वाशिंगटन डीसी : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत और अमेरिका एक दूसरे के अभिन्न भागीदार हैं. उन्होंने कहा कि भारत-अमेरिकी संबंधों की कोई सीमा नहीं है, शनिवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि आज, नई दिल्ली और वाशिंगटन एक दूसरे को वांछनीय, इष्टतम, सबसे सहज भागीदारों के रूप में देखते हैं. विदेश मंत्री वाशिंगटन डीसी में इंडिया हाउस में 'कलर्स ऑफ फ्रेंडशिप' इवेंट में भारतीय प्रवासी लोगों के लोगों को संबोधित कर रहे थे. सैकड़ों भारतीय लोगों के साथ जयशंकर ने स्थानीय कलाकारों की प्रस्तुतियों का आनंद उठाया. यह कार्यक्रम भारत के राजदूत के आधिकारिक निवास के लॉन में आयोजित किया गया था.
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इस मौके पर जयशंकर ने कहा कि मुझे अक्सर पूछा जाता है, आपको क्या लगता है भारत और अमेरिका के रिश्ते कहां जा रहे हैं. मेरे लिए अब इसका उत्तर देना कठिन होता जा रहा है. वास्तव में, हम भारत और अमेरिका के रिश्तों की प्रगाढ़ता को शब्दों में परिभाषित नहीं कर सकते हैं. हम परस्पर विकास की भावना के साथ काम करते हुए उस स्थान पर पहुंच चुके हैं जहां हमे इसे परिभाषित करने की जरूरत भी नहीं है.
उन्होंने कहा कि हम साथ-साथ काम करने के लिए लगातार नये-नये क्षेत्रों में संभावनाएं तलाश रहे हैं. हम साथ में जितना ज्यादा काम कर रहे हैं साथ काम करने की हमारी जरूरत उतनी ही शिद्दत से महसूस कर रहे हैं. हम एक दूसरे के साथ सबसे सहज हैं. जयशंकर ने कहा कि आज भारत और अमेरिका एक-दूसरे के लिए जरूरी, धनिष्ठ और सबसे सहज भागीदारों के रूप में काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस बदलती दुनिया में ... मैं कहूंगा, आज, भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका एक ऐसी स्थिति में हैं, जहां हम वास्तव में एक -दूसरे के लिए बहुत ही जरुरी, अभिन्न और सहज भागीदार बन गये हैं. यह विकास प्राकृतिक है. इसलिए इसमें अभी भी काफी संभावनायें हैं.
उन्होंने कहा कि तो, शाब्दिक रूप से यह हमारी सफलता हो सकती है, लेकिन मुझे लगता है कि यह जी20 (राष्ट्रों) की सफलता थी. मेरे लिए, यह भारत-अमेरिका साझेदारी की भी सफलता थी... कृपया इस साझेदारी को वह समर्थन देते रहें, जिसकी उसे आवश्यकता है, जिसकी यह हकदार है और जिसकी अपेक्षा है. मैं आपसे वादा कर सकता हूं कि ये संबंध चंद्रयान की तरह चंद्रमा तक, शायद उससे भी आगे तक जाएंगे.
जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के बीच मानवीय संबंध इस द्विपक्षीय संबंध को और अनूठा बनाते हैं. उन्होंने कहा कि देश एक-दूसरे के साथ व्यापार करते हैं. देश एक-दूसरे के साथ राजनीति करते हैं. उनके बीच सैन्य संबंध होते हैं, वे अभ्यास करते हैं और उनके बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान होता है, लेकिन जब दो देशों के बीच गहरे मानवीय संबंध हों, तो यह पूरी तरह से अलग स्थिति होती है. हमारे संबंधों की यही आज अहम विशेषता है.
जयशंकर ने कहा कि द्विपक्षीय संबंधों के निर्माण में प्रवासी भारतीयों का अत्यधिक योगदान है. उन्होंने कहा कि इसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. इसी आधार के सहारे हम आगे देख रहे हैं. क्षितिज पर नयी आशा देख रहे हैं. इसलिए, मुझे लगता है कि जब हम क्षितिज को देखते हैं, तो हमें वहां वास्तव में शानदार संभावनाएं दिखाई देती हैं और यह समुदाय ही इन्हें संभव बनाएगा. मंत्री ने कहा कि आज का भारत पहले के भारत से अलग है.
उन्होंने कहा कि मैं आपसे कहना चाहता हूं कि मैं जिसकी बात कर रहा हूं, वह वास्तव में एक अलग भारत है. जैसा कि आपने दूसरों से सुना है, यह वह भारत है, जो चंद्रयान-3 मिशन को पूरा करने में सक्षम है. जयशंकर ने कहा कि यह वह भारत है, जो सबसे शानदार जी20 सम्मेलन आयोजित करने में सक्षम रहा और उसने उन लोगों को गलत साबित कर दिया, जिन्होंने कहा था कि हम 20 देशों को एक साथ नहीं ला पाएंगे.
उन्होंने कहा कि यह वह भारत है, जिसने कोविड-19 महामारी के दौरान दिखाया कि वह न केवल अपने लोगों की देखभाल कर सकता है, बल्कि दुनियाभर के सैकड़ों देशों की ओर मदद का हाथ भी बढ़ा सकता है. जयशंकर ने कहा आज भारत में सबसे तेजी से 5जी सेवा उपलब्ध कराई जा रही है.
उन्होंने कहा कि अगर भारत के कदमों में आज ऊर्जा है, अगर उसकी आवाज में आत्मविश्वास है, तो इसके कई कारण हैं. मंत्री ने कहा कि क्योंकि यह 10 साल की कड़ी मेहनत का नतीजा है... ऐसे कई क्षेत्र हैं, जहां हमारी क्षमताएं दोगुनी या तिगुनी हो गई हैं. इस कार्यक्रम के दौरान बाइडेन प्रशासन के कई वरिष्ठ अधिकारी सहित, यूएस सर्जन जनरल विवेक मूर्ति, राज्य के उप सचिव रिचर्ड वर्मा, राष्ट्रपति बिडेन के घरेलू नीति सलाहकार नीरा टंडेन, और राष्ट्रीय दवा नियंत्रण नीति के व्हाइट हाउस कार्यालय के निदेशक डॉ राहुल गुप्ता भी उपस्थित थे. इनके अलावा अमेरिकी सांसद श्री थानेदार और रिक मैककॉर्मिक इस कार्यक्रम में मौजूद थे.
गांधी जयंती से पहले जयशंकर ने दी उन्हें श्रद्धांजलि : महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देते हुए जयशंकर ने गांधी की विरासत के बारे में टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि वह (महात्मा गांधी) एक असाधारण व्यक्ति थे. उन्होंने कहा कि गांधी जी का संदेश बहुत जटिल है, लेकिन इसका सार वास्तव में बहुत, बहुत सरल है.