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...तो इसलिए बड़े मिशन पर काम करते समय ISRO Chairman जाते हैं मंदिर और करते हैं पूजा - G Madhavan Nair supports scientists for beliefs

Ex ISRO Chairman Madhavan Nair ने कहा कि धार्मिक आस्था किसी धर्म विशेष तक सीमित नहीं हैं और कोई भी अपनी पूजा-पद्धति का अनुसरण कर सकता है. ISRO Chairman S Somnath को समर्थन जताते हुए G Madhavan Nair ने कहा कि वह आस्था को महत्व देने के मामले में इसरो प्रमुख के साथ हैं.

scientists can follow there religious beliefs says Ex ISRO Chairman G Madhavan Nair
जी माधवन नायर सोमनाथ
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 29, 2023, 9:57 AM IST

तिरुवनंतपुरम : देश में आस्था और विज्ञान को लेकर जनता के बीच चल रही बहस के मद्देनजर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन- ISRO के पूर्व अध्यक्ष G Madhavan Nair ने सोमवार को कहा कि अल्बर्ट आइंस्टीन जैसे महान वैज्ञानिक की भी राय थी कि कुछ है जो दृश्य लोक से भी परे है और उन्होंने इसे भगवान या विधाता की संज्ञा दी. ISRO के वैज्ञानिकों के चंद्रयान-3 मिशन के सिलसिले में मंदिरों में जाने पर सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस के बीच Ex ISRO Chairman G Madhavan Nair ने कहा कि इसमें कुछ गलत नहीं है.

ISRO Chairman S Somnath को समर्थन जताते हुए नायर ने कहा कि वह वैज्ञानिक भावनाओं के साथ धार्मिक आस्थाओं को भी महत्व देने के मामले में इसरो प्रमुख के साथ हैं. उन्होंने कहा, "यह दरअसल मौलिक सत्य की खोज का सवाल है. कोई बाहरी दुनिया को खोजता है और इसे समझने की कोशिश करता है. कुछ लोग अंदर देखते हैं और यह समझने की कोशिश करते हैं कि आत्मा क्या है और यह कहां विलीन हो जाती है." सोमनाथ ने उपासना स्थलों पर जाने और प्रार्थना करने को तनाव से मुक्ति का तरीका बताया.

ये भी पढ़ें:

ISRO : Chandrayaan 3 के चंद्रमा तक पहुंचने की प्रक्रिया पूरी, जल्द शुरू होगा अगला चरण

ISRO Chairman S Somnath ने कहा, "प्रार्थना मानसिक संतोष के लिए की जाती है. जब हम जटिल वैज्ञानिक मिशन पर काम कर रहे हैं तो कई बाधाएं और समस्याएं होती हैं और किसी भी समय चीजें गलत हो सकती हैं. ऐसे में मन को शांत रखने के लिए प्रार्थना और पूजा मदद करती हैं." Ex ISRO Chairman Madhavan Nair ने कहा कि ये प्रार्थना और आस्था किसी धर्म विशेष तक सीमित नहीं हैं और कोई भी अपनी पूजा पद्धति का अनुसरण कर सकता है.

(भाषा)

तिरुवनंतपुरम : देश में आस्था और विज्ञान को लेकर जनता के बीच चल रही बहस के मद्देनजर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन- ISRO के पूर्व अध्यक्ष G Madhavan Nair ने सोमवार को कहा कि अल्बर्ट आइंस्टीन जैसे महान वैज्ञानिक की भी राय थी कि कुछ है जो दृश्य लोक से भी परे है और उन्होंने इसे भगवान या विधाता की संज्ञा दी. ISRO के वैज्ञानिकों के चंद्रयान-3 मिशन के सिलसिले में मंदिरों में जाने पर सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस के बीच Ex ISRO Chairman G Madhavan Nair ने कहा कि इसमें कुछ गलत नहीं है.

ISRO Chairman S Somnath को समर्थन जताते हुए नायर ने कहा कि वह वैज्ञानिक भावनाओं के साथ धार्मिक आस्थाओं को भी महत्व देने के मामले में इसरो प्रमुख के साथ हैं. उन्होंने कहा, "यह दरअसल मौलिक सत्य की खोज का सवाल है. कोई बाहरी दुनिया को खोजता है और इसे समझने की कोशिश करता है. कुछ लोग अंदर देखते हैं और यह समझने की कोशिश करते हैं कि आत्मा क्या है और यह कहां विलीन हो जाती है." सोमनाथ ने उपासना स्थलों पर जाने और प्रार्थना करने को तनाव से मुक्ति का तरीका बताया.

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ISRO Chairman S Somnath ने कहा, "प्रार्थना मानसिक संतोष के लिए की जाती है. जब हम जटिल वैज्ञानिक मिशन पर काम कर रहे हैं तो कई बाधाएं और समस्याएं होती हैं और किसी भी समय चीजें गलत हो सकती हैं. ऐसे में मन को शांत रखने के लिए प्रार्थना और पूजा मदद करती हैं." Ex ISRO Chairman Madhavan Nair ने कहा कि ये प्रार्थना और आस्था किसी धर्म विशेष तक सीमित नहीं हैं और कोई भी अपनी पूजा पद्धति का अनुसरण कर सकता है.

(भाषा)

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