटिक अपर्चर रडार (SAR) के साथ है, जो सभी मौसम की स्थितियों में चित्रों को शूट कर सकता है.
  • यह सैटेलाइट दिन-रात तस्वीरें ले सकता है और निगरानी कर सकता है. ​​इसके साथ ही यह नागरिक गतिविधियों के लिए उपयोगी होगा.

यह सब 1999 में शुरू हुआ, जब पहली बार भारत ने विदेशी सैटेलाइट का प्रक्षेपण किया. जिसमें दक्षिण कोरिया की किटसैट-3 (वजन 107 किग्रा) और जर्मनी के डीएलआर-टबसैट (वजन 45 किग्रा) शामिल थे. यह पीएसएलवी-सी 2 रॉकेट के साथ देश के अपने 1,050 किलोग्राम ओशनसैट पर पिगीबैक सामान के रूप में था.

तब से, अगले दो दशकों में भारत ने 319 विदेशी सैटेलाइटों को लॉन्च किया है, जिसमें एक चीनी सैटेलाइट भी शामिल है. जिसमें से कुछ स्टैंडअलोन आधार पर और ज्यादातर भारत के अपने सैटेलाइट पर एक पिगीबैक के रूप में थे.

इसरो ने सबसे बड़ी संख्या में सैटेलाइट को प्रक्षेपित करने का विश्व रिकॉर्ड भी बनाया. 15 फरवरी, 2017 को लॉन्च पीएसएलवी रॉकेट में 104 सैटेलाइटों में से 101 विदेशी थे.

भारत सरकार के अनुसार, इसरो ने 26 देशों के सैटेलाइटों को लॉन्च करके पिछले पांच वर्षों के दौरान 1,245.17 करोड़ रुपये कमाए हैं. वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान 324.19 करोड़ रुपये की कमाई हुई थी, जबकि 2017-18 में लॉन्च आय 232.56 करोड़ रुपये थी.

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने दिसंबर 2019 में राज्यसभा को बताया कि 10 देशों यूएस, यूके, जर्मनी, कनाडा, सिंगापुर, नीदरलैंड, जापान, मलेशिया, अल्जीरिया और फ्रांस के साथ अनुबंध पिछले पांच वर्षों में वाणिज्यिक व्यवस्था के तहत हस्ताक्षर किए गए.

इसरो ने 2015 में जिन सबसे भारी विदेशी सैटेलाइटों को कक्षा में स्थापित किया था, उनमें से तीन ब्रिटेन के सैटेलाइट यूके-डीएमसी 3ए, 3बी और 3सी थे, जिनका वजन 447 किलोग्राम था.

इसरो अब 500 किलोग्राम तक के वजन वाले सैटेलाइटों को लॉन्च करने के लिए लघु सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (एसएसएलवी) का उपयोग करेगा. भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी दो स्टार्ट-अप स्काईरोट एयरोस्पेस और अग्निकुल कॉस्मोस प्राइवेट लिमिटेड क्रमशः छोटे रॉकेट विक्रम (पेलोड क्षमता 300 किलोग्राम) और अग्निबाण (पेलोड क्षमता 100 किग्रा) विकसित करने की प्रक्रिया में हैं.

नीति आयोग के सदस्य वीके सारस्वत ने एक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष सम्मेलन में कहा कि छोटे सैटेलाइटों का प्रक्षेपण वैश्विक अंतरिक्ष क्षेत्र में एक प्रमुख कारक होगा, क्योंकि 2027 तक लगभग 7,000 सैटेलाइटों के आसमान में होने की उम्मीद है.

उनके अनुसार, लिओ पर स्मॉलसेट्स की कम लागत वाली लॉन्चिंग वैश्विक सैटेलाइट संचार का ध्यान केंद्रित करेगी.

सारस्वत ने कहा था कि 2018 से 2027 के बीच कुल 7 बिलियन डॉलर के करीब 7,000 स्मॉलसेट्स लॉन्च होने की उम्मीद है.

शनिवार को प्रस्तावित रॉकेट लॉन्च 2020 में इसरो के लिए पहला अंतरिक्ष मिशन होगा.

17 जनवरी, 2020 को, भारत के दूरसंचार उपग्रह INSAT-4A के स्थान पर 3,357 किग्रा जीसैट-30 को कौरू लॉन्च बेस, फ्रेंच एरियाना द्वारा एरियन रॉकेट से सफलतापूर्वक जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (जीटीओ) में लॉन्च किया गया था.

पिछले साल इसरो के अध्यक्ष के सिवन ने कहा कि पीएसएलवी रॉकेट 52.7 टन की ऊंचाई पर पहुंचा है, जिसमें से 17 प्रतिशत में कस्टमर सैटेलाइट हैं. हालांकि, इस समय के आसपास, इसरो देश के रडार इमेजिंग सैटेलाइट और विदेशी पेलोड के सहज वजन पर भी चुप है.

पढे़ंः आज से वॉट्सएप के जरिए भी भेज सकते हैं पैसे

चेन्नई: भारत का पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (पीएसएलवी), सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से नौ अंतरराष्ट्रीय कस्टमर सैटेलाइट के साथ प्राथमिक सैटेलाइट के रूप में EOS-01 लॉन्च करेगा. यदि पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV-C49) की शनिवार शाम की रॉकेटिंग के साथ सब कुछ ठीक हो जाता है, तो भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो कुल 328 विदेशी सैटेलाइट को लॉन्च करेगी.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि लॉन्च पैड से शनिवार के पहले रॉकेट लॉन्च के लिए 26 घंटे की उलटी गिनती शुक्रवार दोपहर से शुरू होगी. 10 सैटेलाइट वाले रॉकेट को श्रीहरिकोटा रॉकेट पोर्ट से सात नवंबर को दोपहर 3.02 बजे लॉन्च किए जाने की उम्मीद है.

नौ विदेशी सैटेलाइट में लिथुआनिया (1-प्रौद्योगिकी प्रदर्शनकर्ता), लक्समबर्ग (क्लेओस स्पेस द्वारा 4 मैरीटाइम एप्लिकेशन उपग्रह), और यूएस (4-लेमुर मल्टी मिशन रिमोट सेंसिंग उपग्रह) के शामिल हैं.

  • रॉकेट का प्राथमिक पेलोड भारत का रडार इमेजिंग सैटेलाइट EOS-01 है. इसके पहले यह RISAT-2BR2 सिंथेटिक अपर्चर रडार (SAR) के साथ है, जो सभी मौसम की स्थितियों में चित्रों को शूट कर सकता है.
  • यह सैटेलाइट दिन-रात तस्वीरें ले सकता है और निगरानी कर सकता है. ​​इसके साथ ही यह नागरिक गतिविधियों के लिए उपयोगी होगा.

यह सब 1999 में शुरू हुआ, जब पहली बार भारत ने विदेशी सैटेलाइट का प्रक्षेपण किया. जिसमें दक्षिण कोरिया की किटसैट-3 (वजन 107 किग्रा) और जर्मनी के डीएलआर-टबसैट (वजन 45 किग्रा) शामिल थे. यह पीएसएलवी-सी 2 रॉकेट के साथ देश के अपने 1,050 किलोग्राम ओशनसैट पर पिगीबैक सामान के रूप में था.

तब से, अगले दो दशकों में भारत ने 319 विदेशी सैटेलाइटों को लॉन्च किया है, जिसमें एक चीनी सैटेलाइट भी शामिल है. जिसमें से कुछ स्टैंडअलोन आधार पर और ज्यादातर भारत के अपने सैटेलाइट पर एक पिगीबैक के रूप में थे.

इसरो ने सबसे बड़ी संख्या में सैटेलाइट को प्रक्षेपित करने का विश्व रिकॉर्ड भी बनाया. 15 फरवरी, 2017 को लॉन्च पीएसएलवी रॉकेट में 104 सैटेलाइटों में से 101 विदेशी थे.

भारत सरकार के अनुसार, इसरो ने 26 देशों के सैटेलाइटों को लॉन्च करके पिछले पांच वर्षों के दौरान 1,245.17 करोड़ रुपये कमाए हैं. वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान 324.19 करोड़ रुपये की कमाई हुई थी, जबकि 2017-18 में लॉन्च आय 232.56 करोड़ रुपये थी.

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने दिसंबर 2019 में राज्यसभा को बताया कि 10 देशों यूएस, यूके, जर्मनी, कनाडा, सिंगापुर, नीदरलैंड, जापान, मलेशिया, अल्जीरिया और फ्रांस के साथ अनुबंध पिछले पांच वर्षों में वाणिज्यिक व्यवस्था के तहत हस्ताक्षर किए गए.

इसरो ने 2015 में जिन सबसे भारी विदेशी सैटेलाइटों को कक्षा में स्थापित किया था, उनमें से तीन ब्रिटेन के सैटेलाइट यूके-डीएमसी 3ए, 3बी और 3सी थे, जिनका वजन 447 किलोग्राम था.

इसरो अब 500 किलोग्राम तक के वजन वाले सैटेलाइटों को लॉन्च करने के लिए लघु सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (एसएसएलवी) का उपयोग करेगा. भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी दो स्टार्ट-अप स्काईरोट एयरोस्पेस और अग्निकुल कॉस्मोस प्राइवेट लिमिटेड क्रमशः छोटे रॉकेट विक्रम (पेलोड क्षमता 300 किलोग्राम) और अग्निबाण (पेलोड क्षमता 100 किग्रा) विकसित करने की प्रक्रिया में हैं.

नीति आयोग के सदस्य वीके सारस्वत ने एक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष सम्मेलन में कहा कि छोटे सैटेलाइटों का प्रक्षेपण वैश्विक अंतरिक्ष क्षेत्र में एक प्रमुख कारक होगा, क्योंकि 2027 तक लगभग 7,000 सैटेलाइटों के आसमान में होने की उम्मीद है.

उनके अनुसार, लिओ पर स्मॉलसेट्स की कम लागत वाली लॉन्चिंग वैश्विक सैटेलाइट संचार का ध्यान केंद्रित करेगी.

सारस्वत ने कहा था कि 2018 से 2027 के बीच कुल 7 बिलियन डॉलर के करीब 7,000 स्मॉलसेट्स लॉन्च होने की उम्मीद है.

शनिवार को प्रस्तावित रॉकेट लॉन्च 2020 में इसरो के लिए पहला अंतरिक्ष मिशन होगा.

17 जनवरी, 2020 को, भारत के दूरसंचार उपग्रह INSAT-4A के स्थान पर 3,357 किग्रा जीसैट-30 को कौरू लॉन्च बेस, फ्रेंच एरियाना द्वारा एरियन रॉकेट से सफलतापूर्वक जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (जीटीओ) में लॉन्च किया गया था.

पिछले साल इसरो के अध्यक्ष के सिवन ने कहा कि पीएसएलवी रॉकेट 52.7 टन की ऊंचाई पर पहुंचा है, जिसमें से 17 प्रतिशत में कस्टमर सैटेलाइट हैं. हालांकि, इस समय के आसपास, इसरो देश के रडार इमेजिंग सैटेलाइट और विदेशी पेलोड के सहज वजन पर भी चुप है.

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Last Updated : Feb 16, 2021, 7:52 PM IST
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